प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, अमेरिका तर्ज पर ‘टाउन हॉल’ कार्यक्रम तो आयोजित हो गया मगर अमेरिका जैसी स्वच्छ नदियाँ हम कब तक देख पाएंगे?
गोमती की दुर्दशा का हाल हमारी रिपोर्ट और हमारे रिसर्च में आपके सामने हैं, क्या इसपर आप कुछ बोलना पसंद करेंगे? निरंतर और जिस बेतरतीब तरीके से गोमती और उसके जैसी कई नदियों का दोहन हो रहा उससे निसंदेह आने वाले समय में नदियों के अस्तित्व को तो खतरा है ही पर साथ मनुष्य को खुद के अस्तित्व को भी बचाए रख पाना आसान नहीं होगा.
इसे विडंबना ही कहिये कि जहां हम एक तरफ पानी बचाने की पहल कर रहे हैं तो वहीँ दूसरी और पानी को उसी तेजी से प्रदूषित भी. पानी बिना कल नहीं, जल ही जीवन है, पानी के लिए ही तीसरा विश्व युद्ध होगा जैसे ना जाने कितने स्लोगन हमारे चारों तरफ मंडराते फिर रहें हैं. मगर हमारी सोच का क्या, जो इसके बावजूद जलश्रोतों के दोहन से बाज नहीं आ रहें.
प्रधानमंत्री जी, जहां तक हमने आपको समझा है आपकी सोच बेहद दूरदर्शी हैं. आपकी सोच से भी लगता है आप नदियों को बचाने के लिए संकल्पित हैं. इसी के तहत आपने 2037 करोड़ रुपये की ‘नमामि गंगे’ योजना जिसका लक्ष्य गंगा को बचाना है प्रारंभ किया है.
परंतु फैक्ट्री और अन्य श्रोतों द्वारा प्रदूषण को आप रोक भी लेंगे तब भी आपका लक्ष्य पूर्ण नहीं होगा. आपके लक्ष्य में सबसे बड़ी बाधा गंगा की सहायक नदियों का प्रदूषण भी है जो गंगा में मिलने के बाद उसे भी प्रदूषित करती है. गंगा की सहायक नदियां जिनमें से एक प्रमुख नदी गोमती भी है आज अपने पहचान के लिए जूझ रही है. बस एक बार यह सोचिये की अपने प्राकृतिक ड्रेनों से जुड़ी यह 960 किलोमीटर की लंबी नदी जिसमें ना जाने कितने गंदे नाले का बेहद ही गंदा और केमिकल युक्त पानी मिलता होगा तो ‘माँ’ गोमती किस तरह कराहती होगी. और वही प्रदूषित गोमती जब गंगा में मिलती है तो गंगा को भी मैला करती है. ऐसा सिर्फ गोमती ही नहीं इसकी कई सहायक नदियों द्वारा भी गंगा को मैला करने का कार्य निरंतर चलता रहता है.
इसमें दोष किसका है इसपर हमें बात नहीं करनी. प्रधानमंत्री जी, आपके पास सत्ता है और साथ ही हमारा आप पर विश्वास भी. हम अपनी रिसर्च किसी ऐसे तक पहुंचाना चाहते थे जो इन मामलों में बेहद गंभीर और अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार भी हो और इन मामलों में हमें आपसे उपयुक्त कोई और नहीं लगा. प्राकृतिक साधनों के दुरूपयोग की यह झलक मात्र है. हाल ही में एक बारिश के बाद गुडगाँव यानी गुरुग्राम में लगा 25 किलोमीटर का लंबा जाम आपने भी सुना होगा. इसका भी कारण कुछ और नहीं हमारा प्राकृतिक श्रोतों के साथ खिलवाड़ है. इस जाम से पहले ही हमने अपनी रिसर्च वीडियो में इस बारे में बताया था मगर अफ़सोस कुछ हुआ नहीं. हमें आपसे बहुत उम्मीद है कि अब आप ही इस ओर कोई पहल करेंगे. हमने बेहद मेहनत से जो रिसर्च किया है उसे आप तक पहुंचना और दिखाना चाहते हैं. सबसे ऊपर हमारी गोमती के ऊपर बनाई गई रिसर्च वीडियो है तो वहीँ यहाँ आपको गुडगाँव की हकीकत और महाजाम के कारण को समझाता एक और रिसर्च वीडियो. उम्मीद करते हैं हमारी मेहनत प्रधानमंत्री जी आप तक अवश्य पहुचेगी.
-BallotBoxIndia टीम