उत्तरी दिल्ली, इसे व्यवस्था का दोष कहें या प्रशासन की लापरवाही यहां स्वच्छ भारत अभियान की नाकामी अपने आप ही बहुत कुछ कहने को काफी है. उत्तरी दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी ‘दिल्ली’ का एक महत्वपूर्ण जिला है. अगर उत्तरी दिल्ली की बात करें, तो स्वच्छता में यह जिला दिल्ली के अन्य जिलों की अपेक्षा काफी पीछे है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा किये गये
स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 में इस जिले की रैंकिंग में भारी गिरावट आई. जहां 2016 में नगर निगम की स्वच्छता रैंकिंग में उत्तरी दिल्ली शीर्ष 100 में शामिल थी, वहीं 2017 की में गिरकर 279वें स्थान पर पहुंच गयी. एक साल के अंदर उत्तरी दिल्ली की रैंकिंग में आयी 236 पायदान की गिरावट ने जिले में स्वच्छता का स्तर और वास्तविक तस्वीर स्पष्ट कर दी है. स्वच्छता रैंकिंग में इतनी भारी गिरावट वास्तव में जिले के लिए चिंता और शर्म का विषय है.
एक ओर आंकड़ों के इस खेल में उत्तरी दिल्ली काफी पीछे है तो वहीं साथ ही साथ ज़मीनी स्तर पर इन आंकड़ों की गवाही वहां के हालत दे रहे हैं. वाकई में इस जिले की स्थिति बाकी जिलों की अपेक्षा काफी खराब है. यहां सड़कों पर कूड़े के ढेर तथा जगह-जगह गंदगी फैली रहती है, जिसके कारण जिले में प्रदूषण व डेंगू, चिकनगुनिया जैसे रोग भी फैलते हैं. यही नहीं बल्कि जिले में गंदगी का आलम यह है, कि सड़कों पर फैले कूड़े के ढेर देखकर जून 2017 में
दिल्ली उच्च न्यायालय को उत्तरी दिल्ली समेत अन्य दो जिलों के नगर निगम आयुक्तों को कारण बताओ नोटिस भी जारी करना पड़ा. जिसके बाद नगर निगम हरकत में आया और सड़कों से कूड़ा उठाया गया.
ऐसी घटनाओं से नगर निगम की लापरवाही साफ देखी जा सकती है. वहीं दूसरी ओर न्याय विभाग और सरकार जिले में स्वच्छता के मामले में काफी सख्त है. वाकई यह सोचने वाली स्थिति है जहां हमारे यहां आज भी हजारों मामले लंबित पड़े हैं वैसे में दिल्ली उच्च न्यायलय को इन मामलों में दखल देना पड़े तो आप खुद ही कल्पना कर सकते हैं कि व्यवस्था में कितना बड़ा दोष होगा.
‘स्वच्छ भारत मिशन’ को प्रभावी ढंग से लागू न कर पाने के कारण गृह मंत्रालय ने उत्तरी दिल्ली के नगर निगम आयुक्त का ट्रान्सफर कर दिया. यहां तक कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के लिए केंद्र सरकार द्वारा
आवंटित राशि भी जिला नगर निगम खर्च नहीं कर पाया. क्योंकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने स्वच्छता सम्बन्धी कई योजनायें बनायीं तो, किन्तु उनका ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन नहीं हुआ और इसी कारण से स्वच्छता रैंकिंग में यह जिला इतना नीचे फिसल गया.
हालांकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्वच्छता के लिए समय-समय पर कई अभियान चलाता रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिले की सड़कों, शौचालयों, नालों आदि की सफाई, कूड़ा निस्तारण तथा बीमारियों की रोकथाम के लिए मई 2017 में नगर निगम ने एक विशेष स्वच्छता अभियान शुरू किया, जिसके अंतर्गत सामाजिक, व्यापारिक संस्थाओं तथा आम नागरिकों का सहयोग भी लिया गया. इन सब जागरूकता अभियानों के बाद भी ज़मीनी स्तर पर इस जिले की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया, जो कि वास्तव में दुखद है. नगर निगम आयुक्त के ट्रान्सफर से सबक लेते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम लगातार जिले को स्वच्छ बनाने की कोशिश में लगा है.
2 अक्टूबर 2017 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर उत्तरी दिल्ली की महापौर प्रीति अग्रवाल ने नगर निगम आयुक्त तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ‘स्वच्छता’ की शपथ दिलवाई. इतना ही नहीं नगर निगम ने जिले के
हर वार्ड में 250 सफाई कर्मचारी दिए हैं. उत्तरी दिल्ली नगर निगम अपने हर वार्ड में सफाई व्यवस्था को एक जैसा तथा समान बनाए रखने के लिए सभी वार्डों में 250-250 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा. जिससे कि हर वार्ड की समान सफाई की जा सके. इससे पहले हर वार्ड में कर्मचारियों की संख्या असमान थी.
इसके अलावा उत्तरी दिल्ली नगर निगम शौचालयों के निर्माण के प्रति भी काफी जागरूक हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप 31 दिसम्बर 2017 को इस जिले के 104 वार्डों को
‘खुले में शौच से मुक्त’ (ODF) घोषित किया गया. उत्तरी दिल्ली की महापौर प्रीति अग्रवाल के मुताबिक, क्षेत्र में 314 सामुदायिक शौचालय हैं, जिनमें पुरुषों के लिए 3508 सीटें और महिलाओं के लिए 3232 सीटें हैं. वहीं यदि सार्वजानिक शौचालयों की बात करें तो पुरुषों के लिए 2063 सीटें तथा महिलाओं के लिए 3256 सीटें हैं. इसके अलावा महिलाओं की सुविधा तथा सम्मान के लिए जिले में 22 शौचालयों को गुलाबी रंग से पेंट किया गया है.
वहीं उत्तरी दिल्ली महापौर ने जिले के लोगों को आश्वस्त किया है, कि
स्वच्छ सर्वेक्षण- 2018 में उत्तरी दिल्ली अच्छा प्रदर्शन करेगा. इसके लिए उन्होंने जनता से सहयोग की भी अपील की है तथा लोगों को अपने आस- पास सफाई रखने, कूड़ा ना फैलाने आदि बातों के लिए जागरूक भी किया. उत्तरी दिल्ली की स्वच्छता सम्बन्धी विभिन्न रिपोर्टों से इतना तो स्पष्ट है कि जनता, जिला प्रशासन तथा सरकार सभी स्वच्छता के प्रति जागरूक हैं. नगर निगम के पास न तो योजनाओं की कमी है, न ही बजट की. नगर निगम को आवश्यकता है, इन सभी योजनाओं को ठीक प्रकार से लागू करने की. अगर प्रशासन ऐसा करने में सफल रहता है तो नि:संदेह अगले स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तरी दिल्ली की रैंकिंग में सुधार देखने को मिलेगा.
उत्तरी दिल्ली महापौर ने लोगों से जो उम्मीदें की हैं वह वाकई जायज है. यह सरकार के साथ-साथ सभ्य समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह इस दिशा में आगे बढ़े और हमारे नगर की स्वच्छता और स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान को सफल बनाने के लिए मिलकर कदम बढ़ाए. तभी हम बेहतर कल की उम्मीद कर सकते हैं. बेशक हमारे सामने इस क्षेत्र में ढेर सारी चुनौतियां है मगर इससे निपटने की भी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं हम सब की भी है.
आज सभ्य समाज के साथ नेताओं और प्रशासन को भी इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. हमारे नेता, प्रशासनिक लोग और हमारे समाज के लोग मिलकर ही हमारे भारत को स्वच्छ बना सकते हैं, यह सबके मिलेजुले प्रयास से ही संभव है. लोगों को अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है. इस रिसर्च में हम उत्तरी दिल्ली में होने वाले स्वच्छता अभियान से जुड़े कार्यों का अवलोकन करेंगे. समस्याओं और उनके समाधान जो स्थानीय तौर पर लाए जा रहे हैं उन पर ध्यान देते हुए उनकी संभावनाओं की तलाश करेंगे. जिससे उत्तरी दिल्ली में साफ सफाई की व्यवस्था सुधरे. आज हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्वत: ही इस दिशा में आगे बढ़ काम करने के लिए सामने आए और समाज के लिए एक प्रेरणा का काम कर सके.