सरयू के दक्षिणी तट पर बसी अयोध्या नगरी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पुरखों की नगरी माना जाता है. प्राचीन काल में यह नगरी साकेत अथवा कौशल देश के नाम से भी सर्वविख्यात थी. “अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या”, यानी आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त अयोध्या साक्षात् ईश्वर की नगरी है..वेदों में वर्णित इस नगरी को स्वर्ग की उपाधि दी गयी है. कहा जाता है कि यह सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी और बीतते वक्त के साथ साथ यहां हिंदू, बौद्ध, जैन एवं मुस्लिम धर्म आदि धर्मों का भी प्रभाव देखा जा सकता है. सातवीं शताब्दी में भारत आये चीनी यात्री ह्वेनसांग के लेखों में भी कहा गया है कि अयोध्या में लगभग 20 बौद्ध मंदिर और अनेकों बौद्ध भिक्षुकों का वास था.
तो आइये चलते हैं, दशरथ नंदन श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या के देवकाली वार्ड में...जिसे मां देवकाली मंदिर के नाम पर यह पवित्र नाम दिया गया. इस मंदिर का विवरण रामायण महाकाव्य के विविध प्रसंगों में पाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि माता सीता जनकपुरी से अपने साथ देवी गिरिजा देवी की एक सुन्दर प्रतिमा लेकर अयोध्या आई थी और महाराज दशरथ ने एक भव्य मंदिर का निर्माण कराकर उसमे उसी प्रतिमा की स्थापना करायी थी. माता सीता यहां आकर प्रतिदिन देवी की पूजा अर्चना करती थी, आज भी माता देवकाली की भव्य प्रतिमा यहाँ स्थित है. साथ ही स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि यह मंदिर श्री राम की कुलदेवी का मंदिर था, जहां वह माता सीता सहित पूजन के लिए आया करते थे. वर्तमान में यह मंदिर श्रृद्धालुओं के मध्य बेहद प्रसिद्द है और वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रि उत्सव (चैत्र और शारदीय) में यहां वृहद् मेले के आयोजन किया जाता है.
देवकाली वार्ड वर्ष 2017 में निर्मित अयोध्या नगर निगम द्वारा संचालित वार्ड है, जहाँ से पार्षद के रूप में भारतीय जनता पार्टी से
श्री अनुजदास जन प्रतिनिधि के तौर पर स्थानीय विकास क्रम में संलग्न हैं. स्थानीय पार्षद के अनुसार इस वार्ड की जनसंख्या लगभग 5,000 है और यहां मिश्रित आबादी का निवासस्थान है. वार्ड के परिसीमन की बात की जाये तो यह उत्तर में ऋणमोचन चैराहे से मधुसूदन विद्यामंदिर विद्यालय होते हुए नेपाली मंदिर से पाली मंदिर होते हूए तुलसी उद्यान तक, दक्षिण में पोस्ट आफिस मातर्गड चैराहा से अशर्फी भवन चैराहा तक, पूरब में मुख्य मार्ग तुलसी उद्यान से नगर पालिका कार्यालय के सामने से होते हुए पोस्ट ऑफिस तक एवं पश्चिम में अशर्फी भवन चौराहे से निर्मोचन घाट तक विस्तृत है. वार्ड के प्रमुख मोहल्लों में देवकाली, मातगैड आंशिक, तुलसी नगर आंशिक, बेगमपुरा आंशिक, बाबूबाजार इत्यादि प्रमुख हैं.
वार्ड में शिक्षा सुविधा के रूप में एक सरकारी विद्यालय के साथ साथ मधुसुदन विद्या मंदिर विद्यालय, सरस्वती विद्या मंदिर आदि मौजूद हैं, जो शिक्षा के लिए अच्छे विकल्प हैं. स्वास्थ्य सुविधा के तौर पर वार्ड में कुछ प्राइवेट क्लीनिकों के साथ साथ एक अस्पताल भी है. इसके साथ ही वार्ड में बहुत से प्राचीन मंदिर भी उपस्थित हैं, जैसे देवकाली मंदिर, मंगलेश्वर महादेव, राजासभा मंदिर आदि. वार्ड अयोध्या के रमणीक दर्शनीय स्थल तुसली उद्यान से भी जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि तुलसी उद्यान गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित एक बगीचा है, अयोध्या-फैजाबाद रोड पर स्थित बगीचे को पहले विक्टोरिया पार्क के रूप में जाना जाता था, जहां पार्क के मध्य में रानी विक्टोरिया की एक मूर्ति थी. बाद में 1960 में इसे तुलसी उद्यान का नाम दिया गया और गोस्वामी तुलसीदास जी की एक मूर्ति स्थापित की गई.
यदि वार्ड की प्रमुख समस्याओं पर गौर किया जाये तो स्थानीय पार्षद अनुजदास का कहना है कि आमजन की मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़कें, नालियां, स्वच्छता, सीवर इत्यादि पर कम चल रहा है. जो कुछ समय में पूरा हो जाएगा. उनके अनुसार वार्ड में पहले से काफी सुधार हुआ है.
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