नहीं बन रहे इंसान इस धरती पर
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By
Chandra Bhushan Tiwari 46
बन गए बहुत डॉक्टर इंजिनियर पर नहीं बने इंसान इस धरती पर
बच्चे ,पशु ,पक्षी परेशान इस धरती पर।।
कोई अधिकारी, कोई व्यापारी, कोई वैज्ञानिक, कहलाता है,
खेती, बाग़, पशुपालन, छोड़ सब नौकर बनने जाता है,
कही साधन सुविधा बहुत दिख रहा, पर नहीं दिख रहा इंसान इस धरती पर
बच्चे ,पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।।
लोग बने मशीन यहां, भाव भावना नहीं बची,
प्रेम और विश्वास ह्रदय में, करुणा दया भी नहीं बची,
एक दूसरे का शोषण, तेज़ी से भाग रहा इंसान इस धरती पर
बच्चे, पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।।
उपजाऊ धरती पर मानव कंकड़, पत्थर सजा लिया,
पशु-पक्षी को मार- मार कर असमय मानव खा लिया,
नदियों, तालाबों, बाग़, वनो, का बहुत हाल बेहाल इस धरती पर
बच्चे, पशु, पक्षी, परेशान इस धरती पर।।
स्वयं मनुष्य बन गए है भूषण मानवता अपनाये है,
प्रेम करुणा दया से भरकर, सबको गले लगाए है,
नहीं रहे कोई भूखा नंगा, सबको रहे यह ज्ञान इस धरती पर।।
सबका मंगल कल्याण इस धरती पर,
न हो कोई परेशान इस धरती पर,
चला रहे अभियान इस धरती पर,
इस धरती पर इस धरती पर इस धरती पर।।