अगर नदियों के साथ छेड छाड़ न की जाये-तो ना तो बाढ़ आये ना फसलें डूबे -ना ही मुआवजा देना पड़े आखिर; ये पैसा भी तो सरकारी खजाने से आता हैसरकारें अक्सर आपदा
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Anant Srivastava 19
अगर नदियों के साथ छेड छाड़ न की जाये-तो ना तो बाढ़ आये ना फसलें डूबे -ना ही मुआवजा देना पड़े आखिर; ये पैसा भी तो सरकारी खजाने से आता है
सरकारें अक्सर आपदा और आम जनता के जान माल के नुक्सान पर मुआवजा देती आयी है। मुआवजा से प्रभावित हुए लोगो को सहायता मिलती है।गुरूवार को जिलाधिकारी राजशेखर ने बाढ़ ग्रस्त इलाको का जायजा लिया और एस डी एम से रिपोर्ट तैयार करने को कहा। साथ ही उन्होंने उन किसानों को मुहावजा दिलवाने का भी आश्वासन दिया जिनकी फसलें बाढ़ मे तबाह हो गयी।
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तो आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
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अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
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:Team- BallotBoxIndia
Source: e navbharat times 12 Aug 2016 Lucknow edition