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आदि बद्रीबांध निर्माण - विलुप्त हुई पौराणिक सरस्वती नदी का होगा कायाकल्प, हरियाणा और हिमाचल के बीच हुआ समझौता

टपकती बूंदों में सरस्वती नदी की खोज

टपकती बूंदों में सरस्वती नदी की खोज Opinions & Updates

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   0

विलुप्त हो चुकी पौराणिक नदी सरस्वती का जीर्णोद्धार करने के सरकारी प्रयासों को हाल ही में तेजी मिली है, नदी को पुनर्जीवित करने की खबरें हालांकि साल दर साल आती जाती रही हैं। लेकिन इस बार हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकारों के मध्य हुए "आदिबद्री बांध निर्माण" समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से नदी के कायाकल्प की संभावनाओं को भी मजबूती मिल गई है। 21 जनवरी, 2022 को दोनों प्रदेशों की सरकार के बीच पंचकूला में 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाली आदिबद्री बांध परियोजना को लेकर हुए समझौते से सरस्वती पुनरुद्धार के साथ साथ आर्थिक विकास, पर्यटन विकास के अवसरों को भी बल मिलेगा। 

आदि बद्रीबांध निर्माण - विलुप्त हुई पौराणिक सरस्वती नदी का होगा कायाकल्प, हरियाणा और हिमाचल के बीच ह

दस्तावेज़ पर हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल और उनके हिमाचल समकक्ष राम सुभाग सिंह ने क्रमशः मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जय राम ठाकुर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर बोलते हुए, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का वह सपना पूरा होगा, जिसमें उन्होंने कुरुक्षेत्र में 3 अप्रैल, 2014 को लोगों को संबोधित करते हुए सरस्वती को पुनर्जीवित करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई थी। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उनका 35 साल पुराना सपना सच हो गया है क्योंकि उन्होंने 1986 में सरस्वती पर शोध के सिलसिले में साइट की यात्रा की थी और तभी से वह सरस्वती नदी को पुनर्जीवित होते देखना चाहते थे। 

एक नजर सरस्वती पुनर्जीवन योजना से जुड़े कुछ बिंदुओं पर -

1. सरस्वती के उद्गम बिंदु पर आदि बद्री बांध का किया जाएगा निर्माण। बांध की चौड़ाई 101.06 मीटर और ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। कुल 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी का प्रतिवर्ष होगा भंडारण। 

2. हिमाचल प्रदेश की 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा बांध। क्षेत्र के आर्थिक विकास, धार्मिक परिप्रेक्ष्य और पर्यटन क्षेत्र को मिलेगी प्रगति। 2024 तक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य। 

3. सोम नदी (यमुना की प्रमुख सहायक), जो आदि बद्री से होकर गुजरती है, को बांध में बदल दिया जाएगा, जिस पर आने वाला अनुमानित व्यय तकरीबन 215 करोड़ होगा। जहां से यह सरस्वती नदी की धारा के रूप में प्रवाहित होगी।

4. हिमाचल प्रदेश को इस परियोजना से प्रतिवर्ष मिलेगा 61.88 हेक्टेयर मीटर पानी, जिसमें से 57.96 हेक्टेयर मीटर सिंचाई और 3.92 हेक्टेयर मीटर पेयजल के तौर पर किया जाएगा उपयोग। 

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5. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, बांध निर्माण से वर्ष भर 20 क्यूसेक पानी के साथ बहती रहेगी सरस्वती। हरियाणा को प्रतिवर्ष मिलेगा मिलेगा 162 हेक्टेयर पानी।   

6. हरियाणा सरकार ने सरस्वती पुनर्जीवन के लिए 800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तैयार किया खाका। 

7. बांध परियोजना के लिए जमीनी निरीक्षण का कार्य एनआईएच (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान) रुड़की, जीएसआई (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) और केंद्रीय भूजल बोर्ड की निगरानी में किया गया है। केंद्रीय जल आयोग बांध के डिजाइन वाले हिस्से पर कर रहा है काम। 

8. कार्य की योजना, पर्यवेक्षण और निगरानी के लिए किया गया है आदि बद्री बांध निर्माण निगरानी समिति का गठन। 

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9. हरियाणा में स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल होगा सरस्वती नदी का इतिहास, साथ ही कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में भी सरस्वती को लेकर विशेष पाठ्यक्रम और शोध परियोजनाओं की होगी शुरुआत। 

10. बांध से न केवल सरस्वती पुनरुद्धार होगा, अपितु भूजल संरक्षण को भी मिलेगी गति, विशेषकर कुरुक्षेत्र और कैथल जिलों में भूजल होगा रिचार्ज। सोम नदी के प्राकृतिक तालाबों, झीलों इत्यादि का भी होगा संरक्षण। 

11. प्रथम चरण में नदी की पौराणिकता और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पिहोवा तक नदी किनारे पर्यटन स्थलों का किया जाएगा विकास।   

सरस्वती नदी उद्गम से जुड़े अहम तथ्य - 

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1. भारत सरकार के अनुसार सिरमौर जिले की नाहन तहसील से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मार्कन्डेय आश्रम सरस्वती नदी की आधिकारिक उद्गम स्थली है। ऋग्वेद, वामन पुराण, गरुड पुराण, स्कन्द पुराण इत्यादि  वेदों-पुराणों के आधार पर मिली जानकारी इस तथ्य को मजबूती देती है।  

2. वहीं हरियाणा सरकार का मानना है कि सरस्वती नदी का उद्गम स्थल यमुनानगर जिले के उत्तरी भाग आदि बद्री, भाबर क्षेत्र में शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में मौजूद है। पुरातात्विक स्थलों की खुदाई से भी या साबित होता है कि वाकई आदिबद्री में सरस्वती नदी का स्त्रोत है।  

3. सैटेलाईट चित्रों से प्रमाणित होता है कि आज से साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व वैदिक काल में एक बड़ी नदी हिमालय की तलहटी से निकलती थी, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात इत्यादि राज्यों से बहते हुए अरब सागर में समाहित हो जाती थी। इसे सरस्वती नदी ही माना जाता है। भू-गर्भीय बदलावों के चलते यह नदी कालांतर में ही सूख गई। भू-वैज्ञानिक आज भी धरती के अंदर सरस्वती नदी के प्रवाहित होने का दावा करते हैं। 

4. पौराणिक हिन्दु ग्रंथों तथा ऋग्वेद में सरस्वती नदी का वर्णन मिलता है, यह प्रमुख नदियों में से एक है। ऋग्वेद के नदी सूक्त में एक श्लोक (10.75) आता है जिसमें सरस्वती नदी को यमुना के पूर्व और सतलुज के पश्चिम में बहती हुई बताया गया है। यही नहीं आज जिस तरह से सरस्वती सूख चुकी है वैसा ही कुछ उदहारण हमें उत्तर वैदिक ग्रंथों जैसे ताण्डय और जैमिनिय ब्राह्मण में भी मिलते हैं जहां सरस्वती नदी को मरुस्थल में सूखा हुआ बताया गया है, महाभारत भी सरस्वती नदी के मरुस्थल में विनाशन नाम के स्थान में अदृश्य होने का वर्णन करता है। 

5. कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि भूचाल आने के कारण जब जमीन ऊपर उठी तो सरस्वती नदी का पानी यमुना में गिर गया। इसलिए यमुना में सरस्वती का पानी भी प्रवाहित होने लगा।       

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