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एंड्राइड वर्चस्व मुद्दा - भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल पर लगाया बाजार एकाधिकार का आरोप

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research News and Media Coverage

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   {{descmodel.currdesc.readstats }}

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दुनिया भर में गूगल का बढ़ता एकाधिकार वास्तव में चिंता का
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दुनिया भर में गूगल का बढ़ता एकाधिकार वास्तव में चिंता का विषय है, जिस पर वाकई हर देश को गौर करने की विशेष आवश्यकता है. गूगल पहले से ही अमेरिकी सैन्य कार्यवाहियों में अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेवाएं देने के चलते विश्व भर के टेक-अनुभवी विशेषज्ञों की आँखों में खटक रहा है, ऐसे में व्यवसाय के निर्धारित मानकों के खिलाफ वातावरण निर्मित कर गूगल वैश्विक बाजार में अपना आधिपत्य स्थापित करने को लेकर नए विवादों में उलझता जा रहा है.

वैश्विक सर्च इंजन का पर्याय बन चुका गूगल मार्किट आधिपत्य के मुद्दों को लेकर विगत काफी समय से चर्चा में बना हुआ है, जिसके चलते पिछले वर्ष यूरोपियन यूनियन द्वारा 5 डॉलर बिलियन का जुर्माना गूगल को भुगतना पड़ा था. साथ ही भारत में भी प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा गूगल को अनुचित व्यापार व्यवहार के चलते बीते वर्ष 136 करोड़ रूपये का जुर्माना लगया गया था.

गौरतलब है कि कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया यानि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), भारत की एक विनियामक संस्था का रूप में कार्य करती है, जो मुख्यत: देश में स्वच्छ प्रतिस्पर्धा तंत्र को विकसित करती है. यह आयोग काफी समय से भारत में गूगल की क्रियाशैली को लेकर जाँच-पड़ताल कर रहा है.  

जाने प्रमुख मुद्दा –

वर्ष 2012 में मैट्रीमनी.कॉम और कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स) द्वारा गूगल की अनुचित व्यापार नीतियों को लेकर सीसीआई के समक्ष शिकायत रखी गयी थी. शिकायत के अंतर्गत गूगल के भारतीय बाजार में अनुचित वर्चस्व के मुद्दे को उठाया गया था, जिसमें एंड्राइड फोन निर्माताओं पर गूगल द्वारा अपने फीचर्स (गूगल मैप, गूगल सर्च, क्रोम, प्ले स्टोर आदि) को प्री-इंस्टाल करने के लिए दबाव बनाया गया था. शिकायत में यह भी कहा गया कि अल्फाबेट इंक की सहायक कंपनी गूगल अपने प्रतिस्पर्धियों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने लोकप्रिय एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) का दुरुपयोग कर रही है.

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग पिछले काफी समय से इस मुद्दे की समीक्षा कर रहा था, जिसके तहत फरवरी, 2018 में सुनाये गए अपने निर्णय के अंतर्गत सीसीआई द्वारा गूगल को स्पर्धा रोधी व्यवहार मामले में दोषी पाए जाते हुए 136 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. साथ ही जुर्माने की रकम दो माह के भीतर चुकाने का आदेश भी आयोग ने सुनाया था. भारत में एंड्रॉयड के दुरुपयोग पर नई नियामकीय जांच कंपनी के लिए एक और मुसीबत बन कर आई है।

एक रिसर्च के दौरान विश्व में तकरीबन 85 प्रतिशत स्मार्टफोन्स में एंड्रॉइड का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि भारत में वर्ष 2018 में बिके 98 फीसदी स्मार्टफोन्स एंड्रॉइड आधारित ही थे. गूगल अपने एप्स के जरिये भारतीय बाजार में लम्बे समय से प्रभुत्त्व स्थापित करता आ रहा है, परन्तु भारत में नई नियामकीय जांच अमेरिकन कंपनी गूगल की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रही है. सीसीआई आदेश के अनुसार कंपनी पर यह जुर्माना तीन वित्त वर्षों 2013, 2014 और 2015 में भारतीय परिचालन के अनुसार उनकी अर्जित आय का पांच प्रतिशत ही है.

यूरोपियन यूनियन भी लगा चुकी है गूगल पर जुर्माना –

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इससे पूर्व भी वैश्विक मार्किट में अपने प्रभुत्त्व का गलत फायदा उठाने के चलते यूरोपीय संघ द्वारा 18 जुलाई, 2018 को गूगल पर 5 बिलियन डॉलर का भारी जुर्माना लगा चुकी है. मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड की सहभागीदारी में अन्य मोबाइल कंपनियों को हाशिये पर धकेलने के आरोप में गूगल पर 4.3 बिलियन यूरो (लगभग 373 अरब रुपये) का स्पर्धा-रोधी जुर्माना यूरोपियन यूनियन द्वारा लगाया गया था. उक्त जुर्माना मोबाइल निर्माता कंपनियों को मोबाइल में सर्च के रूप में गूगल क्रोम को पूर्व स्थापित करने के आरोपों के चलते लगाया गया था.

केवल यही नहीं, कमीशन गूगल की सर्च विज्ञापन सेवा ऐडसेंस को लेकर भी स्पर्धा- रोधी जांच कर रही है. इस मामले में गूगल पर आरोप है कि उसने अपनी शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल करके सर्च नतीजों में अपनी ख़रीदारी सर्विस का ज़्यादा प्रचार किया.

वर्ष 2013 में फेयरसर्च के अंतर्गत नोकिया, औरेकल और माइक्रोसॉफ्ट आदि मोबाइल निर्माता कंपनियों ने गूगल के बाजार पर एकाधिकार को लेकर सर्वप्रथम आवाज़ उठाई थी. माइक्रोसॉफ्ट के तत्कालिक सीईओ स्टीव बाल्मर ने भी कहा था कि गूगल ने बाज़ार पर एकाधिकार कर लिया है और इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.

जुर्माना लगाए जाने के प्रमुख कारण :-

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1. मैट्रीमोनी डॉट कॉम लिमिटेड और कन्ज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी (सीयूटीएस) की शिकायत के अनुसार गूगल ऑनलाइन जनरल वेब सर्च और वेब सर्च एडवर्टाइजिंग सर्विसेज क्षेत्र में अपने वर्चस्व का दुरूपयोग करता है.

2. प्रतिद्वंदी कंपनियों को ब्लॉक करने के लिए अपने एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का गलत इस्तेमाल गूगल द्वारा किया गया.

3. भारतीय बाजार में विश्वास-विरोधी आचरण का उल्लंघन करने और अनुचित व्यवसायिक तरीकों का उपयोग गूगल द्वारा किया गया.

4. गूगल पहले से स्थापित ऐप्स के जरिये विज्ञापन लक्षित तकनीकों का उपयोग अपने मुनाफे के लिए करता है.

हालांकि सीसीआई की जांच में गूगल को विशेषकृत सर्च डिजाइन, एडवर्ड्स, ऑनलाइन मध्यस्थता एवं वितरण समझौता में किसी तरह के उल्लंघन का दोषी नहीं पाया गया था. सीसीआई ने गूगल पर जुर्माने का आदेश ज्यूरी के माध्यम से सुनाया, जिसमें 6 सदस्य शामिल थे. कार्यवाही के दौरान 2 सदस्य इस फैसले के खिलाफ थे और चार लोग गूगल के अनुचित व्यापार नीतियों वाले आरोप के पक्ष में थे.

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सीसीआई के जुर्माने के खिलाफ गूगल की एनसीएलएटी में अपील –

गूगल ने सीसीआई के इस निर्णय से असहमति दर्शाते हुए फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका दर्ज की थी. गूगल के प्रवक्ता की ओर से बयान में कहा गया,

“कंपनी ने हमेशा अपने यूजर्स के लिए जरूरी चीजों पर ध्यान केन्द्रित किया है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपनी जांच में जिन भी चिन्ताओं का उल्लेख किया है, हमारी कंपनी उनकी समीक्षा कर रही है.”

इस याचिका पर अप्रैल, 2018 में  राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा रोक लगा दी गयी थी और आगे सुनवाई के आदेश भी दिए गये थे. साथ ही न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी पीठ ने सीसीआई के आदेश के खिलाफ गूगल की याचिका स्वीकार करते हुए दिग्गज सर्च इंजन कंपनी को जुर्माने की 10 प्रतिशत राशि चार हफ्ते में जमा करने के निर्देश दिए गये थे.

एक विचार -

भारतीय दृष्टिकोण से देखा जाये तो यहां एंड्राइड फोन की संख्या निरंतर बढती जा रही है, और अधिकांशत स्मार्टफोन में पहले से ही गूगल के बहुत से एप्स प्री-इंस्टाल मिलते हैं. इस मुद्दे की गंभीरता को समझा जाना आज बेहद आवश्यक है,  आम नागरिक इसकी गंभीरता को समझने के लिए आज मार्किट में बिना एंड्राइड का और बिना गूगल ट्रैकिंग वाला फ़ोन ख़रीद कर दिखाएँ, मुद्दा स्वयं ही समझ में आ जाएगा.

हालाँकि कुछ जागरूक यूजर्स के चलते सीसीआई ने गूगल को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाने की अनूठी पहल की है, परन्तु भारतीय सरकार को भी इस ओर नियामकों की शुरुआत करनी होगी. विदेशी कंपनियों के लिए भारत में कुछ विशेष प्रावधान बनाये जाने चाहिए और इनका क्रियान्वन ठोस रूप से होना चाहिए. साथ ही स्वदेशी तकनीक को अधिक अवसर देकर विदेशी कंपनियों की मनमानी को रोकने के उचित प्रयास भी करने होंगे.  

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