आप में बगावत या अपनों में
राजनीति में ना ही कोई अपना होता है ना ही कोई पराया. कल तक जो आपके घोर विरोधी होते हैं वही साथ आ जाते हैं तो वहीं आपके सबसे नजदीकी आपसे दूर चले जाते हैं. हालांकि आम लोगों की नजर में यह मौकापरस्ती है मगर राजनीतिक शब्दों में कहें तो इसे ही राजनीति कहा जाता है. कल तक आम आदमी पार्टी में मंत्री रहे कपिल मिश्रा आज अरविंद केजरीवाल के घोर विरोधी बन चुके हैं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल के चित परिचित अंदाज में उन्हें ही घेरने की कोशिश की है उन पर भ्रष्टाचार से लेकर कई तरह के आरोप लगाए. अरविंद केजरीवाल से कई सवाल किए हैं और उसका जवाब मांगा है मगर अरविंद केजरीवाल की चुप्पी ने कपिल मिश्रा को और भी आक्रमक होने का मौका दे दिया है.
आरोप प्रत्यारोप के दौर में राजनीति
राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का दौर काफी पुराना रहा है मगर ऐसे में यह सवाल भी उतना ही जायज है कि क्या यह हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने का आधार है या कहीं ना कहीं यह इसे कमजोर करती है? जनता द्वारा चुनी गई सरकार से सवाल पूछे जाने का हक सभी को है चाहे वह कोई मंत्री ही क्यों न रहा हो या राजनीतिक व्यक्ति भी. मगर कोई गलत और बेबुनियाद आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरे तो यह भी सही नहीं है. ऐसे में एक सवाल और भी उठता है कि जो सही आरोप लगा रहा है उसका क्या? आज राजनीति के इसी तौर-तरीकों को बदलने की आवश्यकता है. कुछ ऐसे नियम कायदे बनाने की जरूरत है जिससे गलत आरोप लगाने वालों के अंदर डर बैठे और जो सही कह रहा है उसे प्रोत्साहन मिले.
मंत्री पद से हटाए जाने के बाद कपिल मिश्रा के तेवर हुए आक्रमक
आइये पहले बीते लगभग 15 दिनों के घटनाक्रम को समझते हैं. आम आदमी पार्टी से निलंबित और मंत्री रहे कपिल मिश्रा अरविंद केजरीवाल पर ढेर सारे आरोप लगा रहे हैं. भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोप बेहद गंभीर है. इस सियासी उठा पटक में कपिल मिश्रा और केजरीवाल आमने सामने हैं. इसकी शुरुआत कपिल मिश्रा को मंत्री पद से हटाने के साथ शुरू हुई. इसके बाद से कपिल मिश्रा के तेवर काफी आक्रमक हो गए उन्होंने आरोप लगाया कि सत्येंद्र जैन ने उनकी आंखों के सामने अरविंद केजरीवाल को 2 करोड़ रुपये कैश दिया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सत्येंद्र जैन ने उन्हें बताया था कि केजरीवाल के एक करीबी रिश्तेदार के लिए उन्होंने 50 करोड़ रुपये की लैंड डील कराई. इससे बौखलाए सत्येंद्र जैन ने कपिल मिश्रा के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करवाने की बात कही. सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि वह उस दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर गए ही नहीं थे. जैन ने इतना तक कह दिया कि कपिल मिश्रा अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कपिल मिश्रा के खिलाफ तीस हजारी कोर्ट में मानहानि की शिकायत दायर भी कर दी है. मगर लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का इस तरह के भाषा का इस्तेमाल किसी भी ही लोकतंत्र के लिए सही नहीं. अब ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि दोनों में से कोई तो झूठ बोल ही रहा है तो क्या ऐसी परिपाटी को बदलने के लिए कुछ किया नहीं जाना चाहिए?
कपिल मिश्रा को मिली जान से मारने की धमकी
इसी बीच केजरीवाल पर 2 करोड़ रिश्वत लेने का आरोप लगाने वाले कपिल मिश्रा को जान से मारने की धमकी भी मिलने लगी है. उनको यह धमकी इंटरनेशनल फोन कॉल से मिली है उन्होंने साथ ही बताया कि मैसेज करके उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है.
भूख हड़ताल पर कपिल मिश्रा
बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी कपिल इस बीच अनशन पर भी बैठे वह आप नेताओं के विदेश दौरों का ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग पर अड़े रहे. भूख हड़ताल के लिए उनकी मांग वे पहले ही साफ कर चुके थे. उन्होंने साफ कहा कि जब तक आम आदमी पार्टी अपने पांच नेताओं के विदेश दौरों की जानकारी सार्वजनिक नहीं करेगी, तब तक वह अनशन करेंगे. इसी अनशन के दौरान उनपर एक शख्सद द्वारा हमला भी किया गया. पकड़े गए युवक ने अपना नाम अंकित भारद्वाज बताया. जिसने खुद की जानकारी देते हुए बताया की वह मुंडका का रहने वाला है और आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है. कपिल मिश्रा ने खुद पर हमला करने वाले शख्स को मोहल्ला क्लीनिक योजना का कॉर्डिनेटर बताया है.
अरविंद के खिलाफ कपिल ने करवाया एफआईआर
कपिल यहीं नहीं रुके उन्होंने केजरीवाल और अन्य के खिलाफ सीबीआई में शिकायत भी दर्ज कराई. उन्होंने तीन एफआईआर दर्ज करवाया, पहली एफआईआर केजरीवाल के करीबी रिश्तेदार के 50 करोड़ रुपये की लैंड डील को लेकर है. दूसरी जैन और मुख्यमंत्री के बीच दो करोड़ रुपये के लेन-देन को लेकर है और तीसरी एफआईआर में आप नेताओं के विदेशी दौरे को लेकर है जिसमें सरकारी पैसे के दुरुपयोग का आरोप है. वह आम आदमी पार्टी के पांच नेताओं संजय सिंह, राघव चढ्ढा, आशीष खेतान, अशुतोष और दुर्गे़श पाठक के विदेश दौरों की जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं. कपिल का इनपर आरोप है कि इन्होंने पार्टी के फंड का दुरुपयोग कर विदेशी दौरों का निजी लाभ उठाया है. उन्होंने इनपर सवाल उठाते हुए पूछा कि यह विदेश क्यों गए थे, किसने खर्च किये थे, कहां रुके और किससे मिले थे? कपिल का कहना है कि पिछले कुछ समय से पार्टी लगातार यह कह रही है कि पार्टी के पांस फंड की कमी है ऐसे में यह नेता किसके खर्चें पर विदेश यात्राओं का लुफ्त उठा रहे थे. इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक खत भी लिखा. उन्होंने कहा पांडवों ने तो पांच ग्राम मांगे थे मैं तो बस पांच नेताओं के विदेश यात्रा की जानकारी भर ही मांग रहा हूं. इसे आप देना चाहें तो महज पांच मिनट में दे सकते हैं.
कपिल को संजय सिंह का जवाब, सामने नहीं आए केजरीवाल
कपिल मिश्रा के कई आरोपों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह सामने आए. उन्होंने पार्टी कार्यालय में हुई प्रेसवार्ता में कपिल मिश्रा के सवालों के जवाब में सिर्फ अपने विदेश दौरे पर किये गए सवाल का जवाब भर दिया. उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा वैसी ही भाषा बोल रहे हैं जैसी भारतीय जनता पार्टी बोलती है. विदेश यात्राओं को लेकर मीडिया में कपिल मिश्रा ने झूठ बोला. मेरे उपर पैसे कमाने का आरोप लग रहा है, जबकि मैं तो एक किराये के मकान में रहता हूं.
विदेशी दौरों में मैं सबसे पहले नेपाल में भूकंप पीड़ितों की मदद करने गया था. रूस में एक पारिवारिक शादी समारोह में भाग लेना अपने परिचित के पास गया था जिसका टिकट भी उन्होंने ही कराये थे. अमेरिका और कनाडा मैं पार्टी के काम के लिए गया था जिसकी सभी तस्वीर मेरे पास है. संजय सिंह ने कहा कि मैंने इसमें कौन सा देशद्रोह का कार्य कर दिया? यह कपिल मिश्रा और भाजपा बताएं.
केजरीवाल के नाम खुला ख़त
एफआईआर दर्ज करवाने से पहले उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए अरविंद के नाम लिखा खुला पत्र भी पढ़ा. हम पत्र की पूरी जानकारी आप तक भी पहुँचाने के लिए यहां पूरा पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं:
आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी,
आपको यह पत्र लिखते हुए बहुत सारी बातें व यादें मन में आ रही हैं. आज आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने जा रहा हूँ. सच के लिए अड़ना, भ्रष्टाचार से लड़ना आपसे ही सीखा था. जिस गुरु से धनुष बाण चलाना सीखा उसी पर आज तीर चलाने है, मन बहुत भारी है पर चुप रहना भी संभव नहीं.
जिन अरविंद केजरीवाल को देख देखकइतना कुछ सीखा, आज उन्हीं अरविंद केजरीवाल से अपने जीवन का सबसे बड़ा युद्ध लड़ने से पूर्व आशीर्वाद मांगने के लिए यह पत्र लिख रहा हूँ. कृपया मुझे विजय होने का आशीर्वाद दीजिये.
अरविंद जी, आपका दिल जानता है कि सत्येंद्र जैन से आपके किस प्रकार के संबंध हैं. आपको जानते है कि किस प्रकार के पैसों की डील की बात मैं कर रहा हूँ. आपको जानते हैं कि अगर उस दिन सुबह मैंने एसीबी को पत्र नहीं लिखा होता तो आप मुझे आनन फानन में नहीं हटाते. यह बात आपने कई पीएसी के साथियों को बताई, उन्होंने मुझे बताया.
आज सभी चुप हैं. मेरा ईश्वर सिर्फ मेरे साथ है. आपके झूठ, छल, कपट और भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह मैं तोड़ने निकला हूँ, बिलकुल अकेला. मुझे पता है कि इस चक्रव्यूह के अंदर आप मुझे घेरोगे, झूठा साबित करोगे, मुझपर हमले करोगे, अपयश फैलाओगे.
मैं जनता हूँ कि आप विधानसभा में खुद ही अपनी बेगुनाही साबित करने का प्रयास करेंगे. अपने ही विधायकों से तालियां बजवाएँगे, खुद ही मुजरिम, खुद ही जज और खुद ही गवाह भी बनेंगे.
मगर खुद के लिए तालियों और मेरे लिए गालियों के बीच इतना ध्यान रखिएगा कि मैं आपकी हर चाल जानता और पहचानता हूँ. मैं एक एक कदम फूंक फूंक कर रख रहा हूँ. सीबीआई को मुझे जो कुछ पता है और मैंने देखा है, आज सब बताऊंगा.
वो आपका घर, उसके मुलाजिम आपके, सारा का सारा सिस्टम आपका, हर गवाह आपके ये मुझे मालूम हैं. यथा शक्ति लड़ूंगा.
आपके चक्रव्यूह को तोड़ कर विजय प्राप्त करूँगा या तो अभिमन्यु की तरह घेर कर मार दिया जाऊंगा. मुझे दोनों ही स्वीकार है.
हां, एक बात और मुझे पता चला है कि आप मेरी विधानसभा की सदस्यता खत्म करवाने की तैयारी कर रहे हैं. व्हिप के द्वारा आपकी मुझे विधानसभा से हटवाने की तैयारी है. मुझे कोई फर्क नही पड़ता. बस इतना कहना है कि आपमें थोड़ी भी नैतिकता बची है अगर थोड़ा भी भरोसा है आपको अपने आप पर, तो मेरी एक चुनौती स्वीकार कर लीजिए.
मेरी करावल नगर की विधानसभा सीट या आपकी नई दिल्ली की सीट, सीट आप चुन लें. मैं भी इस्तीफा देता हूँ और आप भी चुनाव मैदान में आ जाइए. सीट आपकी मर्जी की, आपके पास धन बल, और लोगों की पूरी फौज, मैं अकेला. आइये लड़ते है चुनाव. है हिम्मत जनता का सामना करने की?
कुर्सी जाने का अगर डर है तो बिना इस्तीफा दिए करावल नगर से मेरे सामने लड़ लीजिये. मैं इस्तीफा देने को तैयार हूँ. और जनता के साथ का भरोसा है तो अपनी नई दिल्ली की सीट से चुनाव लड़ लीजिये. जवाब का इंतजार रहेगा.
हाँ, एक बात और कल शाम से अब तक 211 शिकायतें पार्टी व सरकार में भ्र्ष्टाचार से जुड़ी हुई मुझ तक पहुंची हैं. जो कुछ पिछले दो वर्षों में पर्दे के पीछे हुआ है वो बेहद दुःखद है. देश का भरोसा तोड़ा है आपने और साथ ही आपके चार पांच साथियों ने मिलकर.
अरविंद जी, आज मैं अकेला हूँ, सबकुछ मिटा देने के कगार पर हूँ. पर अड़ा हूँ, डटा हूँ.
आपकी सारी ताकत, सारी सरकार, सारे लोग, सारा पैसा एक तरफ और मैं अकेला.
आशीर्वाद दीजिये.
आज आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाऊंगा, उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.
आपके जवाब का इंतजार है.
आपका
कपिल मिश्रा
क्या काले धन को सफेद कर रहे थे केजरीवाल?
आम आदमी पार्टी पर एक और भ्रष्टाचार का बम फेंकते हुए कपिल मिश्रा ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान 35-35 करोड़ के 2 चेक दिखाए और दावा किया कि पार्टी ने यह पैसा नोटबंदी के दौरान काले धन को सफेद में बदलने की तैयारी थी. कपिल के मुताबिक ये दो चेक उन्हीं कंपनियों ने दिए थे जिन्होंने रात के बारह बजे 50 लाख रुपये दिए थे. उन्होंने वह दो चेक सीबीआई को दे दिए और कहा सीबीआई इसकी जब जांच करेगी तो सच सामने आएगा. कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के 2013-14 की फंडिंग को लेकर भी आकड़ा सार्वजनिक किया. उन्होंने कहा कि यहां 25 करोड़ रुपये का फंड छिपाया गया और चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी गई. कपिल मिश्रा ने आज सीबीआई मुख्यालय पहुंचकर कई दस्तावेज सीबीआई अधिकारियों को दिए और कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायकों से जुड़ी कई कंपनियां हैं उसका सच पूरी तरह से जनता के सामने आएगा. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को सबसे भ्रष्ट मुख्ययमंत्री तक कह डाला. उन्होंने कहा केजरीवाल ने देश को धोखा दिया है. चंदे के नाम पर देश के साथ बहुत बड़ा घोटाला किया गया. उन्होंने कहा अब तो ये स्पष्ट है, केजरीवाल भ्रष्ट है.
टैंकर घोटाले में भी कपिल ने केजरीवाल को घसीटा
केजरीवाल के खिलाफ आरोपों की बौछारों के बीच कपिल मिश्रा ने एक और आरोप लगाते हुए केजरीवाल पर 400 करोड़ रुपए के टैंकर घोटाले में केजरीवाल के शामिल होने का आरोप लगाया है. इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार के वक्त हुए घोटाले की जांच में अरविंद जान-बूझ कर देरी कर रहे हैं. उन्होंने टैंकर घोटाले की जांच पर असर डाला. यह घोटाला बतौर शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दिनों का है. इसी बीच एसीबी ने 400 करोड़ रूपए के टैंकर घोटाला से जुड़े मामले में कपिल मिश्रा को पूछताछ के लिए बुलाया था. इससे पहले कपिल मिश्रा का विस्तृत बयान एसीबी ने दर्ज किया था. इसके अलावा एसीबी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव विभव कुमार से भी इसपर लगभग तीन घंटे तक पूछताछ की.
केजरीवाल की चुप्पी ने खड़े किये कई सवाल
इन सभी आरोपों के बीच कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर तंज करते हुए आम आदमी पार्टी के पांच नेताओं के विदेश दौरे से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक करने साथ ही सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपये लेने के आरोपों पर अरविंद केजरीवाल की चुप्पी पर उन्होंने सवाल उठाए हैं. टैंकर घोटाले केस में अपना बयान दर्ज कराने के बाद कपिल ने केजरीवाल पर कहा कि उनके द्वारा लगाए गए आरोपों पर वह चुप हैं. उन्होंने व्यंग करते हुए कहा कि ‘चुप-चुप बैठे हो जरूर कोई बात है’. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वह मेरे उपर तीन आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि मैं भाजपा का एजेंट हूं, मैं कुमार विश्वास से मिला हुआ हूं और मैंने यह सब पहले क्यों नहीं बोला. यह सब कुछ और नहीं ध्यान भटकाने की एक कोशिश है खुद को बचाने के लिए तरह तरह का तमाशा किया जा रहा है. झूठ छुपाने के लिए कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रहे हैं.
केजरीवाल पर फूटा कपिल बम
अपने एक और पत्रकार वार्ता के दौरान कपिल में दावा किया कि केजरीवाल ने काफी गलत कार्य किए हैं. कई घोटाले किए हैं. फर्जी कंपनी बनाई गई हैं. मोहल्ला कलीनिक में भी बहुत बड़ा घपला हुआ है. केजरीवाल को घेरते हुए उन्होंने कहा कि पहले वर्ष केजरीवाल ने चंदे के 25 करोड़ छिपाए. उसके बाद भी चुनाव आयोग से कई तथ्य छुपाए गए. उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि रात के 12 बजे आधा दर्ज़न कंपनियां एक साथ आप को चंदा देती हैं. कुल 2 करोड़ रुपया पार्टी को चंदा दिया जाता है.
यहां आपको इस पत्रकार वार्ता में कही गई प्रमुख बातें बतानी भी जरुरी है :
- कपिल मिश्रा ने आप का बैंक खाता दिखाया.
- रात के 12 बजे फर्जी कंपनियों ने 2 करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए.
- अरविंद केजरीवाल के करीबियों की ये कंपनियां थीं.
- विदेश से आया चंदे के रूप में पैसा हवाला का.
- तीन वर्ष तक ब्लैक मनी को व्हाइट करके दिखाया गया.
- विधायक शिवचरण गोयल का नाम लिया और उन्हें इन कंपनियों से जुड़ा बताया.
-गोयल की इन कंपनी के निदेशक रहे दीपक अग्रवाल इन सभी फर्जी कंपनियों के निदेशक हैं.
-बताया की कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील कुमार गुप्ता ने शिवचरण गोयल को दिए थे 2 करोड़ रुपये.
-यही पैसे फर्जी कंपनियों ने आप को ट्रान्सफर किया.
- पैसों की जानकारी 2014-15 और 2015-16 में भी छिपाई गई.
- आयकर विभाग और चुनाव आयोग को भी गलत जानकारी दी गई.
- पार्टी के खाते की गलत जानकारी चुनाव आयोग को दी गई. 25 करोड़ रुपये छिपाए गए.
-नील नाम के शख्स ने की दस्तावेज जुटाने में मदद. वो भी पीसी में साथ हैं.
- चंदे के जरिये पार्टी के काले धन को सफ़ेद किया गया.
- पैसे का बड़ा लेन-देन एक्सिस बैंक के जरिये किया गया.
- इन सभी कंपनियों का चार्टर्ड अकॉउंटेंट एक ही है.
केजरीवाल के नाम एक और पत्र, कपिल मिश्रा ने पूछे कई सवाल :
एक बार फिर कपिल मिश्रा ने पत्रकार वार्ता करके जाता दिया कि वह केजरीवाल को यूं ही नहीं छोड़ने वाले. उन्होंने ऐलान किया कि वह अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आंदोलन शुरू कर रहें हैं. साथ ही इसके कपिल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से कई सवाल भी पूछे और साथ ही उन्होंने कह कि 400 करोड़ के एक घोटाले में शीतल प्रसाद की कंपनियों की भागीदारी पाई गई थी. यह हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट का बड़ा कारोबारी है वैसे में संजय सिंह और आशुतोष को विदेश यात्रा पर शीतल प्रसाद अपने खर्चें पर क्यों ले जा रहा है?
आम आदमी पार्टी की 49 दिन की सरकार में एक कमेटी बना कर इस की जांच शुरू हुई थी. दूसरी बार जब पूर्ण बहुमत की सरकार आयी तो इस जांच को आगे नही बढ़ाया गया. उन्होंने केजरीवाल से इसपर जवाब देने को कहा. उन्होंने इसके साथ ही केजरीवाल को एक और
पत्र लिखा :
आदरणीय अरविंद जी,
मैंने आपसे पांच नेताओं के विदेश यात्राओं की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी. हमेशा हर चीज जनता के सामने प्रस्तुत करने की बात करने वाले सभी लोग तबसे चुप होकर बैठ गए हैं.
अब तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि अगर इन विदेश यात्राओं की जानकारी और किसके पैसों से ये यात्राएं हुईं ये सार्वजनिक कर दिया गया तो आपको देश छोड़कर ही शायद न जाना पड़ जाए कहीं.
मैं हर बार कागजात और तथ्यों के साथ कालेधन और हवाला का सबूत देता हूं जबकि हर बार जवाब में मिलता है झूठ और चुप्पी.
आज सारे देश के सामने आपसे कुछ सवाल पूछ रहा हूं :
1. क्या आपको शीतल सिंह के बारे में जानकारी है, जिन्होंने संजय सिंह व आशुतोष की रशिया यात्रा का सारा खर्चा उठाया था?
2. क्या आप जानते हैं शीतल सिंह हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के बड़े कारोबारी हैं.
3. आप क्या जानते हैं, दिल्ली में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का 400 करोड़ रुपये का घपला हुआ है जिसकी जांच चल रही है?
4. क्या आप जानते हैं जिन कंपनियों के खिलाफ यह 400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच हो रही है शीतल सिंह के उनसे सीधे संबंध रहे हैं?
5. क्या आपको याद है हमारी 49 दिन की सरकार ने एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को रद करने का फैसला लिया था. यह फैसला एक जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था. तब हमारी सरकार की अपनी ही जांच कमेटी द्वारा इस कंपनी के काम को गलत पाया था.
6. क्या आप जानते हैं कि जब दोबारा हमारी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी तो पूर्व में हमारे ही लिए गए फैसले को लागू नहीं किया गया. आखिर ऐसा क्यों किया गया? इस बड़े घोटाले का भांडा हमारी सरकार ने ही 49 दिनों के दौरान फोड़ा था.
7. क्या आप जानते हैं कि इन कंपनियों में कुछ लोगों के तार दुनिया भर के कई हवाला कारोबारियों से जुड़े हैं?
9. क्या आप अब भी चुप ही बैठे रहेंगे?
जवाब के इंतजार में
आपका
कपिल मिश्रा
केजरीवाल ने तोड़ी चुप्पी बोले निराधार है सब कुछ
आखिरकार कई दिनों से चल रहे कपिल-केजरीवाल विवाद में अरविंद केजरीवाल ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी. अपनी ही पार्टी और सरकार में रहे पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा के द्वारा उनपर भ्रष्टाचार के लगाए गए कई आरोपों के बाद केजरीवाल ने पंजाबी बाग में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि उनपर लगाए गए आरोपों में अगर जरा सच्चाई होती तो वह आज यहां नहीं जेल में होते. उन्होंने कपिल मिश्रा पर कहा कि अपने जब दर्द देते हैं तो दर्द भी बहुत होता है. उन्होंने कहा कि मेरे उपर लगाए गए आरोपों पर क्या कहूं. कोई विश्वास नहीं कर रहा यहां तक विरोधी भी इसे नहीं मान रहे.
केजरीवाल के ही नक्शेकदम पर चल रहे हैं कपिल मिश्रा
खुद पर लगे आरोपों के जवाब में केजरीवाल ने काफी दिनों बाद चुप्पी तोड़ी मगर कुछ खास नहीं बोले. उन्होंने बस खानापूर्ति भर किया और बस इतना ही कहा कि उनपर लगाए गए आरोपों में अगर जरा भी सच्चाई होती तो वह आज यहां नहीं जेल में होते. तो ऐसे में क्या यह मान लेना चाहिए की अबतक केजरीवाल ने जिनपर भी आरोप लगाया था वह गलत थे. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित और राबर्ट वाड्रा सहित अन्य जिनपर केजरीवाल ने आरोप लगाए थे उनका जेल में नहीं होना क्या केजरीवाल के तर्क के हिसाब से उन्हें ही झूठा साबित नहीं करता.
केजरीवाल की चुप्पी ने लोकतांत्रिक प्रणाली के पंगु होते चरित्र को दर्शाया है
यह बेहद ही दुखद है कि जिस अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर भ्रष्टाचार से लड़ने की मुहिम शुरु की थी, भ्रष्टाचार के विरोध एक बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा किया था आज उन पर ही उन्हीं के करीबी और उनके ही पार्टी में रहे मंत्री कपिल मिश्रा द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है. ऐसे में क्या एक जिम्मेदाराना पद पर बैठे अरविंद केजरीवाल को उनके आरोपों का विवेकपूर्ण जवाब नहीं देना चाहिए था? अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और ऐसे में उनकी पूरी जवाबदेही बनती थी कि इन आरोपों पर वह बयान दे मगर उनकी चुप्पी ने लोकतांत्रिक प्रणाली के पंगु होते चरित्र को दर्शाया है.
आरोप का जवाब आरोप नहीं हो सकता
यह अरविंद केजरीवाल के लिए यह बिल्कुल नया नहीं है बस फर्क इतना है कि कल तक दूसरों को निशाने पर लेने वाला शख्स आज खुद निशाने पर है. आपने जिस तरह की परिपाटी को शुरू किया आज वही आप पर हावी होती दिख रही है. हम इस तर्क में बिल्कुल नहीं जाना चाहते कि यहां कपिल मिश्रा सही है या अरविंद केजरीवाल गलत. हमारे लिए जरुरी यह है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को एक मजबूती मिले और उसके लिए कठोर कदम उठाया जाना चाहिए. आज सियासी चाल में लोकतंत्र कहीं पीछे छूट जाता है. साथ ही आरोप पर जवाब देने की जगह आरोप लगाने की प्रविर्ती लोकतांत्रिक परंपरा में कहां तक जायज है यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है? हमने जैसा की कपिल-केजरीवाल विवाद में भी देखा कि जब जनता द्वारा चुनी गई सरकार पर आरोप लगे तो उनकी यह जिम्मेदारी बनती थी कि वह इन आरोपों का जवाब दे जिससे मतदाताओं को अपनी सरकार की सच्चाई पता चल सके. मगर हुआ इसका उल्टा आरोप के जवाब में आरोप लगाए गए. यहां तक भाषा की मर्यादा तक का ध्यान नहीं रखा गया. आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान अप्रत्यक्ष तौर पर कपिल मिश्रा को सुअर कहा उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'मैंने बहुत पहले सीखा कि कभी भी सुअर से नहीं भिड़ो.
तो वही दूसरी तरफ कपिल मिश्रा जो खुद जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं आवेश में आकर उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल को कहा कि उन्हें जरा सी भी शर्म है तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दें. वरना मैं केजरीवाल का कॉलर पकड़कर उन्हें कुर्सी से घसीटते हुए तिहाड़ ले जाऊंगा. जनता के प्रतिनिधियों का ऐसा आचरण आखिर कैसा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं?
कानूनी प्रावधान सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता
आज कोई भी आता है और सत्तासीन व्यक्ति पर आरोप लगाकर चला जाता है. इस बात की पुष्टि होने में काफी समय लग जाता है कि उसके लगाए आरोप सही थे या बेबुनियाद. या फिर ऐसे मामले धीरे धीरे कहीं दब कर रह जाते हैं. आम आदमी जिसके प्रति सरकार की जवाबदेही बनती है वही जब आरोपित हो तो ऐसे में आम जनता खुद को ठगा हुआ ही महसूस करती है. ऐसे में चुनाव आयोग को एक सख्त नियम बनाने की जरूरत है जिससे इन विवादों का निपटारा तुरंत किया जा सके और लोगों की आस्था लोकतांत्रिक प्रणाली में बनी रहे. हो सकता है आरोप लगाने वाला भी गलत हो या आरोप सही भी हो ऐसे में जल्दी से जल्दी सच पता लगाने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए और इस मामले में जो भी गलत साबित होता है उसके लिए सख्त कानूनी प्रावधान सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है.
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कुछ कड़े कदम जरुरी
केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार और साथ ही चुनाव आयोग को मिलकर आज लोकतंत्र को कमजोर करने वाले इन हथकंडों को दूर करने की जरुरत है. लोगों द्वारा दिए गए जनादेश का सम्मान किये जाने की जरुरत है. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कुछ कड़े और इनमें सुधार के लिए व्यापक कायदे बनाने की आवश्यकता है. जिससे लोगों का विश्वास लोकतांत्रिक प्रणाली में कायम किया जा सके. और जैसा की हम बार बार कहते आ रहे हैं कि चुनाव सुधार के लिए गलत आरोप लगाने वाले या आरोप सही पाये जाने यानी दोनों ही स्थिति में गलत करने वाले को सख्त दंड दिए जाने का प्रावधान को सुनिश्चित किये जाने की जरुरत है. जिससे गलत करने से पहले एक डर बना रहे साथ ही आरोप प्रत्यारोप के इस सिलसिले को बंद या नहीं तो कम किया जा सके.