वार्ड 74, श्याम नगर कानपुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. जिसमें पार्षद के तौर पर वर्ष 2017 से कांग्रेस पार्टी के युवा कार्यकर्ता राजीव सेतिया जी कार्यरत हैं. पार्षद जी के अनुसार वार्ड में तकरीबन 70-80,000 की आबादी का रहवास है, जिनमें 60 फीसदी के करीब जनसंख्या शिक्षित है.
मिश्रित
आबादी वाले इस क्षेत्र में 65 प्रतिशत आबादी ब्राह्मणों की है, जो अधिकतर उच्च
शिक्षित हैं. क्षेत्र में एक ओर जहां विकसित सोसाइटी क्षेत्र है, तो वहीँ दूसरी ओर
यहां कुछ ग्रामीण क्षेत्र भी है. कुल मिलाकर श्याम नगर वार्ड में तीन से चार गांव
भी आते हैं, जहाँ जीविका का प्रमुख आधार पशुपालन, दूध का व्यापार इत्यादि हैं. श्यामनगर
की विकसित सोसाइटी में रहने वाले वर्ग में अधिकतर जनता नौकरीपेशा, व्यापारी एवं
एयरफ़ोर्स से जुड़ी है.
यदि
क्षेत्र के इतिहास की बात की जाये तो आज़ादी से पहले यह ग्रामीण बहुल इलाका हुआ
करता था, जहां वर्ष 1965 में कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा योजनाएं बनाकर इसे
धीरे धीरे विकसित किया गया. यह वार्ड प्रमुखत: 1980 में विकसित हुआ, जहां केडीए
द्वारा डिफेन्स के लोगों को प्राथमिकता देते हुए धीरे धीरे पहले ब्लॉक्स में
विभाजित किया, फिर सोसाइटी एरिया विकसित हुआ. जिसके उपरांत यहां आम जनता की बसाकत
भी प्रारम्भ हो गयी.
इस
वार्ड की सबसे बड़ी विशेषता यही रही है कि यहां बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने
निवास किया. यहां आज़ादी के बाद से ही रामलीला होती आई है, जो काफी लोकप्रिय है और
इसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं. साथ ही हरिहरधाम भी यहां चर्चित धार्मिक स्थल
है.
नेशनल
हाईवे 27 से जुड़े हुए श्याम नगर वार्ड में वैसे तो प्राइमरी विद्यालय भी है, परन्तु
उनमें प्राय: सुविधाओं का अभाव ही रहता है. वार्ड में बहुत से प्राइवेट स्कूल जैसे
डॉ. वीरेंद्र स्वरुप स्कूल उपस्थित हैं, जो अच्छी शिक्षा के विकल्प हैं. यदि
स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की जाये, तो वार्ड में सरकारी अस्पताल नहीं हैं, किन्तु
प्राइवेट नर्सिंग होम मौजूद हैं. जिसके चलते वार्ड की निम्न आयवर्गीय जनता को आस
पास के सरकारी चिकित्सालयों का रुख करना पड़ता है.
श्याम नगर वार्ड के पार्षद के अनुसार सामान्य समस्याएं जैसे चोक सीवरलाइन, कूड़ाघर बन चुका ग्रीन बेल्ट क्षेत्र और लीकेज पेयजल लाइन के साथ- साथ इस वार्ड में सबसे बड़ा मुद्दा है भूमाफियाओं की गुंडागर्दी. वार्ड में भूमाफियागिरी के चलते कई सरकारी व सामान्य लोगों की ज़मीनों पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया है. जिससे स्थानीय लोगों को तो समस्या होती ही है, साथ ही विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न होती है. अतिक्रमण के चलते ही यहां मौजूद 100 फीट की सडकें 30 फीट में तब्दील हो चुकी हैं.
वहीं क्षेत्र में संसाधन कम हैं, किन्तु समस्याएं विकराल हैं. स्वच्छता आदि
योजनाओं के लिए सरकार द्वारा जितना प्रचार किया जाता है, ज़मीन पर उसका उतना प्रभाव देखने को नहीं मिलता. जिसके चलते वार्ड विकास की
राह से पीछे रह जाता है.