उन्नाव नगर पालिका का
इतिहास बेहद पुराना है. वर्ष 1885 में ब्रिटिश शासन के दौरान इसका गठन हुआ है.
जिसमें प्रथम बार 1890 में इस नगर पालिका के अंतर्गत
10 वार्ड का विभाजन किया गया था और वर्ष 1953 में पहली बार यहां निकाय चुनाव कराया
गया, जिसमें 16,000 मतदाताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की. वर्ष
दर वर्ष वार्ड की संख्या के साथ साथ मतदाताओं की संख्या में भी यहाँ लगातार इजाफ़ा
होता चला गया और 2017 के निकाय चुनावों में 32 वार्ड में लगभग 1 लाख, 30 हजार मतदाताओं ने भागीदारी की. छह राजस्व प्रभागों उन्नाव, सफीपुर, हसनगंज, पुरवा, बीघापुर, बांगरमऊ में विभाजित उन्नाव लगभग 16 ब्लाक और
32 वार्ड में बंटा हुआ है.
पी.डी नगर वार्ड भी इन्हीं 32 वार्डों में से एक वार्ड है. जहां की आबादी मिश्रित है और यहां के निवासियों के जीवनयापन का साधन भी मिश्रित ही है. मुख्यतः यहां अधिकतर लोग छोटे-छोटे व्यापारों व दुकानदारी से जुड़े हुए हैं. सभासद के तौर पर यहां श्री दिनेश कुमार कार्यरत हैं, जिन्होंने युवावस्था से ही क्षेत्रीय विकास की बागडौर संभाली हुई है.
पी.डी नगर वार्ड में अधिकतर ग्रामीण लोग निवास करते हैं. है. इस वार्ड में यदि मौलिक सुविधाओं की बात की जाए तो यहां स्वस्थ्य सुविधा के रूप में कुछ संख्या में प्राइवेट क्लिनिक्स व स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है. जिनमें सारंग हॉस्पिटल जैसे प्राइवेट नर्सिंग होम इत्यादि सम्मिलित हैं.
साथ ही शिक्षा सुविधा के
रूप में भी यहां कुछ प्राइवेट स्कूल भी मौजूद हैं. जिनमें क्षेत्र के अधिकतर बच्चे
शिक्षा प्राप्त करते है. इसके साथ ही वार्ड में कोई सरकारी स्कूल नही है, जिसके कारण बच्चों को वार्ड से सटे स्कूल में जाना पड़ता
है.
वार्ड की समस्याओं पर स्थानीय सभासद का मानना है कि उनके वार्ड में कई सड़कों में इंटरलॉकिंग का कार्य नहीं हुआ है. साथ ही ‘अमृत योजना’ के अंतर्गत पाइपलाइन और सीवर लाइन डालने के लिए सड़कें खोद दी गई है, किन्तु उनकी मरम्मत नहीं कराई गई. जिससे सड़कों की स्थिति और भी खराब हो गई है.
इसके अलावा कई इलाकों में अभी भी खंभों पर लाइट की व्यवस्था नहीं है. साथ ही स्वच्छता को लेकर भी क्षेत्र के लोगों में जागरूकता का अभाव है. जिसके कारण क्षेत्र में गंदगी भी काफी रहती है.