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गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट घोटाला, रिपोर्ट में कई लोगों के नाम

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development News and Media Coverage

BySwarntabh Kumar Swarntabh Kumar   137

घोटालों की भेंट चढ़ा गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट 

घोटालों की भेंट चढ़ा गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्

गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट आज विवादों में घिरा हुआ है. समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना में करोड़ों का घोटाला की बात सामने आई है. न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट में इस योजना के तहत हुए करोड़ों के घोटाले वह नियमों की अनदेखी का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इस समिति में राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीण कुमार, प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय, अपर मुख्य सचिव वित अनूप पांडेय को इसका सदस्य बनाया गया है. करोड़ों खर्च कर बनाए गए इस रिवर फ्रंट के निर्माण में हुई गड़बड़ियों के लिए चिन्हित दोषियों पर कारवाई की अनुशंसा से पहले सुरेश खन्ना की जांच समिति में तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष जानने का निर्णय लिया है. इस योजना से जुड़े दोनों ही प्रमुख अधिकारियों को लिखित जवाब के लिए तीन दिन का समय दिया जाएगा.

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जांच के घेरे में कई नौकरशाह

ज्ञात हो कि 2 जून को सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में समिति की पहली बैठक हुई इसमें न्यायमूर्ति आलोक समिति की सिफारिशों और जांच रिपोर्टों का अध्ययन किया गया. ऐसा मानना है कि समिति ने पाया की इस जांच के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष नहीं सुना गया. अब खन्ना समिती ने दोनों लोगों का पक्ष जांच में शामिल कराने का फैसला लिया है. साथ ही इन दोनों से लिखित बयान लेने के लिए 3 दिन का समय देने का फैसला किया गया है. 

आवंटित राशि का 95 प्रतिशत खर्च मगर कार्य सिर्फ 60 प्रतिशत

घोटालों की भेंट चढ़ा गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्

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आपको बता दें कि वर्ष 2015 के अप्रैल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा एक समय लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती के तट पर गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का शिलान्यास किया गया था. इसके पीछे अत्यंत दूषित हो चुकी गोमती को निर्मल व स्वच्छ बनाने के साथ साथ इसे टूरिस्ट प्लेस के रूप में भी विकसित करने की योजना थी. गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 656 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी जो धीरे-धीरे बढ़कर 1513 करोड़ रुपए हो गई. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा किस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च हो चुका है जबकि इस परियोजना का महज 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है. इस परियोजना के शुरू होने के बाद गोमती अब पहले से भी कहीं ज्यादा दूषित हो चुकी है. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया और वहां का हाल देखकर सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित कर 45 दिनों के अंदर इसकी रिपोर्ट मांगी थी. जो रिपोर्ट अब मुख्यमंत्री को सौंपी जा चुकी है. 

दो वर्ष में 23 बैठकें मगर काम फिर भी अधूरा  

इस पूरी परियोजना को पूर्ण करने में काफी विलंब हो चुका है साथ ही अभी भी कुछ कार्य बाकी हैं. इस परियोजना की देरी के लिए प्रथम दृष्टतया अभियंताओं को दोषी पाया गया है. जिसमें तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई, तत्कालीन प्रमुख अभियंता समेत विभागाध्यक्ष सिंचाइ भी शामिल हैं. साथ ही 2 वर्ष में 23 बैठक करने के बावजूद भी समय से कार्य पूर्ण नहीं हुआ जिसके लिए अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. 

कटघरे  में तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन भी 

बताया जाता है न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली इस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में काफी लोगों को कटघरे में खड़ा किया है. रिपोर्ट में मानना है कि थोड़े काम के लिए इस परियोजना में पैसा पानी की तरह बहा दिया गया. समिति के इस रिपोर्ट में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को भी कटघरे में खड़ा किया गया है. इस परियोजना की न्यायिक जांच रिपोर्ट में चिन्हित जिम्मेदार अधिकारियों में अपना भी नाम होने से आलोक रंजन को बेहद आश्चर्य हुआ है. उनका कहना है कि परियोजना की मंजूरी, वित्तीय स्वीकृति और टेंडर जैसा कोई भी कार्य मुख्य सचिव के स्तर पर नहीं होता. यह सारे काम कराने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के इंजीनियरों की होती है और यह सारे कार्य सिंचाई विभाग के इंजीनियरों के द्वारा किया गया है. ऐसे में अगर जांच रिपोर्ट में उनका नाम है तो उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही. 

मुख्यमंत्री को गोमती रिवरफ्रंट के दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरुरत 

घोटालों की भेंट चढ़ा गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से गोमती पर बन रहे रिवरफ्रंट को लेकर जांच के आदेश दिए उसे हम बेशक बढ़ा हुआ पहला कदम मान सकते हैं मगर मुख्यमंत्री को गोमती के कंक्रीट होने की दास्तान को भी समझना अब जरूरी है. लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती आज मिटने के कगार पर पहुंच गई है. जगह-जगह उसका पानी सूख चुका है. कई जगहों पर अब सिर्फ टीले ही नजर आते हैं. योगी सरकार को आज यह भी देखना और समझना होगा कि जिस परियोजना को चालू किया गया उसका मुख्य उद्देश्य स्वछता और नदी की निर्मलता को बढ़ाना था, मगर इस परियोजना के शुरू होने के बाद आज गोमती और भी ज्यादा दूषित हो चुकी है. मुख्यमंत्री जी को इस चीज की भी जांच करवानी चाहिए कि जिस परियोजना को लेकर इतने करोड़ खर्च किए गए क्या उस परियोजना पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण, प्राकृतिक संरचनाओं का ध्यान और नदी पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आंकलन किया गया? हमें पूरी उम्मीद है मुख्यमंत्री इस कार्रवाई को और भी आगे बढ़ाकर हमारे इन मुद्दों पर भी ध्यान देंगे.

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