Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)
  • By
  • Mohd. Irshad Saifi
  • Central Delhi
  • May 20, 2017, 11:51 p.m.
  • 555
  • Code - 62105

भारत में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी कब होगी बंद - अब जरुरत है बदलाव की

  • भारत में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी कब होगी बंद - अब जरुरत है बदलाव की
  • May 8, 2017

एक सरल दाखिला प्रणाली, समान बेहतर शिक्षा प्रणाली

"शिक्षा ने ऐसी बहुत बड़ी आबादी पैदा की है जो पढ़ तो सकती है पर ये नहीं पहचान सकती की क्या पढने लायक है" 

संविधान संशोधन होने के बावजूद छोटे बच्चों की निशुल्क शिक्षा व्यवस्था 21वीं सदी में बेईमानी साबित होती नजर आ रही है। लेकिन पूर्वकाल में शिक्षा देना एक पवित्र कर्तव्य था। बृहस्पति स्मृति के अनुसार विद्यादान पवित्र कर्तव्य था और भूमिदान से भी श्रेष्ठ था। गरीबी के आधार पर किसी भी छात्र का प्रवेश न लेना निंदनीय होता था। अध्यापक, विद्यार्थी, अभिभावक और समाज आदर्श शिक्षा के संचालन को ‘पवित्र कार्य’ मानते थे और छात्र को भिक्षा मांनते थे। ऐसी भिक्षा देने से इंकार करना पाप माना जाता था। आज दौर में देखा जाये तो शिक्षा का पूर्ण रुप से व्यवसाई करण हो गया है। अभिभावकों को अपने बच्चों को सही शिक्षा देना आज एक चुनौती बन गया है। इन हालातों को देखते हुए वो दिन भी आ गया कि भारत में भावुक और धार्मिक मसलों से संघर्ष करने के साथ-साथ हमे आज शिक्षा के मुद्दे पर भी बात करनी पड़ रही है। 

आज शिक्षा का इतना व्यवसाई करण हो गया है कि प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों में इस साल 15 से 80 फीसदी तक वृद्धि हुई है। क्या किसी माता-पिता की एक साल में सैलरी इतनी बढ़ती है कि वह होने वाली इस वृद्धि को वहन कर सके। स्कूलों के इन्ही कारण मिडल क्लास के ये लोग पैसा होते हुए भी गरीब हो गए हैं।

स्कूलों में जूते, ड्रेस, किताबों आदि का सभी स्कूल संचालकों के साथ एक कमीशन तय होता है। जिसमें स्कूल प्रशासन के ओर से बताई गई दुकानों से ही लेना होता है और वहां पर उनका दुकानदारों के साथ कमीशन तय होता है। देखा जाये तो आज एक्शन के वेलक्रो और स्पोर्टस शूज की कीमत है 700 से 800 रुपये है, कंपनी ने 40 फीसदी मार्जिन पर स्कूल को दिया तो 320 रुपये ही कमाएगा। महंगे ब्रांड के जूते 2000 के आते हैं, इन पर भी 40 फीसदी का मार्जिन मिलता है. इस हिसाब से स्कूल की एक जूते पर 800 रुपये की कमाई हो गई। काला जूता तो ठीक है मगर महंगे ब्रांड के लिए मजबूर करने के पीछे ये लूटतंत्र हैं। जिसे आप अर्थतंत्र कहते हैं। यह खेल शिक्षा के क्षेत्र में इतना अंदर तक चला गया है कि मानों कि एक इंसान को कैंसर होना जिसका उपचार तो है लेकिन उसके जीवन कोई गारंटी नही हैं। 

देश भर में न जाने कितने स्कूलों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। अभिभावकों ने कम से कम प्रयास तो किया है। अब आते हैं फीस को रेगुलेट करने के कानूनों पर हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान ने ऐसे कानून बनाए हैं। हरियाणा में 1995 में कानून बना था जिसे 2005 में संशोधन किया गया। 16 फरवरी 2015 की रोहतक मंडल के आयुक्त की कार्यवाही रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए ऑडिट रिपोर्ट के साथ फार्म 6 भरना होता है। अगर स्कूल को मुनाफा हुआ है तो फीस वृद्धि की अनुमति नहीं होती है। एनुअल चार्ज, एक्टिविटी फीस स्मार्ट क्लास फीस, कंप्यूटर फीस सब कैपिटेशन फीस के ही रूप हैं। इन मदों में फीस नहीं ली जा सकती है।

एक सरल दाखिला प्रणाली, समान बेहतर शिक्षा प्रणाली"शिक्षा ने ऐसी बहुत बड़ी आबादी पैदा की है जो पढ़ तो

गुजरात ने फीस की अधिकतम सीमा तय कर दी है. महाराष्ट्र में 2014 में कानून बना था। इसमें कहा गया है कि स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। अकादमिक वर्ष शुरू होने के 30 दिन के अंदर अभिभावक शिक्षक संघ बनेगा, सभी मां बाप इसके सदस्य होंगे, इन सबको लेकर एक कमेटी बनेगी। इस कमेटी में पास हुए बिना फीस नहीं बढ़ सकती है. कई राज्यों में ड्राफ्ट बना है। कहीं कानून बना है मगर मां बाप हर राज्य के परेशान हैं, जब भी ये कानून बनते हैं हम लोग बहुत वाहवाही करते हैं, लेकिन कभी यह नहीं देखते कि इनके बगैर भी फीस बढ़ती जा रही है।

अब सवाल यह है कि क्या सादगी से अनुशासन नहीं आता है, क्या महंगे ब्रांड से ही अनुशासन आता है, काला जूता ही पहनना है तो छात्र अपनी क्षमता से क्यों न खरीदे? स्कूल में पढ़ने वाले सभी मां बाप की क्षमता एक ही होती है. 

सरकारों तक यह बात पहुंचने लगी है। राजस्थान सरकार ने भी एक अच्छा फैसला किया है। नीयत अच्छी है, कम से कम यहां तक तो बात पहुंची है। नए फैसले के अनुसार प्राइवेट स्कूल स्कूल के भीतर किताब नहीं बेच पाएंगे। नियम पालन नहीं होगा तो मान्यता रद्द होगी। यूनिफार्म और अन्य सामग्री भी अभिभावक बाजार से खरीद सकेंगे। किसी भी सामग्री पर स्कूल अपना नाम अंकित नहीं कर सकेगा। स्कूल नहीं तय करेगा कि किस दुकान से सामान खरीदनी है। स्कूल सत्र शुरू होन से एक महीने पहले वेबसाइट पर किताबों की सूची जारी करेंगे। इस सूची में किताबों के लेखक, प्रकाशक और मूल्यों की जानकारी होगी. पांच साल तक कोई भी स्कूल यूनिफार्म नहीं बदल सकेगा।

स्कूलों पर जनसुनवाई आज भी जारी है, गुजरात सरकार ने तो बकायदा कानून बनाकर नर्सरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में अधिकतम फीस की सीमा तय कर दी है। दिल्ली सरकार ने भी फीस तय करने के लिए नियामक संस्था बनाने की पहल की है मगर मंजूरी नहीं मिली है। यूपी सरकार के भीतर भी स्कूलों की फीस को लेकर सक्रियता दिख रही है। 

आठ साल पहले मध्यप्रदेश सरकार ने एक ड्राफ्ट तैयार किया था। सरकार जल्दी कानून बनाने की सोच रही है। भले ही अब तक पब्लिक की लड़ाई का नतीजा नहीं निकल रहा था। मगर ये सारी घटनाएं बता रही हैं कि कुछ हो सकता है। बेशक कई प्राइवेट स्कूल हैं जिन्होंने अच्छे मूल्य और शिक्षा का मानदंड कायम किये हैं. शायद इन्हीं अच्छे स्कूलों के नाम और ब्रांडिंग का फायदा उठाकर दूसरे पब्लिक स्कूल माता-पिता का शोषण कर रहे हैं. इसलिए चंद अच्छे प्राइवेट स्कूलों का लाभ उनके नाम पर या उनके बहाने प्राइवेट स्कूलों को दुकान बनाकर चला रहे लोगों को नहीं मिलना चाहिए।

गाजियाबाद जिला मुख्यालय के सामने अभिभावकों ने फीस वृद्धि को लेकर प्रदर्शन किया था। कई स्कूलों के अभिभावक इसमें शामिल हुए. हंगामा होता देख पुलिस ने भी मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन लोग शांत नहीं हुए. जिलाधिकारी ने अभिभावकों के पैनल से मुलाकात की और कहा कि अगर स्कूल नहीं माने तो उनकी एन ओ सी कैंसिल कर दी जाएगी. एन ओ सी मतलब अनापत्ति प्रमाण पत्र. हमारे सहयोगी पिंटू तोमर ने बताया कि 12 स्कूलों के खिलाफ प्रशासन को शिकायत मिली है. प्रशासन ने कुछ स्कूलों को नोटिस भी भेजा है. जो स्कूल इस नोटिस का जवाब नहीं देगा, उनकी मान्यता समाप्त करने की सिफारिश की जाएगी. ये सिफारिश सीबीएसई से की जाएगी क्योंकि मान्यता के बारे में फैसला सीबीएसई ही लेता है. स्कूलों के बाहर होने वाला प्रदर्शन अब जिला मुख्यालय के बाहर पहुंच रहा है।

कानपुर में भी सेल्स टैक्स विभाग ने एक स्कूल में छापा मारा है। स्कूल पर यूनिफार्म और किताबें अधिक दाम पर बेचने के आरोप थे।  सेल्स टैक्स अधिकारी ने बताया कि स्कूल के गोदाम में किताबें और नोट बुक मिली हैं, किताबों पर दाम लिखे थ।े लेकिन नोटबुक पर दाम नहीं लिखे थे. तो क्या स्कूल अपनी तरह से दाम चिपका कर मनमानी करना चाहता था।

Ad

हम किताबों को लेकर चर्चा करें तो किताबों की कीमतों पर केंद्रित रखना चाहेंगे। ज्यादातर मां-बाप की शिकायत है कि स्कूल अपने भीतर की दुकान या बाहर की तय दुकान से ही किताब खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। 16 फरवरी 2017 की एक रिपोर्ट है. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक हुई थी। उसमें यह तय हुआ था कि सीबीएसई के स्कूलों को 2017-18 के सत्रों से एनसीईआरटी की किताबों को अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा। कई स्कूल और माता- पिता ने शिकायत की थी कि एनसीआईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं होती हैं। माता-पिता का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें न होने के कारण प्राइवेट किताबें महंगे दाम पर बेची जाती हैं।

सीबीएसई की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2017 का एक सर्कुलर है जिसमें लिखा है कि सीबीएसई मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों से गुजारिश करती है कि जहां तक हो सके एनसीईआरटी की किताबों का ही इस्तमाल करें। 

यही नहीं पता चला है कि छात्र पुरानी किताब का इस्तेमाल न करे इसके लिए हर साल नई-नई तरकीब निकाली जाती है जिससे पुरानी किताब बेकार हो जाए और नई किताब में एक नया चैप्टर जोड़ दिया जाता है। हर साल पुराने प्रकाशक बदल दिये जाते हैं ताकि छात्र नई किताब लेने पर मजबूर हों। स्कूल के भीतर की दुकान से किताब खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। बाहर की दुकान होती है तो वो भी स्कूल ही तय करता है, कि कहां से लेनी है। कई जगहों पर इस तरह की दुकानें रसीद भी नहीं देतीं, रजिस्टर में नोट कर लेती हैं।

आपको ऐसा न लगे कि इम्तहान कोई हल्का टॉपिक है तो सिर्फ तीन राज्यों के आंकड़े बता रहे हैं जिससे आपको पता चल सकता है कि किस तादाद में बच्चों को इम्तहान में झोंक दिया गया है. राज्यों के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री शुभकामना संदेश छपवा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने भी श्मन की बातश् में ये बात कही है कि इम्तहान से घबराना नहीं है.

12वीं बोर्ड - 11 लाख छात्र

10वीं बोर्ड - 16.68 लाख छात्र

Ad

यूपी बोर्ड

12वीं बोर्ड - 26.24 लाख छात्र

10वीं बोर्ड - 34.4 लाख छात्र

बिहार बोर्ड

12वीं बोर्ड - साढ़े 12 लाख से ज्यादा छात्र

10वीं बोर्ड - 7 लाख से ज्यादा छात्र

मध्य प्रदेश में भी 10 वीं और 12 वीं में बीस लाख बच्चे इम्तहान दे रहे हैं. जो बच्चे अवसाद के शिकार हैं, उन्हें मन नहीं लग रहा है वे जरा खुद को संभाले. राहु केतु का न तो प्रकोप होता है न कृपा. विषय को समझिये, तर्क से देखिये और लिख दीजिए. बाकी का लोड मत लीजिए. अक्षत छिड़कने से कुछ नहीं होने वाला है. क्लास में ध्यान से सुनिये और व्हाट्स अप छोड़ कर एकाग्र रहिए. इम्तहान वो जंग है जिसमें हर साल देश के लाखों बच्चे झोंक दिये जाते हैं. लगे कि जंग है इसके लिए व्यवस्था अवसरों की सीमित करती है. वेकैंसी कम करती है. अच्छे स्कूल कॉलेज कम बनाती है ताकि आपका तनाव बढ़ता रहे और आप लोन लेकर प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला लेते रहे. आपके तनाव से सिस्टम दूसरों के लिए जो अवसर पैदा करता है, यह आप समझ लेंगे तो इसी कारण से आप तनाव में नहीं रहेंगे कि आपकी इस कमजोरी से दूसरों का धंधा चल रहा है. सो रिलैक्स रहिए. उस भूगोल को याद कर लीजिए जिसे कई पीढ़ियों से लोग याद कर रहे हैं. स्कूल के स्कूल में लाखों बच्चों को पूरी दुनिया में ग्लोब पढ़ाया जाता है. भूगोल पढ़ाया जाता है. इसके बाद भी हम और आप गूगल मैप लेकर अपने शहर में दूसरे का पता खोज रहे होते हैं. ये भूगोल की पढ़ाई की कामयाबी का नमूना. उम्मीद है आप मेरा इशारा समझ गए होंगे।

केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 10,039 पद खाली हैं. गैर शिक्षण स्टाफ के 14,144 पद खाली हैं. नवोदय विद्यालयों में भी शिक्षकों के 2,023 पद खाली हैं. यही नहीं केंद्रीय विद्यालयों में प्रिंसिपल के 200 पद खाली हैं. डिप्टी प्रिंसिपल के 113 पद खाली हैं. यह सूचना पीटीआई की है जिसे कई अखबारों ने छापा है. इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने छह राज्यों से पूछा है कि आपके यहां पुलिस कर्मियों के चार लाख से अधिक पद खाली कैसे हैं, जल्दी बताइए कि इन्हें कैसे भरा जाएगा? यूपी में डेढ़ लाख से अधिक पुलिस कर्मी भर्ती हो सकते हैं, बिहार में 30,000 से ज्यादा. स्कूलों पर जनसुनवाई जारी है. मिलेनियम, इंटरनेशनल, ग्लोबल नाम वाले स्कूलों से बचिए. इन नामों वाले कई स्कूलों में फीस वृद्धि की जगह फांसी वृद्धि होती है. 

Ad

हम क्या चाहते है 

1. हमारा प्रयत्न यह है कि सभी स्कूल की फीस को समान किया जाये, और फीस की सीमा निर्धारित की जाये। जिससे एक समानता लायी जा सके। जिससे निम्न से उच्च स्तर के लोगों के बच्चों को एक समान शिक्षा दी जा सके। 

2. इसके बाद हमारी पहल यह है कि स्कूल दाखिलों के समय अभिभावक अपने बच्चों के लिए जिले के पांच स्कूलों के नाम एक फोर्म में भरकर जिलाधिकारी महोदय व जिलाविद्यालय निरीक्षक के ऑफिस में जमा करें। इसके बाद जिलाधिकारी महोदय व जिलाविद्यालय निरीक्षक के द्वारा स्कूलों में बच्चों के दाखिले कराये जाये। जिससे सभी को एक समान मौका दिया जाये। जिलाधिकारी महोदय व जिला विद्यालय निरीक्षक को अभिभावक द्वारा बच्चों को दाखिले दिलाये जाने के बाद शिक्षा के  क्षेत्र में एक सराहनीय कार्य होगा। 

3. सरकार द्वारा एक कमेठी गठन की जाये, जो ग्रामीण अध्यापकों व शहरी अध्यापकों को कुछ-कुछ समय के बाद एक जगह से दूसरे जगह स्थानांतरण किये जाये। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के अध्यापकों को शहरी क्षेत्र में पढ़ाने का मौका मिले एवं शहरी क्षेत्र के अध्यापकों को ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाने का मौका मिलेगा। 

देशवासियों से अपील 

हमारी अपील हैं सभी अभिभावकों से कि वह अपनी उर्जा और अपने मेहनत का जरा सा हिस्सा इस बदलाव को बदलने वाले प्रस्ताव के समर्थन में दिखाएं समर्थन में आगे आयेंए  इन प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के बोझ से देश को बाहर निकालेए एक कदम देश के लिए बढ़ाएंण् देश के विकास में हम सबकी भी जिम्मेदारी उतनी ही है जितना भारतीय सरकार की

हमारा साथ दे.  आप किसी को जानते हैं,  जो इन मामलों के जानकार है, एक बदलाव लाने को इच्छुक हो, तो आप हमें coordinators@ballotboxindia.com पर लिख सकते हैं या इस पेज पर नीचे दिए "Contact a coordinator" पर क्लिक कर उनकी या अपनी जानकारी दे सकते हैं.
अगर आप अपने समुदाय की बेहतरी के लिए थोड़ा समय दे सकते हैं तो हमें बताये और समन्वयक के तौर हमसे जुड़ें.
यही नहीं अगर आप एक रिसर्चर हैं, या कर्मयोगी हैं और अपने कार्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक लाना चाहते हैं?  अगर समाज के लिए कुछ समय निकाल सकते हैं?  तो BallotBoxIndia के मंच से जुड़ें जरूर.  जुड़ने के लिए नीचे फॉलो बटन दबाएं.
 
अगर आपके पास थोड़ा समय, कौशल और योग्यता है तो BallotBoxIndia आपके लिए सही मंच है. अपनी जानकारी coordinators@ballotboxindia.com पर हमसे साझा करें.

धन्यवाद  - मौ. इरशाद सैफी 

Leave a comment.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे कनेक्ट का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामाजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 62105

Members

*Offline Members are representation of citizens or authorities engaged/credited/cited during the research.

More on the subject.

    In Process Completed
Follow