लहरतारा वार्ड, वाराणसी की दशाश्वमेध जोन एवं सिगरा सबजोन का प्रमुख भूभाग है. भारत के प्रमुख संत कबीरदास की जन्मस्थली माना जाने वाला यह वार्ड वाराणसी के प्रमुख व्यवसायिक इलाकों में से भी एक है. यह वार्ड क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग 1.104 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. मिली जुली आबादी वाले इस वार्ड में पार्षद के अनुसार आबादी 20,000 के करीब है. यह वार्ड मुख्यतः ग्रामीण बहुल क्षेत्र हैं, जहां खेतीबाड़ी भी की जाती है. वार्ड के प्रसिद्द मंदिरों में यहां का संकटमोचन विश्वनाथ नाथ मंदिर मौजूद है.
इस वार्ड में आने वाले प्रमुख आवासीय क्षेत्रों में छित्तुपुर,लहरतारा, अंबालिकापुरी कॉलोनी, निखिल नगर, अमला नगर, मानिक नगर, राणा नगर, सिंधुरिया नगर, मिश्रीपुरा, कबीर मठ पसियाना इत्यादि कॉलोनियां आती हैं. साथ ही इस क्षेत्र का एक हिस्सा व्यवसायिक है, जिसमें इग्निसियल लाइन मॉल गोडाउन, लहरतारा चौराहा से जन्मस्थली और अमला नगर का कुछ हिस्सा भी आता है, जहां टाटा मोटर्स का व्यवसाय है. लहरतारा में आने वाले हरिजन बस्ती क्षेत्रों में लहरतारा ब्रिज के आस पास आने वाला बस्ती क्षेत्र, मिश्रीपुरा मलिन बस्ती, पुराना कबीर मठ पासियाना और बौल्या पासियाना गली प्रमुख हैं, इन बस्ती क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बेहद कम है.
(लहरतारा ओवर ब्रिज)
यहां पार्षद के तौर पर बहुजन समाज पार्टी से श्रीमती किसमती देवी कार्यरत हैं, जो वर्ष 2017 से जन प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. उनके पुत्र राजेश यादव पार्षद प्रतिनिधि के रूप में उन्हें सहयोग दे रहे हैं. इस वार्ड में जीविका के साधन मिले जुले हैं, यानि यहां व्यापारी वर्ग, छोटे लघु-कुटीर उद्योगों से जुड़ी जनता, छोटे व्यापार में संलग्न लोगों के साथ साथ नौकरीपेशा जनता का भी निवास स्थान है, जिसमें सरकारी एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर से जुड़े लोग सम्मिलित हैं.
वार्ड की विशेषता है यहां स्थित कबीरमठ
वैसे तो वाराणसी का दशाश्वमेध घाट अपने आप में ही बेहद प्राचीन है, किन्तु सिगरा
सबजोन स्थित लहरतारा वार्ड भी अपने मन्दिरों, आश्रमों, घाटों और मठों के लिए विशेषत:
विख्यात है. विशेष तौर पर कबीर चौरा यहां के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट स्पॉट्स के तौर
पर देखा जाता है. जहां कबीर जयंती के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष श्रृद्धालुओं का
जमावड़ा लगता है.
कहा जाता है कि 15वीं सदी के सबसे प्रमुख भारतीय संत कबीरदास का जन्मस्थल और उनके प्रारंभिक जीवन की शुरुआत लहरतारा से ही हुई थी. किवदंतियों के अनुसार नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंपत्ति, जो किसी पारिवारिक कार्यक्रम से वापस आते हुए लहरतारा तालाब के पास गर्मी के कारण विश्राम के लिए रुक गए थे और जैसे ही नीरू ने तालाब में पानी पिने के लिए अंजुली भरी तो उसने तालाब में बड़े से कमल के पत्ते पर एक नवजात शिशु को रोते हुए पाया. कहा जाता है कि इस दंपत्ति ने कबीर नाम देते हुए उस बालक का पालन पोषण किया और यहीं से संत कबीरदास के जीवन की शुरुआत हुई. आज भी लहरतारा सरोवर के किनारे बसा कबीर मठ देशभर के कबीरपंथियों के लिए तीर्थस्थली के समान है.
(लहरतारा तालाब, कबीरमठ चौरा)
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर इस वार्ड में विद्यालय, अस्पताल, बैंक, एटीएम, पार्क, मार्केट इत्यादि की सुविधा है. शिक्षा सुविधा के रूप में यहां दो प्राथमिक विद्यालय, भारतीय शिक्षा मंदिर, कम्प्लाती इंटर कॉलेज, मोंटेंसोरी कबीर बालिका विद्या मंदिर, सनशाइन नोबल इंग्लिश स्कूल, माँ दुर्गा बालिका मंदिर सहित लगभग आठ प्राइवेट विद्यालय भी हैं. साथ ही वर्षों पुराना बंगाली टोला इंटर कॉलेज भी वार्ड से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है.
इसके अतिरिक्त वार्ड में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बरोदा, केनरा बैंक, ग्रामीण बैंक के अलावा जिला उद्योग का कार्यालय भी मौजूद है. साथ ही मानिक नगर स्थित पार्क एरिया जनता के भ्रमण के लिए बेहतर विकल्प है. यहां बहुत से पुराने मंदिर भी स्थित हैं. साथ ही यह वार्ड वाराणसी रेलवे स्टेशन से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. स्वास्थ्य सुविधा के दृष्टिकोण से देखा जाये तो वार्ड से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर सरकारी हॉस्पिटल स्थित है, जो समाज के वर्ग के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराता है.
वार्ड की प्रमुख समस्याओं की बात की जाये तो पार्षद पुत्र राजेश यादव के अनुसार उनके क्षेत्र में सीवर से संबंधित बहुत सी समस्याएं है, जिस पर कोई भी कार्य नहीं किया गया है. सीवर की उचित व्यवस्था न होने से गलियों व सड़कों पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण लोगों को पैदल आने-जाने में भी काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. साथ ही वार्ड में मौजूद मलिन बस्तियों में भी बहुत सी मूलभूत समस्याएं हैं, जिनके लिए विकास कार्य होना जरूरी है.