भेलूपुर जोन की खोजवा सबजोन के अंतर्गत आने वाला नगवा वार्ड बेहद विस्तृत वार्ड के रूप में जाना जाता है. मूलतः गंगा किनारे का यह वार्ड अस्सी मार्ग से शुरू होता है और मिली जुली आबादी वाले इस वार्ड में लगभग 20-25,000 की आबादी का निवासस्थान है. काफी बड़े क्षेत्रफल में विस्तृत इस वार्ड में आने वाले प्रमुख मोहल्लों में शिव प्रसाद कॉलोनी, शशि नगर, देव नगर, गंगा बिहार, महेश नगर, महामृत्युंजय, केदार नगर, शिवपुर कॉलोनी, नवरतन नगर, आईएचएचएस कॉलोनी, डालमिया कोटि, गंगोत्री बिहार, प्रभात नगर, यादव नगर, कृष्णा नगर कॉलोनी, प्रफुल नगर कॉलोनी, संगमपुरी इत्यादि सम्मिलित हैं. वस्तुतः यहां स्थित हरिजन बस्ती, यादव बस्ती इत्यादि काफी पुरानी बस्तियां हैं, जहां यहीं के मूल नागरिकों का आवास है, वहीं इसके विपरीत जहां अब कॉलोनियों की बसाकत है वहां पहले खाली जमीन पड़ी हुयी थी, जिस पर बाहर से आये लोगों ने धीरे धीरे बसना शुरू कर दिया.
यहां पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से रविन्द्र कुमार कार्यरत हैं, जो
वर्ष 2017 से जन प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. इस
वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर्ग, छोटे लघु-कुटीर
उद्योगों से जुड़ी जनता, छोटे व्यापार में संलग्न लोगों के साथ साथ नौकरीपेशा जनता
का भी निवास स्थान है, जिसमें सरकारी एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर से जुड़े लोग
सम्मिलित हैं. साथ ही यहां कॉलोनियों में उच्च शिक्षित लोगों की आबादी बस्ती क्षेत्र की तुलना में अधिक है.
इस वार्ड की सबसे प्रमुख विशेषता यहां प्राचीन मंदिर, कुंडों इत्यादि का होना है, क्योंकि यह पंचकोसी परिक्रमा मार्ग से जुड़ा हुआ है. इस लिहाज से पर्यटन की दृष्टि से यह काफी महत्त्वपूर्ण वार्ड है. यहां त्रिदेव मंदिर, श्री दुर्गा मंदिर, महादेव मंदिर, गायत्री शक्तिपीठ नगवा स्थित है. साथ ही यहां प्राचीन घाट जैसे अस्सी घाट मौजूद है, जो वाराणसी की प्राचीन संस्कृति को गौरान्वित करते हुए प्रतीत होता है.
प्रसिद्द है यहां का अस्सी घाट
वाराणसी का अस्सी घाट प्राचीन होने के साथ साथ यहां के रमणीक स्थानों में से एक है. प्राचीन सनातन साहित्यों जैसे मत्स्य पुराण, कुर्म पुराण, पद्म पुराण, अग्नि पुराण और काशी खण्ड इत्यादि में वर्णित किया गया अस्सी घाट नगवा वार्ड में स्थित एक बेहद प्राचीन घाट है. जिसके बारे में कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ-निशुम्भ नाम के दानवों का वध करने के उपरांत अपनी तलवार अस्सी नदी में फेंक दी थी.
"अस्सी साइम्बेदा तीर्थ" के रूप में अस्सी घाट,
काशी खण्ड में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में एक
बार यहाँ डुबकी लगाएगा उसे सभी तीर्थों (हिंदू धर्म के धार्मिक स्थल) के पुण्य
प्राप्त होंगे. यहां आम तौर पर हिंदू तीर्थयात्री चैत्र (मार्च/अप्रैल), माघ
(जनवरी/फरवरी) और साथ ही सौर/चंद्र ग्रहण, प्रबोधिनी एकदशी और मकर संक्रांति जैसी कुछ अन्य महत्वपूर्ण
तिथियों पर पवित्र स्नान/दान के लिए एकत्रित होते हैं. इस घाट पर पीपल के पेड़ के
नीचे एक विशाल शिवलिंग स्थित है जहाँ तीर्थयात्री गंगा नदी में पवित्र स्नान के
पश्चात पूजा करते हैं. अस्सी घाट के करीब संगमरमर के एक छोटे मंदिर में एक अन्य
शिवलिंग - असीसंगमेश्वर लिंग है, जिसकी महत्ता भी पुराणों में वर्णित की गयी है.
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर इस वार्ड में स्कूलों, अस्पतालों, बैंकों, एटीएम, पार्कों, मंदिरों इत्यादि की भी सुविधा हैं. यहां शिक्षा सुविधा के रूप में कन्या पाठशाला, हिन्दू इंटरनेशनल इंग्लिश स्कूल, नवान प्राथमिक पाठशाला, लिटिल स्टार इंग्लिश स्कूल, लिटिल फ्लावर इंटर कॉलेज, तुलसी विद्या निकेतन, ग्लोरियम एकेडमी इत्यादि उपलब्ध है. शिक्षा के लिहाज से यह वार्ड बेहद समृद्ध है, पार्षद के अनुसार यहां मौजूद सभी विद्यालयों में बेहतर शिक्षा सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं.
बात स्वास्थ्य क्षेत्र की हो तो वार्ड में ट्रामा सेंटर, लाइफलाइन अस्पताल के साथ साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहां वार्ड की माध्यम वर्गीय व निम्नवर्गीय जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है. इसके साथ ही बीएचयू ट्रामा सेंटर और वाराणसी जिला चिकित्सालय भी वार्ड से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर हैं.
साथ ही पब्लिक यूटिलिटी के तौर पर वार्ड में लंका मेन रोड, रविदास पार्क, लंका मुख्य मार्केट, माधव मार्केट भी यहां मौजूद हैं और आम जन के भ्रमण के लिए शिवपुरी पार्क, माधवपुर पार्क, रविदास पार्क भी वार्ड में उपस्थित हैं. माधवपुर पार्क का सौंदर्यीकरण हाल ही में पार्षद द्वारा करवाया गया है.
यदि वार्ड की प्रमुख समस्याओं की बात की जाये तो वैसे तो गंगा किनारे का प्रमुख वार्ड होने के चलते यहां अधिक समस्याएं नहीं है, लेकिन पार्षद के अनुसार वार्ड की सबसे बड़ी दिक्कत स्वच्छता की है. नगवा वार्ड में सफाई की व्यवस्था उचित नही है. यहां पर कर्मचारियों द्वारा सफाई भी समय से करायी जाती है, परन्तु फिर कुछ समय में ही गंदगी हो जाती है. गंगा किनारे बसा होने के कारण यहां आने वाले सैलानियों की चहल पहल भी काफी अधिक है. इस कारण यहां की सफाई व्यवस्था और बेहतर तरीके से व्यवस्थित की जानी चाहिए.