पतित पावन गंगा के किनारे बसी है महादेव के नगरी वाराणसी, जो अपने मंदिरों, घाटों, पौराणिक तालाबों, कुंडों, अद्भुत
संस्कृति और गौरान्वित सभ्यता आदि के लिए विशेष रूप से जानी जाती है. साथ ही यह
नगरी जानी जाती है अपनी धार्मिक एकता के लिए भी, जहाँ विभिन्न धर्म-संप्रदाय आपस
में मिलजुल कर रहते हैं. ऐसी ही गौरवमय समरसता का प्रतीक है वाराणसी का सलेमपुरा
वार्ड, जिसके मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी यहां सभी धर्म प्रेमपूर्वक
रूप से निवास करते हैं.
वाराणसी की आदमपुर जोन में आने वाले सलेमपुरा वार्ड प्रमुखत: अपने कोयला बाजार
क्षेत्र के लिए जाना जाता है. मछोदरी, सुग्गा गरही, भल्लेया टोला, पठानी टोला,
कोयला बाजार इत्यादि इस वार्ड के अहम भूभाग हैं. मिश्रित जनसंख्या वाले इस वार्ड
में जनसंख्या तकरीबन 15-18,000 के आस पास है और यहां पार्षद के तौर पर सजिया खान
जी कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से सलेमपुरा वार्ड से जन प्रतिनिधि के रूप में
कार्यरत हैं. इनके पति मुमताज़ खान जी, जो इस वार्ड के पूर्व पार्षद के रूप में भी
सेवारत रह चुके हैं, वर्तमान में पार्षद प्रतिनिधि ते तौर पर स्थानीय विकास
कार्यों में संलग्न हैं.
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर इस वार्ड में शिक्षा सुविधा के रूप में कोई बड़ा सरकारी स्कूल तो
नहीं है, किन्तु यहां वार्ड में तकरीबन पांच स्कूल मौजूद हैं, जिनमें मदरसा फैज़
उलूम सलेमपुरा, हैप्पी ब्लेसिंग स्कूल पठानी टोला, हायर सेकेंडरी स्कूल मछोदरी,
फ्लाई गर्ल्स जूनियर हाई स्कूल स्कूल कोयला बाजार इत्यादि हैं. शिक्षा व्यवस्था के
लिहाज से यह वार्ड औसत कहा जा सकता है.
स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से भी देखें तो यहां मौजूद अस्पतालों में राजा
बलदेव दस बिरला हॉस्पिटल, रौफ हॉस्पिटल एंड हार्ट केयर सेंटर सहित कुछ प्राइवेट
क्लिनिक्स भी वार्ड में उपस्थित हैं, जो प्राथमिक ईलाज के लिए अच्छे विकल्प माने
जाते हैं.
इस वार्ड में कोयला बाजार क्षेत्र में स्थित रसूल-ए-नुमा मजार है, जो समस्त
वाराणसी में प्रसिद्द है और यहां दूर-दराज से लोग सर झुकाने आते हैं. साथ ही उर्स
के समय तो इस स्थान की रौनक देखते ही बनती है. यहां स्थित काली मस्जिद, मौलवी जी
दरगाह भी यहां के दर्शनीय स्थानों में से हैं.
वार्ड की प्रमुख समस्याओं की बात करें तो स्थानीय पार्षद के अनुसार सलेमपुरा वार्ड
में सीवर की समस्या सर्वाधिक है, उनके अनुसार लगभग 50-60 साल पहले यहां सीवर लाइन पड़ी थी और
उसके बाद से केवल आबादी बढ़ी है. सीवर लाइन व्यवस्था को लेकर जो प्रयास होने चाहिए
थे, वह कभी वार्ड में
या शहर में नहीं किये गए. जिसके चलते वर्तमान में पूरे वाराणसी की सीवर व्यवस्था
क्षतिग्रस्त है.
इसके अतिरिक्त पेयजल समस्या भी वार्ड में काफी अधिक है.
वार्ड में 20 वर्षों से मात्र एक ही ट्यूबवेल लगी हुई है, जिसके कारण पेयजल
समस्या भी स्थानीय निवासियों के सम्मुख खड़ी हुई है. जबकि वार्ड में दो और बड़े
ट्यूबवेलों की आवश्यकता वर्तमान में बनी हुई है.