
बजट के दोगुना से भी ज्यादा हुआ खर्च
गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कई लोगों के लिए गले में फंसी हड्डी बन चुका है. नित्य रोज होते नए घटनाक्रम ने रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के काले सच को ही उजागर करने का कार्य किया है. परत-दर-परत कई सच सामने आ रहे हैं और कई लोग इस में फंसते दिख रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का बजट 550 करोड़ रुपए रखा गया था जो उसी दौरान दोगुने से भी अधिक बढ़कर 1467 करोड़ रुपए हो गया. इसे विडंबना ही कहिए की इनमें से 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं जबकि अभी बहुत से कार्य का होना बाकी ही है.
मुख्यमंत्री को नहीं भाई फिजूलखर्ची
ऐसे में नई सरकार सत्ता में आती है और उस सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना में बड़े स्तर पर हुई अनियमितता दिखाई पड़ती है. इस परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना को पूरा करने का अतिरिक्त खर्च अब भी 15000 करोड़ से ज़्यादा बताया जाता है जिससे नाराज मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत ही जांच का आदेश दिया जाता है. सर्वप्रथम इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अगुवाई में जजों की एक कमेटी ने इसकी जांच शुरू की. तत्पश्चात नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में भी एक कमेटी बनाई गई और उसके बाद इसकी जांच की सिफारिश सीबीआई को सौंपी जाने की बात हुई जिसे सीबीआई को सौंपा जा चुका है. इस मामले में कई इंजीनियरों पर कार्रवाई हो चुकी है.
आइए जानते हैं घटनाक्रम में हुए नए बदलावों के बारे में :-
अब अंबेडकर बंधे से कुड़ीघाट नहीं कलाकोठी तक गोमती के किनारों को विकसित किया जयेगा
गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना में हुए अनियमितता से खफा मुख्यमंत्री ने एक बैठक में फिजूलखर्ची में कटौती करते हुए इसे कम से कम में पूरा करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री का आदेश का पालन करते हुए नए प्रस्ताव के तहत इसे 350 करोड रुपए में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही साथ इसके लिए एनओसी भी पर्यावरण विभाग से ली जाएगी. इस परियोजना के तहत पहले अंबेडकर बंधे से कुड़ीघाट तक गोमती के किनारों को विकसित करने का प्लान था. नई सरकार में इसे कलाकोठी तक विकसित किया जाएगा.
सीबीआई को सौंपी गई जांच
राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक जांच करवाए जाने के बाद प्रथम दृष्टया इस परियोजना में हुई कई अनियमितता और गड़बड़ी जांच समितियों को नजर आई. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का मन बनाया. केंद्र सरकार ने 24 नवंबर 2017 को इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया. इसके पहले जांच समिति ने 16 मई 2017 को अपनी रिपोर्ट में अनियमितता का संकेत दिया था जिसके आधार पर 19 जून 2017 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पूरी प्रक्रिया के तहत गोमती नगर थाने में प्राथमिकी फिर से दर्ज की है.
सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर
सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट में हुए अनियमितता की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने गोमती रिवर चैनलाइजिंग परियोजना और गोमती रिवरफ्रंट विकास योजना के क्रियान्वयन में आपराधिक इरादे के साथ हुई अनियमितताओं की जांच के लिए कहा था. इस परियोजना कार्य को राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा किया जा रहा था. सीबीआई ने पूरे मामले में सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमती नगर थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर को आधार बनाया है. लखनऊ की सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच ने मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद के साथ आठ अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है. इन लोगों के नाम हैं:
मुख्य इंजीनियर्स - सुरेश चंद, एस एन शर्मा, काजिम अली
तत्कालीन इंजीनियर- मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रुप सिंह यादव
कार्यकारी इंजीनियर - सुरेंद्र यादव
इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. इनमें से चार लोग यानी गुलाब चंद, शिव मंगल यादव, अखिल रमन और रूप सिंह यादव अब रिटायर्ड हो चुके हैं. जल्द ही सीबीआई की टीम इन लोगों के ठिकानों पर छापे मार सकती है. सीबीआई रिवरफ्रंट में हुए अनियमितता को लेकर प्रारंभिक जांच भी करेगी और गड़बड़ी सामने आने पर उनमें भी एफआईआर दर्ज की जाएगी.
ज्यादा कीमतों पर खरीदे गए सामान
आपको बता दें कि रिवरफ्रंट निर्माण का कार्यभार तब के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुरू करवाया था. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई थी कि दागी कंपनियों को निर्माण कार्य सौंपा गया था और उस दौरान सामान ज्यादा कीमत पर विदेशों से खरीदा गया था. इस परियोजना के लिए 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था तो वहीं चार करोड़ की लागत से वाटर बस मंगाई गई थी.
CBI regist...now.pdf
nbt.pdf
CBI takes ...ent.pdf
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Swarntabh Kumar 77
बजट के दोगुना से भी ज्यादा हुआ खर्च
गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कई लोगों के लिए गले में फंसी हड्डी बन चुका है. नित्य रोज होते नए घटनाक्रम ने रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के काले सच को ही उजागर करने का कार्य किया है. परत-दर-परत कई सच सामने आ रहे हैं और कई लोग इस में फंसते दिख रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का बजट 550 करोड़ रुपए रखा गया था जो उसी दौरान दोगुने से भी अधिक बढ़कर 1467 करोड़ रुपए हो गया. इसे विडंबना ही कहिए की इनमें से 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं जबकि अभी बहुत से कार्य का होना बाकी ही है.
मुख्यमंत्री को नहीं भाई फिजूलखर्ची
ऐसे में नई सरकार सत्ता में आती है और उस सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना में बड़े स्तर पर हुई अनियमितता दिखाई पड़ती है. इस परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना को पूरा करने का अतिरिक्त खर्च अब भी 15000 करोड़ से ज़्यादा बताया जाता है जिससे नाराज मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत ही जांच का आदेश दिया जाता है. सर्वप्रथम इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अगुवाई में जजों की एक कमेटी ने इसकी जांच शुरू की. तत्पश्चात नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में भी एक कमेटी बनाई गई और उसके बाद इसकी जांच की सिफारिश सीबीआई को सौंपी जाने की बात हुई जिसे सीबीआई को सौंपा जा चुका है. इस मामले में कई इंजीनियरों पर कार्रवाई हो चुकी है.
आइए जानते हैं घटनाक्रम में हुए नए बदलावों के बारे में :-
अब अंबेडकर बंधे से कुड़ीघाट नहीं कलाकोठी तक गोमती के किनारों को विकसित किया जयेगा
गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट परियोजना में हुए अनियमितता से खफा मुख्यमंत्री ने एक बैठक में फिजूलखर्ची में कटौती करते हुए इसे कम से कम में पूरा करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री का आदेश का पालन करते हुए नए प्रस्ताव के तहत इसे 350 करोड रुपए में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही साथ इसके लिए एनओसी भी पर्यावरण विभाग से ली जाएगी. इस परियोजना के तहत पहले अंबेडकर बंधे से कुड़ीघाट तक गोमती के किनारों को विकसित करने का प्लान था. नई सरकार में इसे कलाकोठी तक विकसित किया जाएगा.
सीबीआई को सौंपी गई जांच
राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक जांच करवाए जाने के बाद प्रथम दृष्टया इस परियोजना में हुई कई अनियमितता और गड़बड़ी जांच समितियों को नजर आई. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का मन बनाया. केंद्र सरकार ने 24 नवंबर 2017 को इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया. इसके पहले जांच समिति ने 16 मई 2017 को अपनी रिपोर्ट में अनियमितता का संकेत दिया था जिसके आधार पर 19 जून 2017 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पूरी प्रक्रिया के तहत गोमती नगर थाने में प्राथमिकी फिर से दर्ज की है.
सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर
सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट में हुए अनियमितता की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने गोमती रिवर चैनलाइजिंग परियोजना और गोमती रिवरफ्रंट विकास योजना के क्रियान्वयन में आपराधिक इरादे के साथ हुई अनियमितताओं की जांच के लिए कहा था. इस परियोजना कार्य को राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा किया जा रहा था. सीबीआई ने पूरे मामले में सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमती नगर थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर को आधार बनाया है. लखनऊ की सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच ने मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद के साथ आठ अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है. इन लोगों के नाम हैं:
मुख्य इंजीनियर्स - सुरेश चंद, एस एन शर्मा, काजिम अली
तत्कालीन इंजीनियर- मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रुप सिंह यादव
कार्यकारी इंजीनियर - सुरेंद्र यादव
इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. इनमें से चार लोग यानी गुलाब चंद, शिव मंगल यादव, अखिल रमन और रूप सिंह यादव अब रिटायर्ड हो चुके हैं. जल्द ही सीबीआई की टीम इन लोगों के ठिकानों पर छापे मार सकती है. सीबीआई रिवरफ्रंट में हुए अनियमितता को लेकर प्रारंभिक जांच भी करेगी और गड़बड़ी सामने आने पर उनमें भी एफआईआर दर्ज की जाएगी.
ज्यादा कीमतों पर खरीदे गए सामान
आपको बता दें कि रिवरफ्रंट निर्माण का कार्यभार तब के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुरू करवाया था. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई थी कि दागी कंपनियों को निर्माण कार्य सौंपा गया था और उस दौरान सामान ज्यादा कीमत पर विदेशों से खरीदा गया था. इस परियोजना के लिए 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था तो वहीं चार करोड़ की लागत से वाटर बस मंगाई गई थी.
CBI regist...now.pdf
nbt.pdf
CBI takes ...ent.pdf