भारत की मोक्षदायिनी मानी जाने वाली सप्तपुरी नगरियों में से एक नगरी अयोध्या
है, जिसका इतिहास सदियों पूर्व प्राचीन माना जाता है. पवित्र ग्रंथ “रामायण” के
अनुसार अयोध्या की स्थापना स्वयं मनु ने सरयू नदी के किनारे की थी, जिसे भगवान राम
की जन्मस्थली के रूप में भी महता प्राप्त है. स्थानीय साक्ष्यों के अनुसार यहाँ आज
भी हजारों की तादाद में छोटे-बड़े मंदिरों की उपस्थिति दर्शाती है कि अयोध्या
भारतवासियों के हृदय में विशेष स्थान रखता है और यह देश का प्रमुख धार्मिक-सांस्कृतिक
शहर होने के साथ साथ हिन्दुओं की तीर्थस्थली के तौर पर भी विख्यात है.
तो रुख करते हैं इसी पतित पावन अयोध्या नगरी के ऋणमोचन वार्ड का...जिसे ऋणमोचन घाट के अंतर्गत होने के चलते यह नाम मिला. कहा जाता है कि इस घाट पर आकर सरयू में स्नान करने से यदि भूलवश कोई ऋण नहीं चुका पाए हों तो उसके पाप से मुक्ति मिल जाती है. कंचन भवन के पास स्थित इस घाट के दक्षिण में राजघाट उपस्थित है, जहां राजा प्रसेनजित के शासनकाल में कल्पमुनि का आश्रम था. वर्तमान में घाट के ही समीप बने ऋषभदेव उद्यान में जैन धर्म के प्रवर्तक ऋषभदेव की प्रतिमा स्थापित है, जो यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है.
ऋणमोचन वार्ड नवनिर्मित अयोध्या नगर निगम द्वारा संचालित वार्ड है, जहाँ से पार्षद के रूप में भारतीय जनता पार्टी से श्रीमती द्रौपदी कार्यरत हैं तथा उनके पति श्री वीरचंद मांझी वर्ष 2017 से पार्षद प्रतिनिधि के तौर पर स्थानीय विकास क्रम में सम्मिलित हैं. स्थानीय पार्षद के अनुसार इस वार्ड की जनसंख्या लगभग 5,000 है और यहां मिश्रित आबादी का निवासस्थान है. वार्ड के परिसीमन की बात की जाये तो यह उत्तर में गोलाबाजार चौराहे से नदी तक, दक्षिण में अशर्फी भवन चौराहा से नदी तक, पूरब में अशर्फी भवन चैरो से गोलाबाजार तक एवं पश्चिम में सरयू नदी तक विस्तृत है. वार्ड के प्रमुख मोहल्लों में धोबियाना, ऋणमोचन, मुगलपुरा, कटरा आंशिक, मीरापुर बिलंदी इत्यादि प्रमुख हैं.
यदि वार्ड की प्रमुख समस्याओं पर गौर किया जाये तो पार्षद जीतन मांझी के अनुसार, शुरू से ही वार्ड में स्थायी और उचित कार्य नहीं होने के कारण आज भी उनका वार्ड अविकसित और पिछड़ा है. यहां बिजली की काफी समस्या थी, जिस पर उन्होंने कार्य करवाया. वहीं लगातार प्रयास करने के वाबजूद वार्ड में सड़कों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं हो पाई है. साथ ही सीवर की समस्या भी गंभीर रूप ले रही है. इसके अलावा छोटी- मोटी समस्याएं तो वार्ड में रहती ही हैं, जिन पर पार्षद का संघर्ष निरंतर जारी है.