वाराणसी के पिछड़े वार्डों में से एक कमालपुरा वार्ड वाराणसी
की आदमपुर जोन स्थित
जैतपुरा सबजोन का हिस्सा है. यह वार्ड तकरीबन 0.105 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में
फैला हुआ है और मुस्लिम बहुल आबादी वाले इस वार्ड में वर्ष 2011 की जनगणना के
अनुसार लगभग 10,000 के आस पास जनसंख्या का निवास है. स्थानीय पार्षद के अनुसार समय
के साथ धीरे धीरे विकसित हुए इस वार्ड में वर्ष 2017 के दौरान मतदाताओं की संख्या
तकरीबन 12,000 रही है, यानि यहां आबादी का घनत्व भी निरंतर बढ़ता जा रहा है.
यहां पार्षद के तौर पर कांग्रेस पार्टी से परवीन जी कार्यरत हैं और उनके पति
अख़लाक़ पार्षद प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय विकास कार्यों में संलग्न हैं. यह
वार्ड वाराणसी के अल्पविकसित इलाकों में सम्मिलित हैं, साथ ही यहां मलिन बस्तियों
का घनत्व भी अधिक है. वार्ड में आजीविका के साधनों की यदि बात की जाये तो यहां
बुनकरों की संख्या अधिक है, जो विगत काफी वर्षों से बुनकरी के कारोबार में संलग्न
हैं. इसके अतिरिक्त छोटे व्यापारियों, लघु उद्योग कर्मियों की आबादी भी इस वार्ड
में निवास करती है.
जनता की मौलिक सुविधाओं के तौर पर यह वार्ड अत्याधिक विकसित नहीं कहा जा सकता
है. यहां अच्छे अस्पतालों, बड़े विद्यालयों, सरकारी शिक्षा केन्द्रों सहित अन्य
पब्लिक यूटिलिटी के साधनों का अभाव देखा जा सकता है. वस्तुतः यहां शिक्षा सुविधा
के रूप में यहां कुछ गिने चुने विद्यालय जैसे प्राथमिक विद्यालय कमालपुरा और
दारुलसलाम स्कूल ही मौजूद हैं. यहां पार्क, बैंकिंग सुविधा, अच्छे मार्केट एरिया का
भी वस्तुत: अभाव हैं.
अलईपुरा वार्ड में मस्जिदों की संख्या काफी अधिक है, जो स्थानीय
निवासियों के धार्मिक क्रियाकलापों का प्रमुख आधार हैं. साथ ही यहां मौजूद
ख्वाजापुरा मैदान और नागकुआं क्षेत्र यहां के लोकप्रिय पर्यटन केन्द्रों के तौर पर
देखे जाते हैं.
नागकुआं का इतिहास
कमालपुरा वार्ड में स्थित नागकुआं अथवा नागकूप का इतिहास बेहद प्राचीन है,
किवदंतियों के अनुसार इसका निर्माण महर्षि पतंजलि के द्वारा कराया गया था और इसका
वर्णन पाणिनि अष्टाध्यायी के अंतर्गत भी मिलता है. कारकोटक नागेश्वर मंदिर के पीछे
स्थित इस नाग कुंड को लोकभाषा में “सर्पों का कूप” कहा जाता है और यह वर्ष में
केवल एक बार यानि नागपंचमी पर ही श्रृद्धालुओं के लिए खुलता है.
इसके पीछे मान्यता यह है कि हिन्दू धर्म के अंतर्गत यदि कोई एक बार इस कूप में स्नान करले तो उसे कभी भी सर्प दंश नहीं सहना पड़ता और इसके अनेक ज्योतिषी लाभ भी हैं. बहरहाल यह क्षेत्र पौराणिक नगरी वाराणसी का प्रमुख स्थान होने के बाद भी अधिक चर्चित नहीं है, जिसका कारण इसके विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाना और इंटरनेट पर भी इसके विषय में बेहद कम जानकारी मिलना रहा है.
वार्ड की प्रमुख समस्याओं की बात की जाये तो अपने वार्ड के मुद्दों को लेकर अखलाक़ जी का कहना है कि वार्ड के अंतर्गत आने वाले कई इलाके सड़क, सीवर व जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं वार्ड की कई सड़कें आधी- अधूरी पड़ी हुई हैं, जिन्हें फंड की कमी के चलते अभी तक पूरा नहीं करवाया जा सका है.