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गोवा सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.11 महीने ब

Goa Right to Information Act  (RTI Act 2005) - Support Digital and #OneRTI for Goa and India

Goa Right to Information Act (RTI Act 2005) - Support Digital and #OneRTI for Goa and India Engage Goa CIC

BySwarntabh Kumar Swarntabh Kumar   {{descmodel.currdesc.readstats }}

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गोवा सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.

11 महीने बाद हुई नियुक्ति 

लगभग 11 वर्ष हो चुके हैं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को और 11 महीने तक एक भी सूचना आयुक्त गोवा राज्य सूचना आयोग के पास नहीं था. जनवरी, 2016 में जाकर गोवा राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त प्रशांत प्रभु तेंदुलकर और दो राज्य सूचना आयुक्तों के शपथ ग्रहण समारोह हुआ, महीनों के अंतराल के बाद कामकाज शुरू हो सका. इसका सीधा सा मतलब यह है कि सूचना का अधिकार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राज्य के पास 11 महीने के दौरान कोई भी आयुक्त नहीं था और इस दौरान किसी भी तरह के काम की अपेक्षा रखना बैमानी ही होगी.

मुख्य सूचना आयुक्त की सोच अच्छी पर ऐसा लगता नहीं 

गोवा राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रशांत प्रभु तेंदुलकर ने कहा था कि मेरे सभी कार्यों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में होना चाहिए. उन्होंने कार्यान्वयन के उद्देश्य को लेकर कहा था कि उनकी पहली प्राथमिकता बकाया मामलों को पहले निपटने की होगी. हमें भी इससे उम्मीद जगी थी पर ऐसा हो रहा है यह नहीं लगता. हमारे द्वारा भेजे गए आरटीआई के उत्तर का हमें अभी भी इंतजार है.
गोवा के मुख्य सूचना आयुक्त प्रशांत तेंदुलकर ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के एक कार्यशाला के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि, “प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए समाज में सूचना का अधिकार कानून के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है और इसके लिए छात्रों को  प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि इस कानून के आने से सरकारी अधिकारीयों के अन्दर एक डर बना है और वह काम के प्रति सचेत हुए हैं.”
महाशय हमारी भी यही कोशिश है की हम सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रति लोगों को जागरूक करें. ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया इसी में से एक है, उम्मीद है आप इस ओर भी ध्यान देंगे.

आरटीआई एक प्रभावशाली तंत्र मगर जरुरत पारदर्शिता की

आज से कुछ साल पहले तक कौन सोच सकता था कि नियुक्ति को लेकर हुई धांधली का पता बस एक रेवेन्यू टिकट लगाकर और बस आपके द्वारा मांगी गई जानकारी से हो जायेगा. हमारे नेता सरकारी यानी जनता के धन का उपयोग कर कहा करोड़ों खर्च करते इसका पता बस आपको एक आरटीआई से मिल जायगा. ये आरटीआई से हुए खुलासे का ही कमाल है कि गोवा में एक साधारण से बैंक कलर्क की नियुक्ति राज्य के विकलांगता आयुक्त के रूप में की गई. आरटीआई द्वारा पता चला कि समाज कल्याण की निदेशक दीपाली नाइक के द्वारा जारी एक अधिसूचना में 17 जून, 2015 अनुराधा जोशी को राज्य के विकलांगता आयुक्त बनाया गया, जो एक बैंक क्लर्क थी. इससे गोवा सरकार की बेहद किरकिरी हुई. आरटीआई एक प्रभावशाली तंत्र है मगर जरुरत है इसे और भी पारदर्शी बनाया जाए जिसके लिए BallotBoxIndia  की टीम तत्पर है उम्मीद है गोवा से भी हमें कुछ ऐसे लोगों का साथ मिलेगा जो हमारे साथ इस दिशा में आगे बढ़ेंगे.

ना आपका जवाब आया ना आपने कुछ बदला 

एक वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी गोवा राज्य सूचना आयोग का हमारे द्वारा पूछे गए आरटीआई सवाल में कि क्या आपके पास आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था है? का अब तक कोई जवाब नहीं आया है. ना ही ये अब तक आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था दे पाये हैं. 11 महीने बाद जब सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त प्रशांत तेंदुलकर की नियुक्ति हुई थी तब एक आशा बंधी थी की वह आयोग की बेहतरी के लिए कार्य करेंगे. उनके कार्यान्वयन के उद्देश्य और बकाया मामलों को पहले निपटाने की उनकी प्राथमिकता को देखते हुए लगा था कि आयोग में अब कुछ अच्छा होगा. मगर उनके नियुक्ति के 9 महीने बाद भी हमारे आरटीआई का कोई जवाब नहीं आया और ना ही आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ही शुरू की जा सकी है. हम गोवा सूचना आयोग को डाउनग्रेड करते हैं.
 
गोवा सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्थ

क्या चाहते हैं हम?

एक ऐसा भारत जहां हर राज्य के पास एक ऐसी उन्नत व्यवस्था हो जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिल सके. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. जब केंद्र सरकार आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?

अगर आप आरटीआई विशेषज्ञ हैं या आरटीआई कार्यकर्ता जो वास्तव में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बेहतरी के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो अपना विवरण हमें coordinators@ballotboxindia.com पर भेजें.

आप किसी को जानते हैं, जो इस मामले का जानकार है, एक बदलाव लाने का इच्छुक हो. तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.

अगर आप अपने समुदाय की बेहतरी के लिए थोड़ा समय दे सकते हैं तो हमें बताये और समन्वयक के तौर हमसे जुड़ें.

क्या आपके प्रयासों को वित्त पोषित किया जाएगा? हाँ, अगर आपके पास थोड़ा समय,कौशल और योग्यता है तो BallotBoxIndia आपके लिए सही मंच है. अपनी जानकारी coordinators@ballotboxindia.com पर हमसे साझा करें.

धन्यवादCoordinators @ballotboxindia.com

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