गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर
स्थित प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के
बड़े जनपदों में से एक माना जाता है. वैसे तो हिन्दुओं के लिए यह बेहद पवित्र स्थल
है परन्तु यहां हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, जैन व ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. यह शहर
बेहद पौराणिक नगरों में से एक है.
त्रिवेणी संगम के स्थल प्रयागराज में प्रत्येक 12 साल में कुम्भ का मेला लगता है, जहां दूर दूर से सैलानी यहां आते हैं. इससे पूर्व प्रयागराज को इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था. मुगलकालीन ग्रंथो के अनुसार सन 1583 में इलाहाबाद के मुग़ल सम्राट ने इस शहर का नाम अरबी और फारसी के दो शब्दों को मिला कर रखा था. जिसमें इल्लाह शब्द अरबी का था और आबाद फारसी से बना था, इन दोनों ही शब्दों के मेल का अर्थ ईश्वर का शहर था, अथार्त वह शहर जिसे ईश्वर ने बसाया है. परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम फिर से बदल कर इसे इसका पुराना नाम वापिस दिलाया. वर्तमान में फिर से यह शहर प्रयागराज के नाम से जाना जाता है.
तो आज आपको लेकर चलते हैं, प्रयागराज के म्योराबाद
वार्ड में, जो वर्तमान में प्रयागराज नगर निगम का हिस्सा है. स्थानीय
पार्षद के अनुसार वार्ड में लगभग 15,000 की आबादी है और यहां शैक्षिणक संस्थानों
की संख्या काफी अधिक है, जिसके कारण
आबादी का आधा हिस्सा तो छात्र-छात्राओं का है.
म्योराबाद वार्ड में स्थानीय पार्षद के तौर पर जयेंद्र कुमार कार्य कर रहे हैं और क्षेत्रीय विकास कार्यों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. मिश्रित आबादी वाला यह वार्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, बल्कि छोटे छोटे मोहल्लों में विभाजित है. यहां शिक्षित जनसंख्या भी काफी अधिक है और यदि जीविका के साधनों की बात की जाए तो यहां ज्यादातर लोगों ने छात्रों को किराए पर कमरे दिए हुए हैं. साथ ही यहां दुकानें और व्यापारी भी बहुत है. अतः यह वार्ड विकसित वार्डों में गिना जा सकता है.
जानें म्योराबाद का इतिहास -
इसाई समुदाय की घनी आबादी वाले क्षेत्र म्योराबाद में स्थित सेंट पीटर चर्च अपनी सुन्दरता के कारण अत्यधिक प्रसिद्ध है. यह चर्च लगभग 40 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है. विदेशी सैलानी भी इस चर्च के कारण म्योराबाद का रुख करते है. ऐसा माना जाता है कि आगरा और सिकंदराबाद से आए मसीही समुदाय के लोगों ने चर्च निर्माण के लिए चंदे के रूप में कुछ पैसे एकत्रित की थी. इस चर्च की आकृति प्रभु यीशु के क्रूस पर बनी हुई है.
काफी वर्ष पूर्व जब मसीही शरणार्थियों का आगमन प्रयागराज में हुआ तब वहां उनके पूजन के लिए कोई विशेष स्थल नही था, जिस कारण इस भव्य चर्च का निर्माण किया गया. कई वर्षो के परिश्रम के बाद जब चन्दा एकत्रित हुआ तब भूमि की आवश्यकता पड़ी और लार्ड मेयर ने 40 एकड़ भूमि दी, जिस पर आज यह आकर्षण का केंद्र भव्य चर्च निर्मित है.
वार्ड में यदि शिक्षा सुविधा की बात की जाए तो यहां विश्वविद्यालय भी है और विद्यालय भी काफी है. जिनमें से एक परशुराम उच्चतर विद्यालय भी है. इसके अतिरिक्त 2 से 3 प्राइवेट स्कूल है, जिनमें सेंट मैरीज स्कूल शामिल है.
वार्ड में स्वास्थ्य सुविधा के लिए अच्छी व्यवस्था है. क्षेत्र में तेज बहादुर हॉस्पिटल है. जिसमें अच्छी दवाइयां व डाक्टर हैं. दूर-दूर से लोग अपना इलाज कराने इस हॉस्पिटल में आते है. इसके अलावा भी कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल वार्ड में मौजूद हैं.
पार्षद के अनुसार यदि वार्ड की प्रमुख समस्याओं पर गौर किया जाए तो वार्ड में सबसे बड़ी समस्या स्वच्छता व सड़कों की है. क्षेत्र में सड़कें काफी पुरानी बनी हुई है. इस कारण वह जर्जर हालत में है. साथ ही कुम्भ के कारण सड़कों का बाहरी तरफ से निर्माण कार्य करा दिया परन्तु आंतरिक गलियों की ओर प्रशासन ने कोई ध्यान नही दिया.
References:
http://allahabadmc.gov.in/documentslist/Mohalla-ward-list.pdf