गुरुग्राम प्रमुख रूप से
गुरु द्रोणाचार्य के समय का प्रचलित स्थान माना जाता हैं, द्वापर युग में द्रोण गुरु एक सर्वश्रेष्ठ गुरु के रूप में जाने जाते थे, इसी
वजह से गुड़गांव को शिक्षा का स्थल माना जाता हैं. गुडगाँव का एतिहासिक नाम
गुरुग्राम था. इसी दृष्टिकोण से व गुडगाँव के गौरवशाली इतिहास के कारण गुड़गांव का
नाम पुनः गुरुग्राम रखने का प्रयास किया गया. इस प्रयास में सभी के समर्थन से व
हरियाणा सरकार द्वारा गुडगाँव का नाम गुरुग्राम रखा गया.
औद्योगिक सिटी के रूप में
प्रसिद्ध गुडगाँव पूरी दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी व काफी मशहूर कंपनियों के
केंद्र के रूप में जाना जाता है. काफी संख्या में विदेशी कंपनियों और बड़ी-बड़ी देशी
कंपनियों के कार्यालय भी यहां पर स्थित हैं. परन्तु प्राचीन समय में गुडगाँव को
राजकुमारों की शिक्षा का स्थल माना जाता था, इसी कारण काफी वर्षों से इसके नाम को बदलने की तैयारी चल
रही थी और हरियाणा सरकार द्वारा इसका नाम अब परिवर्तित कर गुरुग्राम रखा गया है.
वर्ष 1861 में जिले का पुनर्गठन पांच तहसीलों में किया गया, जिसमें गुडगाँव, फिरोजपुर झिरका, नूह, पलवल और रेवारी शामिल रहे और गुडगाँव शहर तहसील के नियंत्रण में आ गया तथा गुडगाँव आजाद भारत का भाग बन गया. हरियाणा राज्य के निर्माण के चलते यह इसी राज्य में शामिल हो गया.
गुरुग्राम के इतिहास से परे रुख करते हैं गुरुग्राम के वार्ड 22 का...इस वार्ड में स्थानीय पार्षद के रूप में सुनीता यादव कार्य कर रही हैं तथा उनके पति नीरज यादव पार्षद प्रतिनिधि के रूप में क्षेत्रीय विकास कार्यों में उनका सहयोग कर रहे हैं. नीरज यादव के अनुसार उनके वार्ड की आबादी लगभग 50,000 है परन्तु लिखित रूप में 32,000 दर्शायी गयी है.
मिश्रित आबादी वाले इस
क्षेत्र में हीरा नगर, गांधी नगर, शिवाजी पार्क जैसे इलाके शामिल हैं. यदि वार्ड की आबादी की
बात की जाए तो वार्ड में पढ़ी-लिखी आबादी का रहवास है और यहां अधिकतर लोग बाहर से
आकर बसे हुए हैं. बाहर से आकर रहने वाली आबादी यहां मौजूद कंपनियो में नौकरी कर
अपना जीवनयापन करती है.
यदि बात की जाए यहां की शिक्षा व्यवस्था की तो वार्ड में एक भी सरकारी स्कूल मौजूद नही हैं, इसके अतिरिक्त कुछ प्राइवेट स्कूल यहां मौजूद हैं. 2-3 प्राइवेट स्कूल तथा 2 प्राइमरी स्कूल मौजूद हैं. जिनमें सीनियर सेकेंडरी स्कूल, स्कॉलर्स कान्वेंट स्कूल जैसे स्कूल शामिल हैं.
यदि स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की जाए, तो वार्ड में सरकारी अस्पताल नही हैं. जिन्हें आवश्यकता होती है, वह वार्ड से कुछ किलोमीटर दूर स्थित सरकारी हॉस्पिटल में जाकर चिकित्सा सुविधा लेते हैं. इसके अलावा प्राइवेट अस्पताल वार्ड में मौजूद हैं. जिनमें वार्ड में प्राइवेट नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लीनिक के साथ-साथ अस्पताल भी मौजूद है. जिनमें आधार हॉस्पिटल व गौरंगा हॉस्पिटल जैसे हॉस्पिटल शामिल हैं.
क्षेत्र की प्रमुख
समस्याओं पर नीरज यादव के अनुसार यहां गरीब लोगों ने आकर अपना गुजर-बसर किया हुआ
है, जो किसी योजना के तहत शामिल नही है. इसके अतिरिक्त वार्ड
में टहलने या बच्चों के खेलने के लिए कोई पार्क की सुविधा नही है.