सरयू नदी के दक्षिणी तट पर बसी अयोध्या एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी है. इस जनपद का नगरीय क्षेत्र अयोध्या नगर निगम के अंतर्गत समाहित है. प्राचीन समय में साकेत, कौशल देश अथवा कौशलपुरी के नाम से जानी जाने वाली अयोध्या को प्रभु श्री राम की पावन जन्मस्थली के रूप में देखा जाता है और यह हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. मोक्षदायिनी अयोध्या नगरी पौराणिक समय में कौशल राज्य की राजधानी एवं प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी और आज भी प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण अयोध्या को हिन्दुओं की प्रमुख तीर्थस्थली एवं सप्तपुरियों में से एक माना जाता है.
तो आइये चलते हैं इसी अयोध्या नगरी के एक वार्ड, रामकोट वार्ड का...जो श्री राम जन्मभूमि के रूप में देखा जाता है. यहाँ मंदिरों की संख्या काफी अधिक है, अयोध्या के विख्यात मंदिर, घाट और ऐतिहासिक इमारतें इसी वार्ड में स्थित हैं. बैकुंठ मंडल, शीशमहल, कनक भवन, वेद मंदिर, उज्जवल मंदिर, ब्रह्मकुंड, हनुमान गढ़ी सहित कईं अन्य मंदिर यहां स्थित हैं, जिसके चलते यहाँ श्रृद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है.
लगभग 10,000 की आबादी वाले रामकोट वार्ड में स्थानीय पार्षद के रूप में महंत रमेश दास (भाजपा) सेवाएं दे रहे हैं. मिश्रित जनाबादी वाले इस इलाके का विस्तार उत्तर में बैकुंठ मंडप से होते हुए परिक्रमा मार्ग तक, दक्षिण में बम्हकुण्ड से दुराही कुआं, रामजन्म भूमि, अमावां मंदिर, अरविन्द आश्रम, कुबेर टिला होते हुए यूसुफ आरामशीन तक, पूर्व में मुख्य मार्ग सरदार महेन्द्र सिंह गली से हनुमान गढी चौराहा, श्री राम चिकित्सालय होते हुए यूसुफ आरामशीन तक तथा पश्चिम में सरयू नदी तक है. वार्ड के प्रमुख मोहल्लों में रामकोट आंशिक, पांजी टोला, दुराही कुआं आंशिक, नजर बाग आंशिक, आलमगंज कटरा आंशिक सम्मिलित हैं.
यहाँ शिक्षा व्यवस्था की बात की जाये तो सरकारी विद्यालय यहां नहीं हैं, किन्तु वार्ड से सटे कटरा मोहल्लें में सरकारी स्कूल हैं. वार्ड में नि:शुल्क गुरुकुल महाविद्यालय संस्कृत विद्यालय स्थित हैं, जहां से छात्र वैदिक पद्धति की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. पार्षद महंत रमेश दास के अनुसार इस वार्ड में विद्यालय अधिक नहीं होने का सबसे बड़ा कारण यहां वृहद स्तर पर प्राचीन मंदिर क्षेत्र होना है और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के चलते यहां अधिक कंस्ट्रक्शन कार्य नहीं करवाया जा सकता है. वहीँ स्वास्थय सुविधा के रूप में श्री राम चिकित्सालय भी वार्ड के पास ही है, जो आम जन के लिए चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का सबसे अच्छा विकल्प है.
(श्री राम चिकित्सालय, रामकोट वार्ड)
अयोध्या जंक्शन भी वार्ड के काफी नजदीक है, जो परिवहन सुविधा के रूप में वार्डवासियों के साथ साथ देश के अन्य भागों से श्रृद्धालुओं के आवागमन को आसान बनाता है. इसके साथ ही वार्ड में हनुमान बाजार लोकप्रिय मार्केट प्लेस हैं.
बेहद प्रसिद्द है रामकोट मंदिर
अयोध्या में राम जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्द है रामकोट मंदिर, जो एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और हिन्दुओं का विशेष तीर्थस्थल है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह पौराणिक मंदिर भगवान राम के किले के स्थान पर बना हुआ है. ऊंचाई पर होने के कारण रामकोट मंदिर से पूरे शहर के विहंगम दृश्य को देखा जा सकता है. वैसे तो यहाँ पूरे वर्ष ही भक्तगण आते हैं लेकिन सबसे अधिक भीड़भाड़ यहां चैत्र नवमी यानि भगवान राम की जयंती पर होती है. रामलला के जन्मोत्सव पर भगवान राम के सम्मान में यहां बहुत से धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मनोरम आयोजन किया जाता है.
रानी कैकयी ने माता सीता को उपहार स्वरुप सौंपा था कनक भवन
एक विशाल महल के रूप में निर्मित कनक भवन बुंदेलखंड और राजस्थान के किसी शानदार महल से कम नहीं लगता है. मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है, स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार प्रभु राम के विवाहोपरांत भगवान राम की सौतेली माता रानी केकैयी ने इस महल को अपनी नई पुत्रवधू देवी सीता और पुत्र राम को उपहार में दिया था. बाद में 19 वीं शताब्दी के अंत में ओरछा और टीकमगढ़ के राजघरानों ने यहाँ एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.
मुख्यतः कनक भवन मंदिर भगवान राम और देवी सीता को ही
समर्पित है. इस स्थान की भव्यता को देखकर और पवित्रता को अनुभव कर भक्त
मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं. ऊंची छत वाले इस हॉल में चांदी के मण्डप के नीचे भगवान
राम और देवी सीता की स्वर्ण जडित मुकुट वाली मूर्तियाँ हैं. दूसरे मंदिरों से अलग, हवादार, बुंदेल वास्तुकला
से प्रभावित खुली जगह वाला कनक भवन शांत वातावरण का अनुभव कराता है. भगवान राम और
देवी सीता की मूर्तियों को सोने के सुन्दर गहनों से सजाया गया है, इसलिए इस मंदिर
का नाम कनक पड़ा जिसका अर्थ है सोना. वर्तमान में यह मंदिर "श्री वृषभान धर्म
सेतु" नामक एक प्राइवेट ट्रस्ट द्वारा व्यवस्थित किया जाता है, जिसकी स्थापना
ओरछा और टीकमगढ़ के महाराजा साहब श्री प्रताप सिंह जू देव ने की थी.
यहां पूजे जाते हैं बाल हनुमान
रामकोट क्षेत्र के सुप्रसिद्ध पूजनीय स्थलों में से एक हनुमान गढ़ी यहां के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है. इसके बारे में मान्यता है कि भगवान हनुमान अयोध्या की रक्षा के लिए यहाँ रहते थे और स्वयं श्री राम ने ही उन्हें इस कार्य की आज्ञा दी थी. मुख्य मंदिर में माता अंजनी और उनकी गोद में बैठे बाल हनुमान की एक प्रतिमा है, जहां वर्षभर भक्तगण दर्शन के लिए आते हैं.
बात यदि वार्ड की प्रमुख समस्याओं के बारे में की जाये तो महंत
रमेश दास के अनुसार रामकोट रामजन्मभूमि क्षेत्र होने के कारण यहां श्रृद्धालुओं से
जुड़ी सभी मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता दी जाती हैं. जिनमें शौचालय, पेयजल, सड़कें, स्वच्छता
इत्यादि मुख्य रूप से शामिल हैं. इन सभी कार्यों को समय के साथ पूरा किया जाता है.
साथ ही स्थानीय नागरिकों की समस्याओं पर भी समय पर कार्यवाही करने की कोशिश पार्षद
करते रहते हैं. महंत रमेश दास के अनुसार वर्तमान सरकार व नगर निगम के प्रयासों से
वार्ड में पहले से ज्यादा सुधार हुआ है.
References:
1. http://nagarnigamayodhya.in/pages/hi/topmenu-hi/hi-about-us/hi-ward-mohallas
2. http://www.ayodhyasamachar.com/singleDisplayNewsWithPhoto.php?id=15707
3. http://uttarpradesh.gov.in/en/details/kanak-bhawan/31003300
4. http://uttarpradesh.gov.in/en/details/hanuman-garhi/32003200