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निरंतर घटता जल प्रवाह कर रहा है गोमती को प्रदूषित, संरक्षण जरूरी

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development News and Media Coverage

ByVenkatesh Dutta Venkatesh Dutta   0

निरंतर घटता जल प्रवाह कर रहा है गोमती को प्रदूषित, संरक्षण जरूरी-नदियां जो

नदियां जो हमें जीवन देती हैं, पानी देती हैं, खेती के लिए भूमि देती हैं, सदियों तक सभ्यताओं को बाँध के रखती है; हमारे देश में उन्हीं की बेक़द्री है। जीवनदायनी और सबसे ज्यादा पूजे जाने वाली नदियाँ गंगा और यमुना आज भारत वर्ष की सबसे ज्यादा प्रदूषित नदियाँ है और यही हाल इन प्रमुख नदियों की सहायक और भारत में बाकी 275 नदियों का है। चिंताजनक बात यह है के इन नदियों की हालात सुधरने के बजाय बदतर होती जा रही है। सरकार और जनता की तमाम कोशिशों के बावजूद भी इनकी स्थिति मे कोई सुधार नही आ रहा है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश की 445 मे से 275 नदियाँ प्रदूषित है। अहम तथ्य ये है कि प्रदूषित नदियों की संख्या पिछले 5 वर्षों मे दोगुनी हुई है। देश की नदियों मे सीवेरज बहता है और अनट्रीटिड वेस्ट वाटर को भी इसी मे छोड़ा जाता है। लखनऊ मे 36 नालों का पानी गोमती को गन्दा करता है। इसके अलावा औद्योगिक कचरा भी नदी के पानी मे मिलके उससे गन्दा करता है। कानून का भी सख्ती पालन नहीं किया जा रहा है। नदियों के फ्लड प्लेन्स पे गैरकानूनी निर्माण करवाये जा रहे है।

बात गोमती की करें तो लखनऊ में गोमती के प्रदूषण के लिए नाले जिम्मेदार हैं, जिनसे असंशोधित अवजल निरंतर गोमती में निरंतर गिराया जा रहा है. उत्तर prdesh प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट भी यह साबित करती है कि किस प्रकार लखनऊ में प्रवेश से पहले और निकलने के उपरांत नदी जल की गुणवत्ता लखनऊ से बेहतर हो जाती है। लखनऊ में गोमती नदी का जल इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि ट्रीटमेंट के बाद भी यह उपयोग के लायक नहीं बचा है। 

घटता वॉटर लेवल बढ़ा रहा है प्रदूषण - 

गर्मियों के मौसम में नदी का वॉटर लेवल काफी कम हो जाता है, इस के चलते प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। बढ़ते प्रदूषण का सर्वाधिक असर गोमती की सहायक नदियां झेल रही हैं। लगातार भूजल निष्कर्षण के चलते गोमती की लगभग 22 सह्यक नदियां सूख चुकी है। लखनऊ में थोड़ी थोड़ी दूरी पर बांध बनाकर गोमती को रोकने से उसके प्रवाह में कमी आई है, जिससे पानी का स्तर भी कम होता जा रहा है। 

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हालात इतने बदतर हैं कि रबर डैम लामार्टिनियर कॉलेज के पास आधा किलोमीटर से भी अधिक के स्ट्रेच तक गोमती विषैले झाग से अटी हुई है, पिपराघाट के पास नदी सीवेज फ़्लो के चलते काली और बदबूदार हो चुकी है और गोमती बैराज, पक्का पुल इत्यादि कुछ स्थानों पर नदी में जलकुंभी का बसेरा है।   

विभिन्न जलीय जीवन संकट में - 

गोमती नदी में पहले 53 प्रकार के जलीय जीवों का बसेरा था, जिनमें विभिन्न प्रजातियों की मछलियाँ, कछुए इत्यादि सहित बहुत से जलीय जीव मौजूद थे लेकिन आज इनकी संख्या घटकर मात्र 14-15 रह गई है। वहीं वर्तमान में मछलियों की केवल छह प्रजातियाँ ही गोमती में मिलती हैं। पहले पाई जाने वाली कतला, रोहू, निराला, पाबदा सहित अन्य बहुत सी मछलियों की प्रजाति रिवरफ्रन्ट से लेकर लगभग 28 किमी के अर्बन स्ट्रेच में विलुप्त हो गई है। इसके अलावा जलीय वनस्पतियों पर भी प्रदूषण का व्यापक प्रभाव देखने को मिला है।   

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निरंतर घटता जल प्रवाह कर रहा है गोमती को प्रदूषित, संरक्षण जरूरी-नदियां जो

लगातार घट रहा ऑक्सीजन लेवल परेशानी का कारण - 

गोमती का बढ़ता प्रदूषण स्तर बेहद चिंताजनक है, जिसके लिए पर्यावरणविदों ने लगातार रिपोर्ट बनाकर अधिकारियों तक भी पहुंचाई है। बढ़ती गर्मियों में पानी में ऑक्सीजन का लेवल काफी कम हो जाता है, जिससे जलीय जीवों को परेशानी होती है, यदि पानी में घुलने वाली ऑक्सीजन 4 मिलीग्राम प्रति लीटर से काम हो जाती है, तो जलीय जीवन खत्म हो जाएगा। शहीद स्मारक और शनि मंदिर घाट सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां पर डिसॉल्व ऑक्सीजन का लेवल 0.5 मिग्रा प्रति लीटर और 0.4 मिग्रा प्रति लीटर है। कुडिय़ाघाट, हनुमान सेतु व लोहिया पथ का डीओ भी दो मिग्रा प्रति लीटर है।

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जलकुंभी बन रही है जलजीवन के लिए घातक - 

 शोध में पाया गया कि जलकुंभी जैसी कई आक्रामक प्रजातियां तेजी से फैल कर झीलों और आर्द्रभूमि की देशी प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रही हैं। पानी में नाइट्रेट और फॉस्फेट के बढ़ते प्रदूषण के कारण आक्रामक प्रजातियां बढ़ रही हैं जो तालाबों व झीलों की सतह को पूरी तरह से आच्छादित कर लेती हैं। इससे प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण क्रिया प्रभावित होती है। वहीं अन्य प्रदूषकों के साथ पानी में मौजूद उच्च फॉस्फेट और नाइट्रेट तालाबों व झीलों में पोषक तत्व संवर्धन या यूट्रोफिकेशन होता है, जिससे जलीय पौधों की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। 

निरंतर घटता जल प्रवाह कर रहा है गोमती को प्रदूषित, संरक्षण जरूरी-नदियां जो

अशोधित सीवेज मुख्य रूप से उच्च फॉस्फोरस और नाइट्रेट लोडिंग आक्रामक प्रजातियां जैसे जलकुंभी के बेहिसाब फैलाव के लिए जिम्मेदार है जो भविष्य में देशी प्रजातियों के लिए खतरा बन सकता है। इसकी वजह से कई तरह के हानिकारक शैवाल जल में फैल जाते हैं जो अन्य जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

"थ्री एफ" और "थ्री बी" का अनुसरण जरूरी - 

किसी भी नदी के सुरक्षित और संवर्धित होने के लिए तीन एफ यानि फ्री फ़्लो (बिना किसी बाधा के नदी बहती रहे), फ्री फ्लड (नदी का बहाव किनारों तक पहुंचे) और फ्री टेरेस (सॉइल इरोशन से बचाव) का होना बेहद आवश्यक है। इसके साथ साथ ही थ्री बी यानि बैंक वेजिटेशन (नदी के किनारों पर प्राकृतिक वनस्पतियों की वृद्धि), बैंक्स को बड़ा करना और बेस फ़्लो का निर्धारित क्षमता में होना जरूरी है। प्रत्येक नदी स्वयं को कुदरती तौर पर स्वच्छ बनाने की क्षमता रखती है, इसलिए हमें नदियों के लिए बहुत बड़ी परियोजनाएं बनाने के स्थान पर छोटे छोटे स्टेप्स लेकर नदियों को स्वच्छ बनाना होगा।    

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