भारत की मोक्षदायिनी मानी
जाने वाली सप्तपुरी नगरियों में से एक नगरी अयोध्या है, जिसका इतिहास सदियों पूर्व प्राचीन माना जाता है. पवित्र
ग्रंथ “रामायण” के अनुसार अयोध्या की स्थापना स्वयं मनु ने
सरयू नदी के किनारे की थी, जिसे भगवान राम
की जन्मस्थली के रूप में भी महता प्राप्त है. स्थानीय साक्ष्यों के अनुसार यहाँ आज
भी हजारों की तादाद में छोटे-बड़े मंदिरों की उपस्थिति दर्शाती है कि अयोध्या
भारतवासियों के हृदय में विशेष स्थान रखता है और यह देश का प्रमुख
धार्मिक-सांस्कृतिक शहर होने के साथ साथ हिन्दुओं की तीर्थस्थली के तौर पर भी
विख्यात है.
तो रुख करते हैं इसी पतित
पावन अयोध्या नगरी के ब्रहस्पति कुंड वार्ड का...जिसे बृहस्पती कुंड के अंतर्गत
होने के चलते यह नाम मिला. रामनगरी स्थित टेढ़ी बाज़ार में यह कुंड बसा हुआ है. इस
कुंड के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह कुंड सबसे उत्तम तीर्थ है क्योंकि यहां
पर देवगणों व इंद्रदेव ने स्नान कर पुण्य प्राप्त किया था. इसलिए इस कुंड में
स्नान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. वर्तमान समय में यह कुंड अपना
वास्तविक स्वरुप खो चुका है, जिसके जीर्णोधार
हेतु सरकार का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है.
बृहस्पती कुंड वार्ड
नवनिर्मित अयोध्या नगर निगम द्वारा संचालित वार्ड है, जहाँ से पार्षद के रूप में श्री हरिराम कार्यरत हैं और
स्थानीय विकास क्रम में अपना योगदान दे रहें हैं. स्थानीय पार्षद के अनुसार इस
वार्ड की जनसंख्या लगभग 6,500 है और यहां मिश्रित आबादी का निवासस्थान है. वार्ड
के परिसीमन की बात की जाए तो यह उत्तर में सरयू नदी तक, दक्षिण में मुख्य मार्ग जालपा नाले से साकेत महाविद्यालय तक,
पूरब में थाना रामजन्म भूमि अमरुद मंडी से
धन्यक्ष कुंड से परिक्रमा मार्ग तक एवं पश्चिम में अवध पूरी वार्ड तक विस्तृत है.
वार्ड के प्रमुख मोहल्लों में रानोपाली, कैथाना, शेरगंज बाजार, टेढ़ीबाज़ार, नयापुरवा इत्यादि प्रमुख हैं.
यदि वार्ड की प्रमुख
समस्याओं पर गौर किया जाए तो पार्षद हरिराम के अनुसार, उनका मानना है कि क्षेत्र में समस्याएं तो काफी है और उनका साथ
ही साथ निवारण भी होता है. परन्तु सबसे बड़ी समस्या सरकार द्वारा लागू की गयी
योजनाओं का लोगों तक न पहुंचना हैं. उनके अनुसार बहुत संख्या में लोग ऐसे हैं, जो इन योजनाओं से लाभान्वित नही हो पाते, जिसका कारण जनता का
शिक्षित न होना है. इसीलिए वह प्रयास करते हैं कि लोगों को अधिक से अधिक जागरूक
किया जाए.