अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.
मीडिया नहीं सूचना का अधिकार तो है ना
अरुणाचल प्रदेश उत्तर पूर्व का एक छोटा सा राज्य जहां की पर्याय ख़बरें आम भारत का हिस्सा नहीं बन पाती. मगर यहां भी आज से 11 वर्ष पूर्व पूरे भारत वर्ष की तरह सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था. जहां की खबरें देने से मीडिया की स्याही फीकी पड़ जाती हैं वैसे राज्यों में सूचना का अधिकार अधिनियम और भी असरदार हथियार बन जाता है. आज यहां कि किसी खास तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी को मीडिया की आवश्यकता नहीं बल्कि जरुरत है जरा सी जागरूकता और इच्छाशक्ति की. सूचना के अधिकार के माध्यम से आप सरकारी तंत्रों से भी सवाल कर सकते हो. उनके काम-काज की जानकरी प्राप्त कर सकते हो. अपने प्रश्नों से उनकी जवाबदेही भी तय कर किया जा सकता है.
आरटीआई भारत का सबसे सशक्त कानून
आजादी के बाद पारित अब तक जितने भी कानून है उनमें से आरटीआई कानून भारत की सबसे सशक्त और प्रगतिशील अधिनियमों में से एक है, लेकिन अब भी आरटीआई के पूर्ण शक्ति का उपयोग होना अभी बाकी है. आरटीआई असरदार कानून अवश्य है मगर सरकार, मीडिया एवं नागरिक समाज को अभी इसकी ढेरों अड़चनों को दूर करने की जरूरत है. सूचना का अधिकार का एक मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा किये जाने वाले कार्यो में पारदर्शिता लाना और साथ ही उनकी जवाबदेही तय करने के लिये सभी नागरिक को अधिकार देना है. इस तरह यह कानून भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने का एक सशक्त औजार तो है पर इसके बेहतर क्रियान्वयन में बहुत सारी बाधाएं भी हैं.
10 रूपए में नहीं दस्तावेज की प्रतिया अब मिलेंगी 2 रूपए में
मगर इन्हीं सब बाधाओं से लड़ते हुए कुछ लोग अपने अधिकारों का उपयोग बहुत ही अच्छे तरीके से करते हैं. इन्हीं में से एक नाम नबाम पाली का है. अरुणाचल प्रदेश का युवा आरटीआई कार्यकर्ता जिन्हें एक बार बाल विकास सेवा से संबंधित दस्तावेज को प्राप्त करने के लिए जन सूचना अधिकारी द्वारा 10 रूपए प्रतियों के हिसाब से 5,75,700 रूपए मांगे गए, जो किसी भी आम आदमी के लिए बेहद ही ज्यादा होते हैं. मगर अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए और क़ानूनी हस्तक्षेप से उन्होंने राज्य सरकार अधिनियम के तहत दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने के लिए 10 रूपए की रकम को 2 रूपए करवाया. यह एक मिसाल है.
अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न
अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न मनाने जा रहा है. जिसमें 19 अक्टूबर को सबसे अच्छे आरटीआई कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जायेगा. अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग ने 10 अक्टूबर तक लोगों से उनकी सफलता की काहानिया मांगी है. इसमें केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त, दूसरे राज्यों के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्वोत्तर राज्यों के सूचना आयुक्त भाग लेंगे. मगर क्या सच में अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग अपने कार्यान्वयन के 10 साल का जश्न मनाने का हक़ है?
यह जश्न नहीं बैमानी है
अगर सच कहा जाए तो अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न कहीं ना कहीं बैमानी लगता है. आरटीआई में पूछे गए साधारण प्रश्नों के जवाब में आपका आना-कानी करना, उसका कोई जवाब नहीं देना शायद आप भी उचित नहीं ही मानते होंगे. एक साल से अधिक समय के बाद भी जब हमारे एक साधारण प्रश्न का कि क्या आपके पास आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था है? आप जवाब देना मुनासीब नहीं समझते हैं तो इसे आप ही बताइये क्या माना जाए? 19 अक्टूबर को आप अपने कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न मनाएंगे मगर उसके पहले हम आपको हमारे आरटीआई का जवाब ना देने के कारण और आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन सुविधा ना प्रदान किये जाने पर डाउनग्रेड करते हैं.

क्या चाहते हैं हम?
एक ऐसा भारत जहां हर राज्य के पास ऐसी उन्नत व्यवस्था हो जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिल सके. जिससे आरटीआई एक्ट में पारदर्शिता लाई जा सके. जहां आपको आरटीआई दाखिल करने के लिए भटकने के आवश्यकता ना पड़े. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. जब केंद्र सरकार आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?
अगर आप आरटीआई विशेषज्ञ हैं या आरटीआई कार्यकर्ता जो वास्तव में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बेहतरी के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो अपना विवरण हमें coordinators@ballotboxindia.com पर भेजें.
आप किसी को जानते हैं, जो इस मामले का जानकार है, एक बदलाव लाने का इच्छुक हो. तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.
अगर आप अपने समुदाय की बेहतरी के लिए थोड़ा समय दे सकते हैं तो हमें बताये और समन्वयक के तौर हमसे जुड़ें.
क्या आपके प्रयासों को वित्त पोषित किया जाएगा? हाँ, अगर आपके पास थोड़ा समय,कौशल और योग्यता है तो BallotBoxIndia आपके लिए सही मंच है. अपनी जानकारी coordinators@ballotboxindia.com पर हमसे साझा करें.
धन्यवादCoordinators @ballotboxindia.com
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Swarntabh Kumar 39
अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग को आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) का जवाब ना देने और आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था ना कर पाने के कारण किया गया डाउनग्रेड.
मीडिया नहीं सूचना का अधिकार तो है ना
अरुणाचल प्रदेश उत्तर पूर्व का एक छोटा सा राज्य जहां की पर्याय ख़बरें आम भारत का हिस्सा नहीं बन पाती. मगर यहां भी आज से 11 वर्ष पूर्व पूरे भारत वर्ष की तरह सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था. जहां की खबरें देने से मीडिया की स्याही फीकी पड़ जाती हैं वैसे राज्यों में सूचना का अधिकार अधिनियम और भी असरदार हथियार बन जाता है. आज यहां कि किसी खास तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी को मीडिया की आवश्यकता नहीं बल्कि जरुरत है जरा सी जागरूकता और इच्छाशक्ति की. सूचना के अधिकार के माध्यम से आप सरकारी तंत्रों से भी सवाल कर सकते हो. उनके काम-काज की जानकरी प्राप्त कर सकते हो. अपने प्रश्नों से उनकी जवाबदेही भी तय कर किया जा सकता है.
आरटीआई भारत का सबसे सशक्त कानून
10 रूपए में नहीं दस्तावेज की प्रतिया अब मिलेंगी 2 रूपए में
अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न
अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न मनाने जा रहा है. जिसमें 19 अक्टूबर को सबसे अच्छे आरटीआई कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जायेगा. अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग ने 10 अक्टूबर तक लोगों से उनकी सफलता की काहानिया मांगी है. इसमें केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त, दूसरे राज्यों के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्वोत्तर राज्यों के सूचना आयुक्त भाग लेंगे. मगर क्या सच में अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग अपने कार्यान्वयन के 10 साल का जश्न मनाने का हक़ है?यह जश्न नहीं बैमानी है
अगर सच कहा जाए तो अरुणाचल प्रदेश सूचना आयोग के कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न कहीं ना कहीं बैमानी लगता है. आरटीआई में पूछे गए साधारण प्रश्नों के जवाब में आपका आना-कानी करना, उसका कोई जवाब नहीं देना शायद आप भी उचित नहीं ही मानते होंगे. एक साल से अधिक समय के बाद भी जब हमारे एक साधारण प्रश्न का कि क्या आपके पास आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था है? आप जवाब देना मुनासीब नहीं समझते हैं तो इसे आप ही बताइये क्या माना जाए? 19 अक्टूबर को आप अपने कार्यान्वयन के 10 वें साल का जश्न मनाएंगे मगर उसके पहले हम आपको हमारे आरटीआई का जवाब ना देने के कारण और आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन सुविधा ना प्रदान किये जाने पर डाउनग्रेड करते हैं.क्या चाहते हैं हम?
एक ऐसा भारत जहां हर राज्य के पास ऐसी उन्नत व्यवस्था हो जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिल सके. जिससे आरटीआई एक्ट में पारदर्शिता लाई जा सके. जहां आपको आरटीआई दाखिल करने के लिए भटकने के आवश्यकता ना पड़े. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. जब केंद्र सरकार आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?अगर आप आरटीआई विशेषज्ञ हैं या आरटीआई कार्यकर्ता जो वास्तव में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बेहतरी के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो अपना विवरण हमें coordinators@ballotboxindia.com पर भेजें.
आप किसी को जानते हैं, जो इस मामले का जानकार है, एक बदलाव लाने का इच्छुक हो. तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.
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धन्यवादCoordinators @ballotboxindia.com