नेता जनता को खुश करने के लिए कुछ भी बोल देते हैं। इस कड़ी में आज हम पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केजवरीवाल के तीन प्रमुख बयानों को शामिल कर रहे हैं। उनकी हकीकत को जानने की एक कोशिश कर रहे हैं।

आठ सितंबर 2016 को बोले अरविंद केजवरीवाल
बयान एक
तारीख आठ सितंबर 2016, पंजाब के 4 दिन के दौरे पर लुधियाना पहुंचे केजरीवाल ने विरोधियों पर जमकर हमला बोला। दौरे के पहले दिन अरविंद केजरीवाल लोगों के बीच पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम बादलों से डरने वाले नहीं हैं बल्कि उन्हें जेल भेजेंगे। केजरीवाल ने कहा, 'मैं भी अब पंजाब आ गया हूं, अब खूटा गाड़ कर बैठ रहा हूं और बादलों का खूटा उखाड़ कर ही जाउंगा।
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बयान दो
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की गर्जना जारी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी बातें और धमकाने वाले केजरीवाल ने यहां भी धमकी दी है कि पंजाब में सरकार बनने के महीने भर के अंदर ही वो विक्रम सिंह मजीठिया को जेल भेज देंगे।
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बयान तीन
केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार आई तो 5 साल के अंदर 25 लाख नए रोज़गार दिए जाएंगे। दिल्ली में हमने 100 मोहला क्लिनिक बनाए हैं। हमने ईस्ट दिल्ली में फ्री वाईफाई की शुरुआत कर दी है। यहां आए तो पंजाब के हर गांव में फ्री वाईफाई दिए जाएंगे। पंजाब के अंदर भी प्राइवेट स्कूल की फीस बढ़ने से रोकी जाएगी। सरकार बनने के 1 महीने के अंदर मजीठिया को जेल भेजेंगे। पंजाब को नशा मुक्त एक ही पार्टी कर सकती है। वो है आम आदमी पार्टी। हमें युद्ध स्तर पर नशा मुक्ति से लड़ना होगा। पंजाब के सारे डॉक्टर को इसमें लगाना पड़ेगा। जितने भी झूठे केस हैं, वो सारे वापस लिए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि कोई एक पार्टी पंजाब को भष्ट्राचार से मुक्त कर सकती है तो वो है आम आदमी पार्टी।
हकीकत
विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। केजरीवाल मतदान के बाद से अभी तक पंजाब में नजर भी नहीं आए हैं।
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नेताओं के गैर जिम्मेदाराना बयान किसके लिए हैं, क्यों हैं और इसकी हकीकत क्या है। इसी को लेकर बैलटबाक्सइंडिया ने एक पहल की है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा है, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ में ली। लेकिन उनके ज्यादातर बयान सिर्फ ऐसे थे जिसमें जिम्मेदारी का बेहद अभाव नजर आ रहा था। मसलन वें कह रहे थे कि बादलों को जेल में भेजेंगे।
लेकिन कैसे?
केजवरीवाल इस बात को बहुत ही चतुराई से जनता के बीच में रख रहे थे। लेकिन अपनी यह बात कैसे पूरी करेंगे इसक रोड मैप उनके पास नहीं था। बादलों को किस आरोप में जेल भेजेंगे। इसके लिए केजरीवाल या आम आदमी पार्टी ने क्या ग्राउंड वर्क किया ऐसी कोई जानकारी उनकी ओर से नहीं दी गई।
क्यों देते हैं ऐसे बयान
फौरी लाभ के लिए
इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस एंड स्टडीज के प्रोफेसर डाक्टर विक्रम सिंह चौहान ने बताया कि केजरीवाल का यह बयान सिर्फ मतदाता को खुश करने के लिए था। क्योंकि पंजाब में बादलों के खिलाफ कोई ज्यादा बोल नहीं रहा था। केजरीवाल जानते हैं कि यदि वें बादलों पर सीधा अटैक करते हैं तो मतदाता खुश होगा और उनकी छवि पंजाब में ऐसे नेता के तौर पर बनेगी जो बादलों के खिलाफ बोल सकता है। इसका उन्हें चुनाव में लाभ मिलेगा। इसी सोच के चलते केजरीवाल ने यह बयान दिया। निश्चित ही इस तरह के बयान से समाज का कोई भला होने वाला नहीं है। यह फौरी तौर पर तो मतदाता को पार्टी के साथ जोड़ सकता है, लेकिन यदि बदलाव की बात करें तो इससे क्या बदलाव होने वाला है? जाहिर है कुछ भी नहीं। पर क्योंकि केजरीवाल लोगों की भावना को भुनाना चाहते थे। इसी सोच के चलते उन्होंने यह बयान दिया है।
मतदाता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए
ऐसा नहीं है पंजाब में मुद्दों की कमी है। लेकिन उन्हें पता है कि मुद्दे उठाते हैं तो वायदा करना होगा। जिसे पूरा भी करना होगा। इसलिए ऐसे बयान दिए जाते हैं कि जिससे मतदाता का ध्यान मुद्दों से हटा रहे। उन्हें असली मुद्दों पर आने ही न दिया जाए। इस बार के पंजाब विधानसभा चुनाव पर बुक लिख कर वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र कुमार ने बताया कि मुख्य मुद्दों से यह चुनाव बहुत दूर रहा। केजरीवाल यहां कोई बदलाव करने नहीं बस किसी भी तरह पंजाब की सत्ता पर काबिज होना चाह रहे थे। इसी को लेकर उनकी टीम ने ऐसी रणनीति बनाई।
कोई जवाबदेही नहीं होती
एक बड़ी दिक्कत यह है कि नेता बोल रहा है और मतदाता उसे सुन रहा है। नेता का जो मन करता है बोलता रहता है। जनता उससे सवाल नहीं पूछ सकती। इस तरह से नेता मतदान से पहले और मतदान के बाद भी जवाबदेही से बचा रहता है। यहीं वजह है कि नेता रैलियों और सभाओं में जो मन आता है बोल हैं। उन्हें पता होता है कि इस बयान पर कोई सवाल पूछने वाला नहीं होता। हद तो यह है कि उनके घोषणा पत्र पर भी ज्यादातर मतदाता ध्यान ही नहीं देते। यहीं वजह है कि चुनाव जीतने या हारने के बाद नेता जो कहते हैं वह कुछ नहीं करते।
यह स्थिति स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानी जा सकती
जानकारों का कहना है कि यह स्थिति स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानी जा सकती। आज देश को आजाद हुए इतना समय हो गया, हमारी दिककत वहीं की वहीं है। हेल्थ, शिक्षा, पीने का पानी और रोड जैसी मूलभूत जरूरत तक पूरी नहीं हो रही है। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि नेता जवाबदेह नहीं हैं। मतदाता उनसे सवाल नहीं पूछ रहे हैं। राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डाक्टर दिनेश के सिंह ने बताया कि लोकतंत्र में प्रेशर ग्रुप की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है। जो सत्ता को निरंकुश होने से रोकती है। हमारे यहां प्रेशर ग्रुप जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। चुनाव होने के बाद हारने वाला अपने काम में मस्त हो जाता है और जीतने वाला सत्ता सुख भोगने में। जनता फिर वहीं घूमफिर कर अपनी रोजमर्रा की दिक्कतों से दो चार होती रहती है। यह हर पांच साल के बाद हो रहा है। ऐसे में मतदाता को जागरूक होना ही होगा। क्योंकि उसकी जागरूकता के बाद ही हालात में कुछ बदलाव हो सकते हैं। अन्यथा नेता कुछ भी बोलते रहेंगे।
गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य के लिए अरविंद केजरीवाल हुए डाउनग्रेड

अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और यह काफी जिम्मेदाराना पद है. इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल की जनता के प्रति जवाबदेही और जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. ऐसे में वह जो बोलते हैं वह समाज के प्रतिनिधि के तौर पर बोलते हैं. उन्हें सोच समझकर अपनी बातें रखनी चाहिए और जो भी बोलते हैं उसे पूरा करना चाहिए. लोगों में झूठी उम्मीद जगाना और जनता को गुमराह करना उन्हें शोभा नहीं देता. अपनी गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य के लिए हम अरविंद केजरीवाल को डाउनग्रेड करते हैं. उम्मीद है अपने पद की गरिमा और मांग को समझते हुए अरविंद केजरीवाल अपनी बातों में गंभीरता लाएंगे.
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Swarntabh Kumar 152
आठ सितंबर 2016 को बोले अरविंद केजवरीवाल
बयान एक
तारीख आठ सितंबर 2016, पंजाब के 4 दिन के दौरे पर लुधियाना पहुंचे केजरीवाल ने विरोधियों पर जमकर हमला बोला। दौरे के पहले दिन अरविंद केजरीवाल लोगों के बीच पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम बादलों से डरने वाले नहीं हैं बल्कि उन्हें जेल भेजेंगे। केजरीवाल ने कहा, 'मैं भी अब पंजाब आ गया हूं, अब खूटा गाड़ कर बैठ रहा हूं और बादलों का खूटा उखाड़ कर ही जाउंगा।
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बयान दो
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की गर्जना जारी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी बातें और धमकाने वाले केजरीवाल ने यहां भी धमकी दी है कि पंजाब में सरकार बनने के महीने भर के अंदर ही वो विक्रम सिंह मजीठिया को जेल भेज देंगे।
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बयान तीन
केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार आई तो 5 साल के अंदर 25 लाख नए रोज़गार दिए जाएंगे। दिल्ली में हमने 100 मोहला क्लिनिक बनाए हैं। हमने ईस्ट दिल्ली में फ्री वाईफाई की शुरुआत कर दी है। यहां आए तो पंजाब के हर गांव में फ्री वाईफाई दिए जाएंगे। पंजाब के अंदर भी प्राइवेट स्कूल की फीस बढ़ने से रोकी जाएगी। सरकार बनने के 1 महीने के अंदर मजीठिया को जेल भेजेंगे। पंजाब को नशा मुक्त एक ही पार्टी कर सकती है। वो है आम आदमी पार्टी। हमें युद्ध स्तर पर नशा मुक्ति से लड़ना होगा। पंजाब के सारे डॉक्टर को इसमें लगाना पड़ेगा। जितने भी झूठे केस हैं, वो सारे वापस लिए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि कोई एक पार्टी पंजाब को भष्ट्राचार से मुक्त कर सकती है तो वो है आम आदमी पार्टी।
हकीकत
विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। केजरीवाल मतदान के बाद से अभी तक पंजाब में नजर भी नहीं आए हैं।
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नेताओं के गैर जिम्मेदाराना बयान किसके लिए हैं, क्यों हैं और इसकी हकीकत क्या है। इसी को लेकर बैलटबाक्सइंडिया ने एक पहल की है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा है, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ में ली। लेकिन उनके ज्यादातर बयान सिर्फ ऐसे थे जिसमें जिम्मेदारी का बेहद अभाव नजर आ रहा था। मसलन वें कह रहे थे कि बादलों को जेल में भेजेंगे।
लेकिन कैसे?
केजवरीवाल इस बात को बहुत ही चतुराई से जनता के बीच में रख रहे थे। लेकिन अपनी यह बात कैसे पूरी करेंगे इसक रोड मैप उनके पास नहीं था। बादलों को किस आरोप में जेल भेजेंगे। इसके लिए केजरीवाल या आम आदमी पार्टी ने क्या ग्राउंड वर्क किया ऐसी कोई जानकारी उनकी ओर से नहीं दी गई।
क्यों देते हैं ऐसे बयान
फौरी लाभ के लिए
इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस एंड स्टडीज के प्रोफेसर डाक्टर विक्रम सिंह चौहान ने बताया कि केजरीवाल का यह बयान सिर्फ मतदाता को खुश करने के लिए था। क्योंकि पंजाब में बादलों के खिलाफ कोई ज्यादा बोल नहीं रहा था। केजरीवाल जानते हैं कि यदि वें बादलों पर सीधा अटैक करते हैं तो मतदाता खुश होगा और उनकी छवि पंजाब में ऐसे नेता के तौर पर बनेगी जो बादलों के खिलाफ बोल सकता है। इसका उन्हें चुनाव में लाभ मिलेगा। इसी सोच के चलते केजरीवाल ने यह बयान दिया। निश्चित ही इस तरह के बयान से समाज का कोई भला होने वाला नहीं है। यह फौरी तौर पर तो मतदाता को पार्टी के साथ जोड़ सकता है, लेकिन यदि बदलाव की बात करें तो इससे क्या बदलाव होने वाला है? जाहिर है कुछ भी नहीं। पर क्योंकि केजरीवाल लोगों की भावना को भुनाना चाहते थे। इसी सोच के चलते उन्होंने यह बयान दिया है।
मतदाता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए
ऐसा नहीं है पंजाब में मुद्दों की कमी है। लेकिन उन्हें पता है कि मुद्दे उठाते हैं तो वायदा करना होगा। जिसे पूरा भी करना होगा। इसलिए ऐसे बयान दिए जाते हैं कि जिससे मतदाता का ध्यान मुद्दों से हटा रहे। उन्हें असली मुद्दों पर आने ही न दिया जाए। इस बार के पंजाब विधानसभा चुनाव पर बुक लिख कर वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र कुमार ने बताया कि मुख्य मुद्दों से यह चुनाव बहुत दूर रहा। केजरीवाल यहां कोई बदलाव करने नहीं बस किसी भी तरह पंजाब की सत्ता पर काबिज होना चाह रहे थे। इसी को लेकर उनकी टीम ने ऐसी रणनीति बनाई।
कोई जवाबदेही नहीं होती
एक बड़ी दिक्कत यह है कि नेता बोल रहा है और मतदाता उसे सुन रहा है। नेता का जो मन करता है बोलता रहता है। जनता उससे सवाल नहीं पूछ सकती। इस तरह से नेता मतदान से पहले और मतदान के बाद भी जवाबदेही से बचा रहता है। यहीं वजह है कि नेता रैलियों और सभाओं में जो मन आता है बोल हैं। उन्हें पता होता है कि इस बयान पर कोई सवाल पूछने वाला नहीं होता। हद तो यह है कि उनके घोषणा पत्र पर भी ज्यादातर मतदाता ध्यान ही नहीं देते। यहीं वजह है कि चुनाव जीतने या हारने के बाद नेता जो कहते हैं वह कुछ नहीं करते।
यह स्थिति स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानी जा सकती
जानकारों का कहना है कि यह स्थिति स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं मानी जा सकती। आज देश को आजाद हुए इतना समय हो गया, हमारी दिककत वहीं की वहीं है। हेल्थ, शिक्षा, पीने का पानी और रोड जैसी मूलभूत जरूरत तक पूरी नहीं हो रही है। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि नेता जवाबदेह नहीं हैं। मतदाता उनसे सवाल नहीं पूछ रहे हैं। राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डाक्टर दिनेश के सिंह ने बताया कि लोकतंत्र में प्रेशर ग्रुप की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है। जो सत्ता को निरंकुश होने से रोकती है। हमारे यहां प्रेशर ग्रुप जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। चुनाव होने के बाद हारने वाला अपने काम में मस्त हो जाता है और जीतने वाला सत्ता सुख भोगने में। जनता फिर वहीं घूमफिर कर अपनी रोजमर्रा की दिक्कतों से दो चार होती रहती है। यह हर पांच साल के बाद हो रहा है। ऐसे में मतदाता को जागरूक होना ही होगा। क्योंकि उसकी जागरूकता के बाद ही हालात में कुछ बदलाव हो सकते हैं। अन्यथा नेता कुछ भी बोलते रहेंगे।
गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य के लिए अरविंद केजरीवाल हुए डाउनग्रेड
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और यह काफी जिम्मेदाराना पद है. इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल की जनता के प्रति जवाबदेही और जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. ऐसे में वह जो बोलते हैं वह समाज के प्रतिनिधि के तौर पर बोलते हैं. उन्हें सोच समझकर अपनी बातें रखनी चाहिए और जो भी बोलते हैं उसे पूरा करना चाहिए. लोगों में झूठी उम्मीद जगाना और जनता को गुमराह करना उन्हें शोभा नहीं देता. अपनी गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य के लिए हम अरविंद केजरीवाल को डाउनग्रेड करते हैं. उम्मीद है अपने पद की गरिमा और मांग को समझते हुए अरविंद केजरीवाल अपनी बातों में गंभीरता लाएंगे.