विद्या और ज्ञान का गढ़….प्रयागराज, जिसे देश के राजनीतिक व अध्यात्मिक रूप से सबसे अधिक
जागरूक शहर माना जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि इसी शहर ने बड़ी संख्या में देश
को प्रधान मंत्री व नेता प्रदान किए हैं. इसके अतिरिक्त यदि धार्मिक दृष्टिकोण से
देखा जाए तो देवभूमि प्रयागराज हिन्दुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थल है.
बात करते है प्रयागराज के
नाम की...आखिर इसे प्रयागराज का नाम क्यों दिया गया? तो हमारे प्राचीन
ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी की रक्षा करने के लिए सृष्टि के निर्माता भगवान ब्रह्मा
ने यहां पर विशाल यज्ञ किया था. जिसमें पुरोहित, भगवान विष्णु ने
यजमान की भूमिका निभाई और भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने.
इसके साथ ही यज्ञ के समापन में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी से पाप का बोझ हल्का करने के लिए एक 'वृक्ष' को उत्पन्न किया. जो बरगद का वृक्ष था, जिसे आज अक्षयवट के नाम से जाना जाता है. आज भी यह वृक्ष प्रयागराज में विद्यमान है.
तो बात करते हैं, देवभूमि प्रयागराज के कृष्णा नगर वार्ड की, जो वर्तमान में प्रयागराज नगर निगम का हिस्सा है. यह वार्ड कैंट इलाके में शामिल है, जिसमें सदरपुर, राजापुर इत्यादि मौहल्ले शामिल हैं. ऐसा कहा गया है कि अंग्रेजों का जब भी प्रयागराज जिसे पहले इलाहाबाद भी कहा जाता रहा है, यहां आना होता था, तो वह कैंट क्षेत्र में ही विश्राम करते थे. वार्ड में स्थानीय पार्षद के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से सरिता केसरवानी कार्य कर रही हैं, इससे पूर्व इनके पति गणेश केसरवानी भी पार्षद रह चुके हैं. वर्तमान में वह भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं.
उनके अनुसार वार्ड में
लगभग 9,200 के करीब मतदाताओं की संख्या है और यहां
मिश्रित आबादी का निवास स्थान हैं. साथ ही यहां अत्यधिक संख्या रोज खाने कमाने
अथार्त रेडी, पटरी वालो की है. जो
सब्जियों, खिलौनों इत्यादि की पटरी लगा अपना जीवनयापन
करते हैं.
वार्ड की विशेषता है - यहां की संस्कृति
प्रयागराज के वार्ड कृष्णा नगर में मेला काफी प्रसिद्ध है, जो केवल कैंट इलाके में ही मनाया जाता है. प्रयागराज में यह परम्परा वर्ष 1892 में प्रारम्भ हुई थी. इस मेले के पीछे की महत्ता यह है कि इसका श्रीगणेश महाराष्ट्र में बाल गंगाधर ने अंग्रेजों के खिलाफ़ किया था. इसलिए यह गणेशोत्सव बेहद प्रचलित है. पूर्वजों के अनुसार अंग्रेजों के समय लोग एकत्रित होकर वार्तालाप नही कर पाते थे, इसी कारण उन्होंने इस मेले को प्रारम्भ किया, जिसमें भगवान की सवारी को कंधो पर बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है. और अब यह कैंट क्षेत्र में पर्व की भांति मनाया जाता है.
गंगा किनारे स्थित यह
वार्ड सांस्कृतिक, ऐतिहासिक के साथ-साथ
धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी प्रचलित है. यहां आए दिन बड़े-बड़े संत-महात्माओं का
आना-जाना लगा रहता है. साथ ही सभी प्रकार की आबादी का रहवास होने के चलते भी वार्ड
में लोगों के मध्य एकता देखी जाती है. यहां कभी सम्प्रदायिक दंगे नही होते. सभी
लोग मिलजुल कर तीज-त्यौहार मनाते हैं.
वार्ड में मौजूद मंदिर यहां प्रसिद्द टूरिस्ट स्पॉट्स के तौर पर देखे जाते हैं. साथ ही यहां मंदिरों की संख्या भी काफी अधिक है, जिसके कारण दूर दूर से श्रृद्धालुगण यहां आते हैं. इस वार्ड के मंदिरों का भी अपना अलग ही महत्व है.
वार्ड में यदि शिक्षा सुविधा की बात की जाए तो यहां काफी सारे सरकारी स्कूल हैं. गर्ल्स कॉलेज, महिला सेवा सदन, इलाहाबाद डिग्री कॉलेज. प्राथमिक, माध्यमिक इत्यादि सभी विद्यालय व कॉलेज की सुविधा वार्ड में है. इसके अतिरिक्त वार्ड में काफी संख्या में प्राइवेट स्कूल भी हैं. गणेश केसरवानी के अनुसार शिक्षा सुविधा का स्तर वार्ड में काफी बेहतर है. विद्यालय भी अच्छी स्थिति में है और अध्यापकों की भी संख्या काफी है.
वार्ड में स्वास्थ्य सुविधा के लिए सामुदायिक केंद्र भी मौजूद हैं. साथ ही प्राइवेट अस्पताल की भी सुविधा है. जिनमें लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होती है.
गणेश केसरवानी के अनुसार
उनके वार्ड में स्थानीय लोगों को सभी मौलिक सुविधाएं प्राप्त हैं. इससे पूर्व वार्ड
में सीवर की समस्याएं रही हैं. जिन पर कार्य किया जा चुका है.
References :
http://allahabadmc.gov.in/documentslist/Mohalla-ward-list.pdf