भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी मानी जाने वाली वाराणसी नगरी को दो
पवित्र नदियों यानि वरुणा और असी का संगम कहा जाता है, अथार्त वह स्थान जहां ये
दोनों नदियां आकर मिलती हों “वाराणसी” के नाम से जाना गया. इसी पावन वरुणा नदी के
किनारे के पार आने वाला वाराणसी का समस्त क्षेत्र वरुणापार जोन के अंतर्गत आता है.
वरुणापार जोन की शिवपुरी सबजोन में सम्मिलित है “तरना वार्ड”, जो वाराणसी नगर निगम
के अनुसार तकरीबन 3.841 किलोमीटर के दायरे में विस्तृत है.
यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से संदीप त्रिपाठी जी कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से जन प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. मिली जुली आबादी वाले इस वार्ड में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 25,000 की आबादी का निवास है. वहीँ पार्षद जी के अनुसार इस वार्ड की आबादी वर्तमान में तकरीबन 40-45,000 के आस पास है. इस वार्ड में तकरीबन 15 आवासीय कॉलोनियां शामिल हैं तथा यहां छतरीपुर हरिजन बस्ती मलिन बस्ती इलाकों में आता है.
यदि बात वार्ड में आजीविका की हो तो इस वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर्ग, छोटे लघु-कुटीर उद्योगों से जुड़ी जनता, छोटे व्यापार में संलग्न लोगों के साथ साथ नौकरीपेशा जनता का भी निवास स्थान है, जिसमें सरकारी एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर से जुड़े लोग सम्मिलित हैं.
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर इस वार्ड में स्कूलों, बैंकों, एटीएम, पार्कों, मंदिरों इत्यादि की भी सुविधा हैं. यहां शिक्षा सुविधा के रूप में गुरु नानक स्कूल, प्राइमरी स्कूल तरना, सेंट जोसफ, प्राइमरी विद्यालय भगतपुर इत्यादि उपलब्ध है. बैंकिंग सुविधा के तौर पर यहां अलाहाबाद बैंक और काशी गोमती बैंक के साथ साथ भेल तरना का कार्यालय भी है. साथ ही यहां गौतम गार्डन कॉलोनी के अंतर्गत पार्क भी मौजूद हैं, जो जनता के भ्रमण करने का अच्छा विकल्प हैं.
(प्राचीन हनुमान मंदिर, तरना)
वार्ड की प्रमुख समस्याओं की बात की जाये तो तरना वार्ड वाराणसी का सीमान्त वार्ड है, जिसका सीमांकन हालांकि वर्ष 1959 में ही हो चुका है. किन्तु नगरपालिका, नगर निगम का भाग होने के बाद भी यहां के कुछ मोहल्लें अभी भी ग्राम की ही श्रेणी में आते हैं और इसके चलते इनका विकास अवरुद्ध हो जाता है, जिसे पार्षद जी वार्ड की सबसे बड़ी समस्या मानते हैं.
सथानीय पार्षद संदीप जी के अनुसार वार्ड का एक बड़ा हिस्सा आज भी कच्चा है, जिसके पीछे कुछ भौगौलिक कारण और कुछ व्यवस्थागत खामियां हैं. बकौल संदीप जी तरना वार्ड का एक बड़ा हिस्सा वाराणसी जौनपुर रेलवे लाइन के दूसरी ओर स्थित होने के कारण वहां पेयजल एवं सीवर लाइन पहुंचने में दिक्कतें आती हैं. हालांकि ट्रांस तरना सीवर योजना के तहत वार्ड के एक बड़े हिस्से तक सीवर लाइन पहुंचाई गयी है, परन्तु अभी विकास कार्य बाकी है.