पश्चिमी दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक महत्त्वपूर्ण जिला जो कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर काफी जागरूक है. जिले में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समय- समय पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लेकिन यह स्वच्छता की भावना महज कार्यक्रमों और अभियानों तक ही सीमित नज़र आती है. अगर ज़मीनी स्तर पर बात करें तो इस जिले की स्थिति भी दिल्ली के बाकि अन्य जिलों जैसी ही है. क्षेत्र में चुनावों के समय नेता भी स्वच्छता को चुनावी मुद्दा बनाकर बड़े-बड़े वादे करते नजर आते हैं, किन्तु चुनाव ख़त्म होते ही सारे वादे धुंआ हो जाते हैं.
कब बदलेगी तस्वीर
पश्चिमी दिल्ली नगर निगम हो या दिल्ली विकास प्राधिकरण, स्वच्छता के प्रति इनकी लापरवाही जिले के गांव, कस्बों तथा कालोनियों की सड़कों पर देखी जा सकती है. जिले के रिहायसी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक की गलियां आपको गंदगी की गवाही देती नजर आएंगी. जिले की डाबड़ी-गुरुग्राम सड़क का नज़ारा कुछ ऐसा ही है, जिस पर जगह- जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं. यही नहीं जिले के बाजारों तथा उनके आस पास के क्षेत्रों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है. कहीं नियमित सफाई नहीं होती, कहीं कूड़ादान नहीं है तो कहीं जलनिकासी की समस्या है.
गंदगी से बेहाल बाजार
द्वारका के सेक्टर 10 व सेक्टर 12 के मार्केट की कुछ यही स्थिति है. हालांकि अभी तक प्रशासन द्वारा कई क्षेत्रों व बाजारों की स्थिति सुधारने का प्रयास किया गया है, किन्तु जिले में अभी भी कई बाजार ऐसे हैं, जहां
अवैध कब्जे के चलते बाजार परिसर में जगह-जगह गंदगी ओर कूड़े के ढेर दिखाई देते हैं. इन सारी समस्याओं के वजह से बाजार आने-जाने वाले ग्राहकों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.
व्यवस्था का दोष
सिर्फ रिहायसी और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें और बाजार ही नहीं बल्कि जिले में स्थित ककरौला मिनी स्टेडियम की
सड़क और इसके आस पास का क्षेत्र भी गंदगी से पटा पड़ा है. इसके अलावा जिले के राजा गार्डन, पालम, जनकपुरी आदि क्षेत्रों में फ्लाईओवरों का निर्माण कराते समय सरकार ने उनके नीचे पेड़ पौधे लगवाने के उद्देश्य से जगह छुड़ावाई थी, किन्तु आज उन फ्लाईओवरों के नीचे दूर दूर तक कहीं पेड़ पौधे नहीं दिखाई देते. हरियाली की जगह पर अगर आज वहां कुछ दिखाई देता है तो वह है कूड़े के ढेर और गंदगी का भण्डार. जिस कारण फ्लाईओवर से गुजरने वाले लोगों को दुर्गन्ध का सामना करना पड़ता है.
प्रशासन को सख्त होने की जरूरत
गंदगी के कारण जिले में प्रदूषण भी फैलता जा रहा है, जिसे रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. जिसके चलते
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबन्ध लगाने का निर्णय लिया और ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया. बावजूद इसके जिले में कुछ लोग आये दिन खुले में कूड़ा जलाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो कि काफी गंभीर विषय है, जिले के लोग ऐसा न करें इसके लिए प्रशासन को सख्ती बरतने की जरुरत है.
प्रयास जारी रखने की जरूरत
हालांकि जिले में स्वच्छता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए
समय समय पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है. हाल ही में पश्चिमी दिल्ली स्थित राणाजी एन्क्लेव के एमएस ब्लॉक में ‘मेरी गली मैं ही संवारू’ स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिसका मुख्य उद्द्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस अभियान जोड़ना तथा लोगों को अपने आस पास के क्षेत्र को साफ सुथरा रखने के लिए प्रेरित करना था. इस अभियान में आरडब्ल्यूए के अधिकारियों के साथ साथ कालोनियों में रहने वाले आम नागरिक भी सम्मलित हुए.
कोशिश जारी मगर लगे रहने की जरूरत
इसके अलावा वर्ष 2017 में
दैनिक जागरण द्वारा चलाये गये मिशन 1000 टन नामक स्वच्छता अभियान में भी जिले के लोगों ने बढ़- चढ़ कर भाग लिया था. पश्चिमी दिल्ली स्थित जनकपुरी क्षेत्र में इंद्रा पार्क के लोगों ने तिलक पुल की सफाई करने के साथ-साथ अपनी कालोनियों का प्रवेश द्वार साफ करके स्वच्छता का संकल्प लिया. वहीं इसके दूसरे दिन गांधी जयंती के अवसर पर भी जिले के लोकनायकपुरम में स्थानीय पार्षद, स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता तथा आम नागरिकों ने मिलकर सड़कों के सफाई की तथा आस पास फैले कूड़े को साफ किया. इस अवसर पर भी लोग काफी उत्साहित व सक्रिय नजर आये.
ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने की आवश्यकता
जब भी इस प्रकार का कोई भी कार्यक्रम आयोजित होता है, तो लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है. किन्तु प्रशासन को तथा सभी लोगों को को भी यह समझना होगा, कि एक दिन कोई कार्यक्रम करने, कोई अभियान चलाने तथा उसमें भाग ले लेना ही पर्याप्त नहीं है. हमें ऐसे कार्यक्रमों से प्रेरित होकर प्रतिदिन स्वच्छता के संकल्प का पालन करना होगा.
पश्चिमी दिल्ली के लोगों को और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा, कि उनके अभियानों का असर सिर्फ खबरों की सुर्ख़ियों में ही नहीं बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी दिखाई दे. यह तभी संभव है जब पश्चिमी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा जिले का हर नागरिक स्वच्छता के प्रति समान रूप से जागरूक होगा. इसके लिए प्रशासन को जिले के सभी क्षेत्रों तथा बाजारों की नियमित सफाई तथा सभी स्थानों पर कूड़ादान तथा जल निकासी की भी उचित व्यवस्था करवानी चाहिए.
मिल कर बढ़ाने होंगे कदम
आज जरूरत है लोगों को साफ सफाई के प्रति जागरूक किया जाये. उनमें स्वछता के प्रति रूचि लाई जाये. अनजाने ही सही हम गंदगी फैला कर कई बीमारियों को भी आमंत्रित कर लेते हैं. आज सभ्य समाज के साथ नेताओं और प्रशासन को भी इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. हमारे नेता, प्रशासनिक लोग और हमारे समाज के लोग मिलकर ही हमारे भारत को स्वच्छ बना सकते हैं, यह सबके मिलेजुले प्रयास से ही संभव है. लोगों को अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है.
इस रिसर्च में हम पश्चिमी दिल्ली में होने वाले स्वच्छता अभियान से जुड़े कार्यों का अवलोकन करेंगे. समस्याओं और उनके समाधान जो स्थानीय तौर पर लाए जा रहे हैं उन पर ध्यान देते हुए उनकी संभावनाओं की तलाश करेंगे. जिससे पश्चिमी दिल्ली में साफ सफाई की व्यवस्था सुधरे. आज हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्वत: ही इस दिशा में आगे बढ़ काम करने के लिए सामने आए और समाज के लिए एक प्रेरणा का काम कर सके.