पौराणिक नगरी वाराणसी की आदमपुर जोन एवं सबजोन के अंतर्गत आने वाला
राजघाट वार्ड तकरीबन 0.758 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और मिश्रित आबादी वाले इस वार्ड में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 11,000 के आस पास जनसंख्या का निवास है. वार्ड के प्रमुख क्षेत्रों में आईडीएच कॉलोनी, आदमपुर, भैंसासुर घाट, पंचायती कुआं, काशी रेलवे स्टेशन इत्यादि प्रमुख हैं और भदोनी चुंगी हरिजन बस्ती, राजघाट डोमखाना आदि यहां मलिन बस्ती मोहल्लों में शामिल हैं.
यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से
विजय सोनकर कार्यरत हैं और
रवि सोनकर पार्षद प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में उनका सहयोग कर रहे हैं. यह वार्ड बेहद अधिक विकसित नहीं है. इस वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर्ग, छोटे लघु-कुटीर उद्योगों से जुड़ी जनता, छोटे व्यापार में संलग्न लोगों के साथ साथ नौकरीपेशा जनता का भी निवास स्थान है, जिसमें सरकारी एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर से जुड़े लोग सम्मिलित हैं.
वार्ड की विशेषता है यहां के घाट और सांस्कृतिक केंद्र
राजघाट के अंतर्गत आने वाले घाट बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो इस घाट के समीप काशी के राजाओं का निवास हुआ करता था, जिसके चलते इसे राजघाट की उपाधि मिली. यह वाराणसी के उन प्राचीन घाटों में से है, जिनका उल्लेख मौर्यकाल के लेखों में भी मिलता है. घाट के सम्मुख गंगा नदी में महिषासुर तीर्थ भी है, जिसके कारण इसे महिषासुर अथवा भैंसासुर घाट के नाम से भी जाना जाता है.
राजघाट के बारे में कहा जाता है कि प्राचीन में काशी नगरी का प्रमुख क्षेत्र इसी घाट के आस पास बसा हुआ था, साथ ही बहुत से धार्मिक-सांस्कृतिक संस्थान यहां आज भी देखें जा सकते हैं. घाट पर निर्मित डफरिन ब्रिज अपने आप में विशेष है, जहाँ से काशी के सभी प्रमुख घाटों के दर्शन होते हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा इस ब्रिज का नाम बदल कर मालवीय पुल कर दिया गया है, किन्तु स्थानीय जनता आज भी इसे राजघाट पुल के नाम से ही जानती है.
राजघाट के अंतर्गत ही लाल खां का मकबरा, बसंत महिला महाविद्यलय जैसे सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक केंद्र मौजूद हैं. अठाहरवीं शताब्दी यानि वर्ष 1773 में निर्मित लाल खां का मकबरा काशी के स्थानीय शासक लाल खां की कब्र के रूप में बनवाया गया था, जो ठीक उनके महल के सामने था. इसे वर्तमान में लाल घाट के नाम से भी जाना जाता है. फिलवक्त यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है.
वहीँ बसंत महिला महाविद्यालय भी इसी क्षेत्र में आता है, जो वर्ष 1954 में डॉ सीपी रामास्वामी अय्यर ने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु बनाया था. लगभग 65 वर्ष पुराना यह महाविद्यालय उक्त समय शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता था और इसकी महत्ता आज भी कम नहीं हुई है.
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर वार्ड में स्कूल, बैंक, मंदिरों, घाटों और मार्केट एरिया की सुविधा देखी जा सकती है. यहां शिक्षा सुविधा के रूप में प्राइमरी विद्यालय, ऑक्सफ़ोर्ड स्कूल, लाल स्कूल और वीना पानी शिक्षा निकेतन जैसे स्कूल मौजूद हैं. साथ ही यहां पीडब्लूडी का कार्यालय और सरकारी जल टंकी भी उपस्थित है. काशी रेलवे स्टेशन भी वार्ड से ही लगा हुआ है, जिस कारण इस वार्ड का महत्व ओर बढ़ जाता है.