Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)

गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का सपनीला सच

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development Opinions & Updates

ByVenkatesh Dutta Venkatesh Dutta   279

रिवर फ्रंट के अहम बिंदुएं रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिये नदी के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक

रिवर फ्रंट के अहम बिंदुएं 

रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिये नदी के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक आकलन जरूरी है। सबसे जरूरी है कि इसके आस-पास की ज़मीन पर किसी तरह का निर्माण न हो, नदियों के मूल स्वरूप में किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए।

गोमती नदी से शहर के करीब बीस लाख लोगों को पानी की आपूर्ति की जाती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि गोमती नदी की सफाई के लिये लखनऊ में कुडिया घाट के पास सिंचाई विभाग के द्वारा नदी की धारा को रोककर पानी का डायवर्सन किया गया है। गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत नदी की धारा को नियन्त्रित करने के लिये एक बाईपास बनाया गया है। जो पिछले महीने पानी के तेज बहाव के चलते बह गया था। दस मीटर चौड़े इस बाईपास पर बोल्डर, सैंड-बैग्स और बल्लियों से बाँधकर नियन्त्रित मात्रा में पानी निकालने का इन्तजाम किया गया है।

रिवर फ्रंट के अहम बिंदुएं रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिये नदी के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक

अनुयोजित रिवर फ्रण्ट प्रोजेक्ट के बुरे हो सकते है परिणाम  

गोमती के इस रूप को लेकर शहर के लोगो में कौतुहल है। नदी में पानी की स्थिति से सिंचाई विभाग शायद अनभिज्ञ था। यही कारण है की करीब 120 मीटर अस्थायी बाँध बनाने में इंजीनियरों के पसीने छुट गए। नदी की गहराई और प्रवाह का आकलन गलत निकला और पानी अन्दाज से अधिक पाया गया। पिछले लगभग एक माह से चल रही कवायद के बाद भी कुडिया घाट के करीब गोमती की धारा को नियन्त्रित नहीं किया जा सका। 

सिंचाई विभाग को सफाई का काम अगले तीन से चार महीने में पूरा करना है, क्योंकि मानसून के प्रभावी होने के बाद गोमती के उपरी कैचमेंट में पानी बढ़ेगा और तब नदी की धारा को रोकना मुश्किल होगा। उपरी कैचमेंट में जलस्तर बढ़ने लगता है तो कभी भी गोमती संकरे धार को तोड़कर विराट रूप ले सकती है। सवाल यह है कि बहाव को चुनौती देकर यह पहरा कितने दिन बिठाए रखा जा सकता है। काफी मशक्कत के बाद नदी के बीच की धारा को रोका जा सका है।

रिवरफ्रण्ट से  नदी की जमीन पे कब्ज़ा कर जेंबे भरने की है तैयारी 

हमारे सिंचाई विभाग के इंजीनियरों की माने तो आने वाले डेढ़ साल के अन्दर गोमती लन्दन के टेम्स जैसी दिखने लगेगी। लखनऊ के लोग नदी में बोटिंग के साथ-साथ वाटर स्पोर्ट्स का भी मजा लेंगे। नदी के दोनों ओर सड़कें भी बनाई जाएगी। पक्के पुल से गोमती बैराज के बीच गोमती तट पर करीब 75 हेक्टेयर ज़मीन निकलने की उम्मीद जगी है। इस ज़मीन पर ही मॉल, होटल, पिकनिक स्पॉट और सड़क आदि बनने हैं। इस 75 हेक्टेयर जमीन से आने वाला रेवेन्यू शहरी विकास के काम आएगा।

Ad

ऐसा माना जा रहा है कि पूरे योजना में करीब 2800 करोड़ का खर्चा आएगा, जिसमें करीब 650 करोड़ रुपए का प्रावधान उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट में कर दिया है। पहले चरण में गोमती नदी को चैनलाईज किया जाएगा और दूसरे और तीसरे चरण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट।

रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की आड़ में कहीं ऐसा न हो कि गोमती के तट को पक्का करके रियल स्टेट और निजी डेवलपर्स को ज़मीन बेच दिया जाय और नदी के पेट से निकाली गई जमीन पर बाजार हावी हो जाय। सरकार और प्रशासन गोमती को दम तोड़ती नदी (डाईंग रिवर) मान ड्रेजिंग कराकर इसे साफ करने का दावा कर रहा है। मगर निकाले गए सिल्ट को किनारे लगाकर दीवार बनाने की तैयारी चल रही है। नदी की जमीन को संकरा कर उस पर सड़क और निर्माण कार्य की तैयारी शुरू हो गई है।

रिवर फ्रंट के अहम बिंदुएं रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिये नदी के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक

सही आंकलन के बिना हो रहा है काम 

गोमती नदी से सिल्ट निकालने के लिये करीब 50 जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं और सिल्ट को किनारे करने के लिये उतनी ही पुक्लैंड मशीनें लगाई गई हैं। गोमती के पेट में जमे गाद को साफ करने की कोशिश की जा रही है। सफाई अभियान शुरू करने से पहले अगर रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट का पर्यावरणीय मूल्यांकन कर लिया गया होता, तो यह नदी के स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता। 

Ad

सफाई का दम्भ पाले हमारे इंजीनियर यह सोच लें कि नदियाँ अपने आपको साफ कर लेती हैं, अगर उनकी धारा से छेड़छाड़ न की जाय। सफाई से पहले नदी को समझना जरूरी है। गोमती नदी का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। बरसात के समय गोमती की धारा कई गुना तेज होती है, तो गर्मी में पानी कम हो जाता है। रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत गोमती की धारा को सिमटाकर नदी के दोनों तरफ दीवारें उठाई जाएँगी। 

ऐसा कुडिया घाट से डाउन स्ट्रीम 8 किमी तक किया जाएगा। इससे भूगर्भ जल का डिस्चार्ज कम होगा और प्रवाह कम होने के साथ-साथ भविष्य में लखनऊ के लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिलेगा। नदी के डिस्चार्ज से काफी हद तक भूगर्भ जल का स्तर बरकरार रहता है। अगर नदियों में पानी कम हुआ तो इसका सीधा असर भूजल पर भी पड़ेगा।

नदियों की बिगड़ती स्थिति 

गोमती ज़मीन से उद्गम होने वाली नदी है। पिछले दो दशकों से गोमती एवं इसकी 25 सहायक नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह में कमी आ रही है, छोटी-छोटी नदियाँ तेजी से सूख रही हैं और लगभग सभी नदियों के किसी-न-किसी भाग में प्रदूषण बढ़ रहा है। जल-प्रवाह की निरन्तरता के लिये गोमती और उसकी सभी सहायक नदियों में सालों भर जल भरा रहे, इसके लिये समग्र नीति तैयार करने होंगे, और ऐसा तभी हो सकता है जब भूगर्भ जल का स्तर कम ना हो। कई स्थानों पर जल प्रबन्ध के लिये परम्परागत प्रणालियाँ, जल संरक्षण तथा वर्षाजल संग्रह एवं जल के दोबारा उपयोग की तकनीकों को अपनाना पड़ेगा।

लखनऊ से अपस्ट्रीम में गोमती कई स्थानों पर भूगर्भ जल स्रोतों से पानी लेती है। मौजूदा रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट नदी के प्रवाह एवं जलागम क्षेत्र को सकरा कर नदी के मूल चरित्र को पूरी तरह से बदल कर उसे एक मौसमी प्रवाह वाली नदी में बदल देगा। लेकिन बाढ़ के समय हमारे योजनाकारों को दूसरे उपायों पर काम करना होगा क्योंकि पानी निकलने का रास्ता संकीर्ण होने पर नदी के उपरी क्षेत्र का डूबना तय है। मानसून की चरम स्थिति में गोमती का प्रवाह कई गुना बढ़ जाता है और नदी चार से पाँच मीटर तक उठ जाती है।

Ad

रिवर फ्रंट के प्रोजेक्ट को अपने फायदे के लिए सरकार इस्तेमाल कर रही है और इसके बुरे परिणाम गोमती को झेलने पड़ेंगे 

अभी की योजनाओं को देखकर लगता है कि गोमती के पुनर्जीवन का प्रयास केवल बाहरी सौन्दर्यीकरण है न कि नदी के पारिस्थितिकी एवं जल प्रबन्धन की समग्र योजना। इसमें नदी के स्वास्थ्य की चिन्ता कहीं भी दिखाई नहीं देती है। चिन्ता नदी से ज्यादा रियल-एस्टेट और व्यावसायिक गतिविधियों पर है। गोमती के जलागम क्षेत्र में दोनों तरफ कंक्रीट के तटबन्ध खड़े करना किसी भी मायने से नदी के हित में नहीं है। 

गोमती नदी नदी के प्रवाह को सीमित करना खतरे से खेलना है। हमारे योजनाकार इस उम्मीद में हैं कि नदी से निकाली गई 75 हेक्टेयर ज़मीन की बिक्री से रिवर फ्रंट परियोजना की पूरी लागत निकल आएगी। रेवेन्यू बढ़ेगा तो नदी की संवहन क्षमता भी घटेगी और इसका असर लखनऊवासियों को झेलना पड़ेगा।

गोमती नदी को छोटी और असहाय नदी मानकर इसकी फ्लडिंग क्षमता का आकलन हमारे योजनाकार नहीं कर पा रहे हैं। नदियाँ अपना रास्ता बदलती हैं और बनाती रहती हैं। ऐसे में अगर हम नदियों के एक्टिव चैनल को बदलने या सीमित करने की कोशिश करेंगे तो वह रियेक्ट करेगी। कभी अत्यधिक बारिश हुआ तो हमारे शहर डूब जाएँगे। रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिये नदी के स्वाभाविक और पर्यावरणीय प्रवाह का सटीक आकलन जरूरी है। सबसे जरूरी है कि इसके आस-पास की ज़मीन पर किसी तरह का निर्माण न हो, नदियों के मूल स्वरूप में किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए।

गोमती के जलागम क्षेत्र में मनोरंजन के केन्द्र एवं कंक्रीट के निर्माण से नदी मर जाएगी और उसकी बाढ़ को वहन करने की क्षमता घटेगी। इसके फलस्वरूप बाढ़ का खतरा बढ़ेगा और जल प्रदूषण भी बढ़ेगा। रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की योजना को देखकर लगता है कि गोमती को न तो साफ किया जा रहा है और न ही उसका कायाकल्प हुआ है। 

अगर मंशा साफ़ होती तो नदी के पुनर्जीवन की प्राथमिकता में पानी के प्रवाह को अविरल बनाना और नदी के उद्गम स्थल से गंगा में मिलने तक पानी की गुणवत्ता को वापस लाना और भू-अतिक्रमण से मुक्त करना प्रमुख होता, न कि सौन्दर्यीकरण के तहत अधिकतम सम्भव नदी की जमीन ग्रहण करने की योजना।

गोमती रिवेरफ्रट का प्रेजेंटेशन, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा - विडम्बना  ये है जिस नदी की पहचान पुनर्स्थापित करने की बात की जा रही है। 
अगर वो हो जाती है (२/३ पानी के साथ ) तो इतने निर्माण की जगह ही नहीं बचेगी। नदी सब वापस ले लेगी। 

Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 52101

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है.

Follow